गुरुवार, 21 नवंबर 2024
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उ प्र का इतिहास - 1
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उ प्र का इतिहास - 1
उत्तर प्रदेश ( संयुक्त प्रांत आगरा और अवध) में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रांतीय संगठन बनाने के दो प्रयास सन 1935 और 1936 में किए गए। कम्युनिस्ट पार्टी उन दिनों गैर कानूनी थी। इस लिए छोटा- बड़ा जो कुछ भी हो सकता था वह गुप्त ढंग से किया जा सकता था। 1935 में पहला सम्मेलन बुलाने की चेष्टा की गई तब कामरेड अजय घोष केंद्रीय पार्टी के प्रतिनिधि तथा कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे। वह भगत सिंह के साथी थे और उनके साथ उन्होंने 63 दिन की भूख हड़ताल की थी। कॉमरेड अजय घोष गुप्त रूप से कानपुर के मजदूरों काम कर रहे थे।
कानपुर के मजदूरों में यही कामरेड पी सी जोशी और कामरेड अजय घोष ने आपस में तय किया कि सम्मेलन किया जाए। गिरफ्तारी का खतरा उन्हें बराबर बना रहता था। इसी अवस्था में उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी का प्रथम गुप्त प्रान्तीय सम्मेलन करने की योजना बनाई।
सम्मेलन कानपुर में ही बुलाया गया एक मजदूर साथी के घर उनका नाम था कॉमरेड शेर खां था इन दिनों पार्टी की ईकाई कुछ ही जिलों में थी जैसे कि कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ। शायद कुछ और साथी भी रहे हो जैसे कि झांसी और बनारस में, पर कानपुर सम्मेलन में केवल कानपुर, लखनऊ और इलाहाबाद के कम्युनिस्ट साथियों को ही बुलाया गया था।
इस सम्मेलन में इलाहाबाद के दो प्रतिनिधि कामरेड रमेश सिन्हा और हर्ष देव मालवीय थे। सम्मेलन से पूर्व ऐसा प्रतीत हुआ कि पुलिस को इस सम्मेलन की भनक पड़ गई है और गिरफ्तारी हो सकती है इसलिए इस सम्मेलन शुरू होने से पहले ही स्थगित कर दिया गया और सभी साथी अपने-अपने जिलों को लौट गए।
पार्टी के प्रांतीय सम्मेलन का दूसरा प्रयास 1936 में किया गया सितंबर- अक्टूबर के महीने में परंतु परिस्थितियां अब थोड़ा कुछ भिन्न थी। साथी अजय घोष पार्टी केंद्र के बुलावे पर मुंबई चले गए थे और उनका स्थान ले लिया था कामरेड रुद्र दत्त भारद्वाज ने।
यह सम्मेलन लखनऊ में हुआ, अक्टूबर 1936 में, तारीख के संदर्भ में साथी रमेश सिनहा लिखते हैं उन्हे याद नहीं है। इसलिए कुछ दिन आगे पीछे हो सकते हैं यह सम्मेलन कानपुर में असफल प्रांतीय सम्मेलन के करीब एक वर्ष बाद हुआ था उस समय लखनऊ में पार्टी का अस्थाई केंद्रीय दफ्तर था और साथी पीसी जोशी तथा कुछ और साथी वहां पर रहते थे यह पार्टी ऑफिस गुप्त था। यह प्रान्तीय सम्मेलन कैसर बाग के "मनकापुर हाउस" में हुआ था और साथी बृजेश सिंह इस सम्मेलन की व्यवस्थाएं संभाल रहे थे।
सम्मेलन की सारी तैयारी कॉमरेड भारद्वाज ने की थी इस सम्मेलन में जो लोग मुख्य रूप से शामिल होने आए थे उसमें इलाहाबाद की साथी हाजरा बेगम, रमेश सिनहा, झांसी के साथी अयोध्या प्रसाद, झांसी-मेरठ षड्यंत्र केस के पूर्व बंदी, बनारस के साथी एसपी त्रिपाठी सम्मेलन शामिल थे।
सम्मेलन 2 दिन तक हुआ। साथी भारद्वाज ने पार्टी की नई नीति और कार्यक्रम पर रिपोर्ट दी, यह नीति और कार्यक्रम कम्युनिस्ट अंतर्राष्ट्रीय संघ की सातवीं कांग्रेस के आधार पर बना था जो फासिस्ट विरोधी खतरे को देखते हुए विशाल राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए प्रेरणा देता था।
इस सम्मेलन में एक तरह से नेताओं को नहीं बुलाया गया था जो किसी जन संगठन में या अन्य अधिक महत्वपूर्ण खुले कामों में लगे हुए थे। डॉक्टर जेड ए अहमद और कामरेड सज्जाद जहीर तथा अन्य लोगों को सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था। उस समय मुख्य जोर पार्टी के गुप्त तंत्र को बनाने पर था।
सम्मेलन में कामरेड अर्जुन अरोड़ा को पार्टी का सेक्रेटरी चुना गया और जो लोग वहां मौजूद थे उन्हें कमेटी में शामिल कर लिया गया, भविष्य में और लोगों को जोड़ने की गुंजाइश रखी गई।
इस सम्मेलन में यह भी निर्णय हुआ की पार्टी का गुप्त प्रांतीय कार्यालय खोला जाए। बाद में यह गुप्त क्रांति कार्यालय पहले इलाहाबाद के बिरहाना मोहल्ले में खोला गया। बाद में लखनऊ के डालीगंज इलाके में खोला गया।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें