मंगलवार, 24 दिसंबर 2024
नोटबंदी से देश रो रहा था, पर शैतान हंस रहा था
नोटबंदी से देश रो रहा था, पर शैतान हंस रहा था; गुजरात के नरसंहार पर इंसानियत रो रही थी, पर शैतान हंस रही रहा था; जीएसटी ने बहुसंख्यक भारतीयों को रूलाया, पर शैतान ठहाके लगा रहा था; बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर राममंदिर बनाने पर मुसलमान रो रहे थे, पर यह शैतान मुस्कुरा रहा था; देश के नवजवान अपनी बेरोजगारी पर आंसू बहा रहे हैं, पर यह शैतान हंस रहा है; देश कौड़ियों के मोल बिक रहा है' पर यह शैतान हंस रहा है; डालर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरती जा रही है, पर यह शैतान हंस रहा है; देश के लोगों को धर्म के नाम पर मूर्ख, अज्ञानी, जड़, अंधविश्वासी, पाखंडी और कर्मकांडी बनाया जा रहा है, पर यह शैतान हंस रहा है; मणिपुर जल रहा है, पर यह शैतान हंस रहा है; विदेशों में भारत की हर जगह तौहीन हो रही है, पर यह शैतान हंस रहा है; बदहाली, कुपोषण, गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक और धार्मिक वैमनस्यता और शोषण के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शुमार हो गया है, पर यह शैतान हंस रहा है; संविधान, संसद, लोकतंत्र, मानवाधिकार, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और संवैधानिक संस्थाओं का अस्तित्व और अस्मिता खतरे में है, और यह शैतान हंस रहा है; बुद्ध, गांधी, नेहरू और अंबेडकर को अपमानित किया जा रहा है, और यह शैतान हंस रहा है; किसी का घर, कोई बस्ती जलाई जा रही है, मस्जिद ढाहा जा रहा है, मस्जिदों की खुदाई कर मंदिरों की तलाश हो रही है, और यह शैतान हंस रहा है। आखिर एक शैतान इसके अलावा और कर ही क्या सकता है? उसे अपनी शैतानियत भी तो साबित करनी है। अगर वह ऐसा न करे, तो लोग यह जान कैसे पायेंगे कि वह शैतान है।
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