बुधवार, 8 जनवरी 2025
संघ नियंत्रित और प्रशिक्षित भाजपा सरकार श्रीजगन्नाथ की 60 हजार एकड़ जमीन बेचेगी,ओडिशा सरकार
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संघ नियंत्रित और प्रशिक्षित भाजपा सरकार श्रीजगन्नाथ की 60 हजार एकड़ जमीन बेचेगी,ओडिशा सरकार जमीन बेचकर ₹10000 करोड़ जुटाएगी, मुख्य पुजारी की आपत्ति
चार धामों में से एक, ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की जमीन संकट में है। यहां भगवान की जमीन अकेले ओडिशा राज्य में भगवान जगन्नाथ की कुल 60 हजार 426 एकड़ जमीन है।
अब सरकार जमीन बेचकर 8 से 10 हजार करोड़ रुपए फंड जुटाने की तैयारी कर रही है। हालांकि जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी इसका विरोध कर रहे हैं।
512 करोड़ की कीमत वाली 64 एकड़ जमीन बेचने का आरोप श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने 16 नवंबर को पुरी के बसेलिसाही पुलिस स्टेशन में महावीर जन सेवा संघ नाम के संगठन के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी। संगठन से जुड़े लोगों पर माटीतोटा इलाके में 64 एकड़ में फैले 109 प्लॉट की अवैध खरीद-फरोख्त का आरोप है। इन प्लॉट्स की मौजूदा मार्केट वैल्यू करीब 512 करोड़ है।
पुलिस ने 20 दिसंबर को संगठन के अध्यक्ष और इससे जुड़े 6 लोगों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान सिसुला बेहरा, सानिया बेहरा, जसोबंता बेहरा, मोहन बेहरा, रत्नाकर बेहरा और बाबू बेहरा के तौर पर की गई।
पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों ने कुल खाता नंबर-38 के 109 प्लॉट में से केवल प्लॉट नंबर-143 की अवैध बिक्री की थी। इसके लिए 28 लाख रुपए का लेन-देन भी हुआ था। आरोपियों के पास से 4.5 लाख रुपए कैश भी जब्त हुए।'
डॉक्यूमेंट पर महावीर जन सेवा संघ का रजिस्ट्रेशन नंबर 5902/119/2002 और निखिल उत्कल विश्वकर्मा समिति का रजिस्ट्रेशन नंबर 224/19/1985 भी दर्ज है। ओडिशा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर खाता नंबर-38 का प्लॉट नंबर-118 भगवान जगन्नाथ के नाम पर दर्ज है।
आरोपियों ने इस प्लॉट को नोटरी के जरिए निखिल उत्कल विश्वकर्मा समिति को बेच दिया। अब यहां बाउंड्री भी कर दी गई है। जमीन के लेन-देन को वैध दिखाने के लिए इसे अतिक्रमण हस्तांतरण प्रक्रिया (एनक्रोचमेंट ट्रांसफर प्रोसेस) का नाम दे दिया गया।
जमीन माफिया यह दिखाना चाहते थे कि उनका इस जमीन पर सालों से कब्जा है और उन्होंने 3 लाख रुपए लेकर खरीदार को उस जमीन का कब्जा ट्रांसफर कर दिया। जमीन बेचने वालों में शामिल सुशांत बेहरा और भिखारी बेहरा, महावीर जन सेवा संघ का पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उपाध्यक्ष रह चुका है। दोनों अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। गिरफ्तार हुए 6 लोगों में सुशांत बेहरा का बेटा भी शामिल है।
प्लॉट नंबर- 118 को बाउंड्री से घेरकर लोहे का गेट लगा दिया गया है।
प्लॉट नंबर- 118 को बाउंड्री से घेरकर लोहे का गेट लगा दिया गया है।
मंदिर की देखरेख के लिए बनाया गया था महावीर जन सेवा संघ जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने माटितोटा में जिन 109 प्लॉट्स को बेचने का आरोप लगाया है, उन पर अभी करीब 200 परिवारों का अतिक्रमण है। यहां एक हनुमान मंदिर भी है, जो श्रीजगन्नाथ की जमीन पर ही बना है। साल 2002 में इस मंदिर की देखरेख के लिए महावीर जन सेवा संघ क्लब बनाया गया था।
इस क्लब में करीब 30 लोग शामिल हैं, जिनमें ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर या मछुआरे हैं। इन्होंने हनुमान मंदिर और उसके आसपास की कई जमीन को हड़प कर अपने परिवार के सदस्यों, क्लब मेंबर्स और बाहरी लोगों को बेच दिया।
पूर्व बीजद सरकार ने 2023 में विधानसभा में बताया था कि ओडिशा के 30 जिलों में से 24 जिलों में भगवान जगन्नाथ की 60 हजार 426 एकड़ जमीन है। राज्य के बाहर महाप्रभु की 395 एकड़ जमीन है। ओडिशा के खुर्दा जिले में भगवान की सबसे ज्यादा 26 हजार 816 एकड़ जमीन है। दूसरे नंबर पर पुरी है, जहां 16 हजार 712 एकड़ जमीन है।
अब सवाल यह है कि भगवान जगन्नाथ की कितनी जमीन बेचकर सरकार 10 हजार करोड़ जुटाएगी? पुरी में भगवान जगन्नाथ की कितनी जमीन पर अतिक्रमण है? क्या अवैध खरीद-फरोख्त का खेल सिर्फ 64 एकड़ में हुआ?
नवंबर, 2024 से दिसंबर, 2024 के दौरान, अरविंद पाढ़ी से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने हर बार व्यस्तता का हवाला देकर टाल दिया। बतौर चीफ एडमिनिस्ट्रेटर, पाढ़ी पर मंदिर की संपत्तियों के रिकॉर्ड संभालने और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी है। मंदिर का चीफ एडमिनिस्ट्रेटर राज्य सरकार के कानून विभाग के अधीन काम करता है।
कानून मंत्री बोले- कब्जाधारियों को जमीन बेचकर फंड जुटाएंगे कानून मंत्री पृथ्वीराज से मामले पर बातचीत की कोशिश की तो उन्होंने कहा, 'ओडिशा सरकार राज्य के अंदर और बाहर भगवान जगन्नाथ की कब्जे वाली जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाने की कोशिश कर रही है। इसके तहत छोटे प्लॉट को सस्ती दरों पर कब्जेधारियों के लिए वैध किया जाएगा, जबकि बड़े प्लॉट मार्केट वैल्यू के हिसाब से बेचे जाएंगे।'
'अवैध कब्जे वाली जमीन को बेचकर 8 हजार करोड़ से 10 हजार करोड़ रुपए का फंड जुटाया जा सकता है। इस फंड का इस्तेमाल मंदिर की जरूरतों को पूरा करने और उसकी अन्य संपत्तियों की देखभाल के लिए किया जाएगा। फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीन खरीदने और बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।'
मुख्य पुजारी बोले- जमीन माफियाओं से मंदिर के लोगों की मिलीभगत जगन्नाथ मंदिर के मुख्य बाड़ग्रही (पुजारी) जगुनी स्वाईं महापात्र ने कब्जाधारियों के जमीन देने के फैसले पर सरकार का विरोध किया। उन्होंने कहा, 'लोगों को भगवान की जमीन देने की क्या जरूरत है।
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