शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

महाकुंभ स्नान मोहन भागवत ने नहीं किया इसलिए वह हिन्दू नहीं रहे। महाकुंभ, हिंदू और प्रमाण-पत्र*

महाकुंभ स्नान मोहन भागवत ने नहीं किया इसलिए वह हिन्दू नहीं रहे। महाकुंभ, हिंदू और प्रमाण-पत्र* कुंभ मेला चल रहा है। गंगा की लहरों में आस्था हिलोरें मार रही है। भक्तजन डुबकी लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर फोटो डाल रहे हैं। टीवी चैनलों पर बहस हो रही है—“*जो कुंभ में स्नान नहीं करेगा, वह हिंदू कहलाने लायक नहीं!”* एक नया विभाग खुल गया है—“*हिंदू प्रमाणन समिति*”। यहाँ कुंभ में स्नान किए बिना हिंदू होने का प्रमाण-पत्र नहीं मिलता। भाजपा के नेता एक-एक कर डुबकी लगा रहे हैं। कैमरे चमक रहे हैं। नारे गूंज रहे हैं—“*हर हर मोदी, घर-घर मोदी*!” तभी किसी ने सवाल उठाया—“*संघ प्रमुख मोहन भागवत जी और अन्य RSS पदाधिकारी कहाँ हैं?”* सबके चेहरे सफेद हो गए। किसी ने धीरे से कहा—“*वे नहीं आए।” “क्या?! तो क्या वे भी…?” “अरे नहीं, नहीं! वे हिंदू धर्म के आधार स्तंभ हैं। उन्हें प्रमाण-पत्र की ज़रूरत नहीं।” “फिर कांग्रेस और वामपंथी नेताओं के लिए प्रमाण-पत्र क्यों अनिवार्य?” “क्योंकि वे राष्ट्र-विरोधी हैं! अगर वे स्नान कर लें तो प्रमाण-पत्र मिल सकता है।” “तो हिंदू धर्म का प्रमाण कुंभ स्नान से मिलता है?” “हां, अगर आप विपक्ष में हैं तो।” “और अगर सत्ताधारी हैं?” “तो जन्मजात हिंदू मान लिए जाएंगे। उन्हें प्रमाण-पत्र की ज़रूरत नहीं।” इस बीच गंगा सोच रही थी—“मैंने तो सबको समान रूप से स्नान कराया, पर देखो, ये लोग हिंदू होने का भी सरकारी टेंडर निकाल रहे हैं!”

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