शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

मौर्य कथावाचक नहीँ हो सकता है कथा सुनाते पर माफी मांगनी पडी

मौर्य कथावाचक नहीँ हो सकता है कथा सुनाते पर माफी मांगनी पडी लखीमपुर में इटावा जैसा मामला, ग्रामीणों ने कथावाचक से जबरन मंगवाई माफी यूपी के लखीमपुर खीरी में इटावा जैसा मामला सामने आया है। जहां एक कथावाचक को ग्रामीणों ने पकड़ लिया और माइक पर जबरन माफी मंगवाई। आरोप है कि कथावाचक ने जाति छिपाकर कथा सुना रहा था। साथ ही चंदा मांग रहा था। उधर, इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ये मामला खमरिया कस्बे के रामजनकी मंदिर का है। जानकारी के मुताबिक श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उस समय बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब कथावाचक के परिचय को लेकर अलग-अलग दावे सामने आए। कथा शुरू होने के पूर्व कथावाचक ने अपनी जाति कुछ और बताने के साथ ही खुद को काशी का रहने वाला बताया था। छह दिन तक कथा सुचारू रूप से चली और सैकड़ों लोगों ने श्रद्धा व सहयोग से हिस्सा लिया। सातवें दिन भंडारे के अवसर पर अचानक सोशल मीडिया और ग्रामीणों के माध्यम से जानकारी फैली कि कथावाचक ने अपनी पहचान छिपाई है। स्थानीय लोगों को मढ़िया आश्रम के संतों और जानकारों ने स्पष्ट किया कि पारस मौर्य ने पहले भी कई स्थानों पर खुद को ब्राह्मण बताकर कथा वाचन किया है। मामला तूल पकड़ने लगा और ब्राह्मण संगठन मामले को पुलिस तक पहुंचाने की बात करने लगे। दबाव बढ़ता देख कथावाचक ने ग्रामीणों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। कथावाचक ने माइक पर स्वीकार किया कि भविष्य में वह अपनी जाति छिपाकर कथा वाचन नहीं करेंगे। माफी मांगने के बाद ग्रामीणों की नाराजगी तो शांत हो गई लेकिन लोग कथा के आयोजकों, रामजानकी मंदिर के ट्रस्टियों और पुजारी पर कार्रवाई की मांग करने लगे। ग्रामीणों का आरोप है कि मंदिर के ट्रस्टियों, पुजारी और कथा के आयोजकों ने जानबूझकर जनभवनाओं का अपमान किया है। इन लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए। वायरल वीडियो में लोग कथावाचक से जबरन बुलाते हुए सुना जा सकता है। कथावाचक ने कहा, “यदि मेरी वजह से आपकी भावनाएं आहत हुई हैं उसके लिए माफी मांगता हूं। मेरा नाम पारस, मौर्या वंश में जन्म हुआ। हमारी जाति छिपाकर कथा कहने से आपकी भावना आहत है तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं। सभी से माफी मांगता हूं। उन लोगों से जिनसे मैंने पैर छुए हैं। ऐसी गलती कभी हमने की नहीं है और ऐसी गलती करेंगे भी नहीं।”

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