सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

योगी सरकार की अंतरराष्ट्रीय आतंकी को सलामी

देवबंद का तालिबान प्रेम.... अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्तक़ी का भारत दौरा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही सरप्राइजिंग है दारुल उलूम देवबंद में उसका प्रवेश और वहां हुआ उसका भव्य स्वागत... दरअसल मुत्तकी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी है। वह सुरक्षा परिषद की विशेष अनुमति के बाद ही भारत आ सका...भारत में उसको सरकार द्वारा स्टेट गेस्ट की हैसियत और प्रोटोकॉल दोनों दिया.. यह सरकार के स्तर का मामला है, सरकार की कूटनीति का उत्पाद है...हालांकि भारत सरकार ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है अलबत्ता पूर्ण दूतावास खोलने की घोषणा ज़रूर की है..हो सकता है डिप्लोमेटिक रिश्तों को गर्माहट देने का यह प्रारंभिक चरण हो। ख़ैर, सरकार की अपनी नीतियां होती हैं...उस आधार पर डिप्लोमेटिक रिलेशन बनते बिगड़ते रहते हैं। लेकिन सवाल यहां भारतीय मुसलमानों के सियासी शऊर को लेकर उठता है...बदनाम ए ज़माना तालिबान, जिसको अभी तक दुनिया ने मान्यता नहीं दी, ख़ुद भारत ने नहीं दी, उसके सफीर को चाहे स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया गया हो, लेकिन देवबंद का ज़मीर कितना गिर गया कि उसके लिए लाल कार्पेट बिछा दिया, उलमा, तुलबा और आवाम का हुजूम उमड़ पड़ा उसकी एक झलक देखनें को, मुसाफ़ा करने को.. सेल्फी लेने को... क्या सोचकर किया यह सब...? मौलाना मदनी के अंदर का जोश छलक छलक जा रहा था। क्या रिश्ता है आपका उस संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी से....यही न कि आपका थॉट आपका मसलक तालिबान भी मानता है...इसी बात को मुत्तकी ने सार्वजनिक किया...और आप डिनाय न कर सके। आपने उसपर गुलाब के फूलों की बारिश की...मानो बिछड़ा भाई घर आया हो... होना तो यह चाहिए था कि उसको दारुल उलूम में घुसने न दिया जाता...ज़्यादा डिप्लोमेसी की मांग थी तो बाहर चार उलमा मुलाकात कर आते...लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। तरस आता है आपकी सोच पर...सियासी शऊर पर, बेवकूफियों पर...तुम उलेमा हो..उलूम तक महदूद रहो, सियासत या डिप्लोमेसी तुम्हारे बस की बात नहीं, इस बेवकूफ़ और मज़लूम क़ौम को बख्श दो साहब.... ख़ुदा के लिए बख्श दो। "मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई, ज़ुबाँ सब समझते हैं जज़्बात की।" - बशीर बद्र # Singh Bhu #इंतेखाब_आलम_लोदी

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