बुधवार, 17 दिसंबर 2025

जब बंदरों की सरकार बनी तो बुल्डोजर ने घोंसले नोचने शुरु कर दिए

जब बंदरों की सरकार बनी तो बुल्डोजर ने घोंसले नोचने शुरु कर दिए जब देखो तो किसी न किसी का घर बुलडोजर से गिराया जा रहा है। दुष्ट अंध भक्त तालियां बजा रहे हैं। किसी जंगल में एक पेड़ पर एक जंगल का घोंसला था। शाम बया ब्याई में मौज-मस्ती से बैठे थे। बारिश का मौसम। बादल घिर आये। बिजली चमकने लगी। बड़ी बड़ी बूरनी शुरू हुई। धीरे-धीरे मूसलाधार पानी डाल दिया। लेकिन अपने मजबूत संगठन में बैठे की वजह से वे दोनों बेफिक्र थे। इसी बीच एक बंदर पानी से बचने के लिए उस पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ों के पत्ते वर्षा से उसकी रक्षा करने में अशक्त थे। कभी वह नीचे चला जाता है, कभी वह ऊपर आ जाता है। तीसरे में ओले डाले की शुरूआत हो गई। ठंड के मारे बंदर किनकिनयाने लगा। बाय से नहीं रहा गया। वह बोला कि मानुस के से हाथ टूट गया मानुस की सी काया, चार महीने बरखा होवै,छपर क्यों नहीं छाया? देखिए, हम तो जाहिर तौर पर छोटे जीव हैं, लेकिन कैसा घोंसला आराम से रहते हैं। तुम भी हाथ पैर हिलाते हो तो क्या कुछ बना नहीं? इस सीख पर बंदर बुरी तरह से लापकर एक हाथ से बाये का घोंसला नोच डाला। बया और बयी उदाकर दूसरे पेड की डाल पर जा बैठे। उन्हें अप्राप्य नहीं था कि सीखने का यह परिणाम होगा कि अपने ही घर से हाथ धोना।

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