गुरुवार, 23 अप्रैल 2009
कफ़न नोच लेंगे...
प्यार का कारवां नही मिलता ।
दर्द समझे जहाँ नही मिलता ।
दोस्त सच्चा हो सबका रोना है -
सच्चा दुश्मन यहाँ नही मिलता ॥
पूनमी चाँद पर राहू की दृष्टि है।
हर खुशी पर सदा अश्रु की वृष्टि है।
जिंदगी,मन ,घन पर न इतराइए
पल उजाला अँधेरा यही सृष्टि है॥
ये खुश हो तो मन की जलन सोख लेंगे।
दया करके दिल की चुभन रोक लेंगे ।
अरे ये ऐसे ज़माने के मालिक है जो -
खफा हो तो तन का कफ़न नोच लेंगे॥
तटबंध न माने वो रवानी है।
अनुबंध न माने वो कहानी है।
देख अन्याय लहू जल उठे -
प्रतिबंध न माने ,वो जवानी है॥
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही' को पढ़कर अच्छा लगा. आपका आभार इस प्रस्तुति के लिए.
एक टिप्पणी भेजें