सोमवार, 27 अप्रैल 2009

बेटियाँ...


देवताओ को घर में बसा लीजिये
भारती
मान को भी बचा लीजिये
पुरूष चाहते हो कि कल्याण हो-
बेटियाँ
देवियाँ है, दुवा लीजिये

माँ,बहन ,संगिनी,मीत है बेटियाँ
दिव्यती
,धारती, प्रीत है बेटियाँ
देव अराध्य की वंदनाएं है ये-
है ऋचा,मन्त्र है ,गीत है बेटियाँ

जग की आशक्ति का द्वार है बेटियाँ
मानवी
गति का विस्तार है बेटियाँ
जग
कलुष नासती ,मुक्ति का सार है-
शक्ति
है शान्ति है,प्यार है बेटियाँ

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

4 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

पढ़ना मुश्किल हो रहा है। कुछ सुधार कर लें।

घर की रौनक जो थी अबतक घर बसाने को चली।
जाते जाते उसके सर को चूमना अच्छा लगा।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Deepak Tiruwa ने कहा…

क्या ऐसा बहुत कुछ बाकी नहीं जो बेटियों को अभी होना है । डगर पनघट की कठिन है लेकिन... आगे जहाँ और भी हैं ...devil's moral

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

"यत्र नारी पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता " मुझे नहीं लगता कि ये हमारे पूर्वजों ने यूँ ही लिखा होगा.ये बहुत चिंतन , परीक्षण और विमर्श के पश्चात ही लिखा गया है.
नारी , बेटियाँ या नारी भ्रूण हत्या के चलते आप कि रचना और प्रासंगिक बन गई है
-विजय

बेनामी ने कहा…

बहुत उम्दा सोच का प्रतीक है.

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