रजनी के झिलमिल तारे
शशि छवि से आहत होकर।
दुःख भरी कहानी कहते,
नयनो में पानी लाकर॥
वे पंथ भूलते आए,
विस्मृत गंतव्य हमारा ।
उलझी साँसे सुलझाते
बीतेगा जीवन सारा ॥
रागिनी ह्रदय से निकली ,
adro se मृदु गीतांजलि ।
सुस्मृति -धागों में गुंथित ,
भावो की लघु पुष्पांजलि ॥
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ''राही ''
1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया!
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