मंगलवार, 16 जून 2009

रजनी के झिलमिल तारे ...


रजनी के झिलमिल तारे

शशि छवि से आहत होकर।

दुःख भरी कहानी कहते,

नयनो में पानी लाकर॥


वे पंथ भूलते आए,

विस्मृत गंतव्य हमारा ।

उलझी साँसे सुलझाते

बीतेगा जीवन सारा ॥


रागिनी ह्रदय से निकली ,

adro se मृदु गीतांजलि ।

सुस्मृति -धागों में गुंथित ,

भावो की लघु पुष्पांजलि ॥

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ''राही ''

1 टिप्पणी:

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया!

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