राजनीतज्ञ, पुलिस, अपराधी और अफसर के गिरोह भी आतंकवाद को प्रशय देते है । यह बात 5000 करोड़ हवाला के मुख्य अभियुक्त नरेश जैन की गिरफ्तारी के बाद उजागर हुआ है नरेश जैन अंडरवर्ल्ड व आतंकवादियो को एक तरफ़ हवाला के माध्यम से धन मुहैया करता था वहीं आतंकवादियों को एजेंट्स को भी धन मुहैया कराने का कार्य कर रहा था। इस कांड को पूर्व 1990 में एस.के जैन की गिरफ्तारी के बाद यह पता चला था की हवाला के माध्यम से हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों को धन देता था वहीं शरद यादव से लेकर लाल कृष्ण अडवाणी तक को राजनीति करने के लिए धन उपलब्ध कराता था । नरेश जैन के इस प्रकरण को प्रिंट मीडिया ने एक दिन ही प्रकाशित किया और उसके बाद प्रिंट मीडिया खामोश हो गया ।
हवाला के माध्यम से नरेश जैन और राजनेताओं को आतंकवादियो को तथा ड्रग माफिया को वित्तीय मदद देता था जब बड़े - बड़े राजनेता हवाला के माध्यम से आई हुई रकम लेंगे तो किसी भी इस तरह के बड़े अपराधी के ख़िलाफ़ कोई भी कार्यवाही सम्भव नही है । परवर्तन निदेशालय ने नरेश जैन को विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत गिरफ्तार किया है लेकिन इन बड़े अपराधियों और आतंकवादियो की मदद करने वालों के लिए कोई सक्षम कानून नही बनाया गया है और कुछ दिन चर्चा होने के बाद मामले को ठंङे बसते में डाल दिया जाता है और पैरवी के अभाव में अपराधी छूट जाता है ।
यहाँ एक विचारणीय प्रश्न यह भी है कि इस तरह का अभियुक्त मुस्लिम अल्पसंख्यक होता तो हिन्दुवत्व के पैरोकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक चीख चीख कर चिल्लाते और उसे धर्म विशेष से जोड़ कर उस धर्म को भी अपमानित करने का कार्य करते । लेकिन आज वो खामोश क्यों है ? इस समय उनको देश की चिंता भी नही है और न आतंकवाद की है ।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
हवाला के माध्यम से नरेश जैन और राजनेताओं को आतंकवादियो को तथा ड्रग माफिया को वित्तीय मदद देता था जब बड़े - बड़े राजनेता हवाला के माध्यम से आई हुई रकम लेंगे तो किसी भी इस तरह के बड़े अपराधी के ख़िलाफ़ कोई भी कार्यवाही सम्भव नही है । परवर्तन निदेशालय ने नरेश जैन को विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत गिरफ्तार किया है लेकिन इन बड़े अपराधियों और आतंकवादियो की मदद करने वालों के लिए कोई सक्षम कानून नही बनाया गया है और कुछ दिन चर्चा होने के बाद मामले को ठंङे बसते में डाल दिया जाता है और पैरवी के अभाव में अपराधी छूट जाता है ।
यहाँ एक विचारणीय प्रश्न यह भी है कि इस तरह का अभियुक्त मुस्लिम अल्पसंख्यक होता तो हिन्दुवत्व के पैरोकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक चीख चीख कर चिल्लाते और उसे धर्म विशेष से जोड़ कर उस धर्म को भी अपमानित करने का कार्य करते । लेकिन आज वो खामोश क्यों है ? इस समय उनको देश की चिंता भी नही है और न आतंकवाद की है ।
सुमन
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2 टिप्पणियां:
आपके विचार से सहमत हु ! ये सब राजनीति के चट्टे बट्टेहै
परिद्रश्य से तो संकेत ऐसे ही मिल रहे हैं, पर दूसरी पार्टी के लोग क्यों शांत हैं, क्या वे भी काज़ल की कोठारी में काले हैं..................
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
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