गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

आधुनिक राजा - महाराजा

महंगाई जिससे 90 करोड़ से अधिक लोगो का जीवन त्रस्त हो गया है लोग भूखो मर रहे हैंउसकी चर्चा हमारे देश की संसद में हुई तब जब जमाखोरों, मिलावटखोरों ने अथाह मुनाफा कम लियासंसद नहीं बोली क्योंकि वह चाहती थी कि जिनके चंदे से उनकी पार्टियां चल राही हैं वह मुनाफा कम लें और जनता में भी उनकी छवि थोड़ी-बहुत ठीक रहे तो महंगाई पर चर्चा कर लीदोनों हाथों में लड्डू होने चाहिएमाननीय सांसदों ने यही कियासंसद में लगभग 300 सदस्य उद्योगपति हैं या आर्थिक आधार पर अरबपति से ज्यादा मजबूत स्तिथि वाले लोग हैंउनको महंगाई की पीड़ा से कोई लेना देना नहीं हैसंसद में मेहनतकश तबको का प्रतिनिधित्व कम हैउनकी आवाज का कोई भी अर्थ वहां नहीं रह जाता हैशशि थरूर से लेकर तृणमूल कांग्रेस के संसद को 5 स्टार बिलों को देखकर यह लगता है कि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ज़माने से राजा महाराजाओं कि शानो शौकत इनके आगे फीकी हैजनता को अपना प्रतिनिधि चुनते समाये विभिन्न तरीके से बरगलाने में यही लोग सक्षम होते हैं

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

2 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

कहीं न कहीं हम सब भी इस हालत के लिये जिम्मेदार हैं धन्यवाद्

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

nice

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