हिटलर का प्रचार मंत्री गोविल्स का कहना था कि एक झूंठ को सौ बार बोला जायेगा तो वह सच हो जायेगा। उसी का उपयोग कर यहाँ प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक ए.पी महेश्वरी ने कहा है कि अलीगढ में जो मौतें हुई हैं। वह ग्रामीणों की खुद की फायरिंग से हुई हैं वस्तुस्तिथि यह है कि अब जूलूश प्रदर्शन पर गोली-बारी प्राइवेट बोरे की बंदूकों से की जाती है ताकि मरने वालों की हत्या की जिम्मेदारी से बचा जा सके। अधिकांश पुलिस वालों के पास व्यक्तिगत लाईसेंस होते हैं तथा थानों में जमा आर्म्स का भी उपयोग पुलिस वाले फायरिंग में करते हैं ताकि जनता की बात को झुठलाया जा सके। अलीगढ में हुई किसानो की हत्याएं प्रशासनिक अफसरों ने की है तो पूरा शासन और प्रशासन गोविल्स की तर्ज पर यह कहना शुरू कर दिया है कि किसानो की मौत उनकी खुद की फायरिंग से हुई है।
वहीँ बसपा के अध्यक्ष ने कहा है कि मथुरा अलीगढ का किसान आन्दोलन विपक्षी दलों की साजिश है सरकार जब किसी मोर्चे पर असफल होती है तो तुरंत उसको विपक्षी दलों का हार नजर आने लगता है। वह अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए हमेशा यही तोहमत मढ़कर फुर्सत ले लेना चाहते हैं। इन दोनों बयानों को देख कर हिटलर का प्रचार मंत्री यदि होता तो अभी शर्म खा जाता किन्तु अधिकारियो और नेताओं को जरा सी भी शर्म महसूस नहीं होती है. यमुना एक्सप्रेस नोएडा से लेकर आगरा तक बनाया जा रहा है। जिसमें करोडो रुपये के घोटाले हैं। उद्योगपतियों और प्रशासनिक अफसरों को लाभ पहुँचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। एक्सप्रेस वे के दोनों और पांच बड़े टाउन्स सेज तथा उद्योगिक क्षेत्र बनाने की बात है जिसमें लाखों किसानो की जीविका चली जानी है। किसान 750 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा मांग रहे थे। जबकि भूमि अधिग्रहण के बाद वही भूमि हजारो रुपये प्रति वर्ग फीट के दाम बेचीं जानी है । किसानो के लिए कोई भी सरकार आये सिर्फ वह उसका शोषण ही करती है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
वहीँ बसपा के अध्यक्ष ने कहा है कि मथुरा अलीगढ का किसान आन्दोलन विपक्षी दलों की साजिश है सरकार जब किसी मोर्चे पर असफल होती है तो तुरंत उसको विपक्षी दलों का हार नजर आने लगता है। वह अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए हमेशा यही तोहमत मढ़कर फुर्सत ले लेना चाहते हैं। इन दोनों बयानों को देख कर हिटलर का प्रचार मंत्री यदि होता तो अभी शर्म खा जाता किन्तु अधिकारियो और नेताओं को जरा सी भी शर्म महसूस नहीं होती है. यमुना एक्सप्रेस नोएडा से लेकर आगरा तक बनाया जा रहा है। जिसमें करोडो रुपये के घोटाले हैं। उद्योगपतियों और प्रशासनिक अफसरों को लाभ पहुँचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। एक्सप्रेस वे के दोनों और पांच बड़े टाउन्स सेज तथा उद्योगिक क्षेत्र बनाने की बात है जिसमें लाखों किसानो की जीविका चली जानी है। किसान 750 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा मांग रहे थे। जबकि भूमि अधिग्रहण के बाद वही भूमि हजारो रुपये प्रति वर्ग फीट के दाम बेचीं जानी है । किसानो के लिए कोई भी सरकार आये सिर्फ वह उसका शोषण ही करती है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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