सोमवार, 23 अगस्त 2010

रेल मंत्रालय के लिए वक्त नहीं लेकिन मजबूरियों की सरकार में रेल मंत्री रहना है।

रविवार को ईष्टकोष्ठ एक्सप्रेस तथा एम यू लोकल ट्रेन हावड़ा-खड़गपुर अनुमंडल के सांकरेल में एक ही पटरी पर दौड़ती गयी लेकिन चालक की त्वरित कार्यवाई से एक बड़ी दुर्घटना टल गयीयदि दुर्घटना हो गयी होती और सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गयी होती तो रेल मंत्री ममता बनर्जी को अपने विरोधी राजनीतिक दलों पर यह तोहमत लगा चुकी होती की इसमें उनका हाथ हैदेश के सार्वजानिक क्षेत्र का सबसे बड़ा उद्योग रेलवे जिसकी मंत्री हैं सुश्री ममता बनर्जी जिनके पास एक मात्र कार्य है कि किसी भी तरीके से बंगाल के अन्दर वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका जाए उनके पास रेलवे का कार्य देखने का वक्त नहीं हैपांच अधिकारी दिल्ली से रेल की विभिन्न फाइलें लेकर कलकत्ता हवाई जहाज से जातें हैं और वहां जल्दी-जल्दी उनकी मंजूरी लेकर दिल्ली वापस आते हैंरेलवे के तीन अफसरों के विमान के किराये के मद में 11 लाख 23 हजार 550 रुपये भुगतान किया गया हैवस्तुस्तिथि यह है कि रेल विभाग के पास मंत्री होने के बावजूद कार्य देखने के कारण ताबड़तोड़ दुर्घटनाएं बढ़ रही हैंविभिन्न परियोजनाओ पर कार्य नहीं हो पा रहा हैबजट के समय उद्घोषित ट्रेनों को संचालित नहीं किया जा रहा है
सुश्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार कि मजबूरियों का लाभ उठा कर रेल मंत्री बनी बैठी हैंप्रधानमंत्री तक उनका कुछ कर नहीं सकते हैंतमाम सारी विचित्र स्तिथियों के साथ ममता बनर्जी का दावा है कि उनके मंत्रालय का प्रदर्शन 50 वर्षों में सबसे शानदार है

सुमन
लो क सं घ र्ष !

2 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

नाइस सर!

Urmi ने कहा…

रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
बहुत खूब लिखा है आपने!

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