एम.सी हो, बी.सी हो - यस सर और अंत में जय हिंद सर की तर्ज पर चलता है उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग। उच्च अधिकारी निरीक्षक तक के फील्ड में काम करने वाले सहस और शौर्य का प्रदर्शन करने वाले निरीक्षक स्तर तक के कर्मचारियों से रोज यही व्यव्हार करते हैं। जिससे निरीक्षक स्तर के पुलिस कर्मचारी विभिन्न प्रकार के मानसिक अवसादों से घिर जाते हैं। कभी-कभी अवसाद निराशा उपनिरीक्षको को आत्महत्या कर लेने पर मजबूर कर देती है। अभी हाल में सीतापुर जनपद के सदर चौकी इंचार्ज़ जितेन्द्र पाण्डेय गोली मार कर आत्महत्या कर ली है।
प्रदेश में पुलिस विभाग ने प्रशासनिक अफसर अनुशासन के नाम पर विभागीय कर्मचारियों से बहुत ही अपमानजनक व पीड़ादायक व्यवहार करते हैं जिससे पढ़े लिखे जाबांज नवजवान कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। अपने उच्च अधिकारियो से गन्दी-गन्दी गालियाँ खा कर उनके कार्यालय से निकलते ही व अपनी सारी कुंठा सामने पड़े हुए व्यक्ति पर निकालते हैं ।
आज जरूरत इस बात की है कि पुलिस बल के ढांचे को अत्याधुनिक व लोकतान्त्रिक तरीके से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। पुलिस उच्चाधिकारियों को लोकतान्त्रिक तरीका व बात व्यवहार सिखाने की सख्त आवश्यकता है। अंग्रेजो द्वारा बनाये गए पुलिस रेगुलेशन एक्ट व सर्विस रूल्स के आधार पर ही पुलिस विभाग संचालित होता है। आजादी से पूर्व सभी उच्च पदों पर सभी उच्च पदों पर अंग्रेज पुलिस उच्च अधिकारी होते थे और निचले स्तर के कर्मचारी भारतीय होते थे। अंग्रेज भारतीय कर्मचारियों को इंडियन डॉग या मंकी कहकर संबोधित करता था। अगर आजादी के बाद पुलिस विभाग के व्यवस्था गत ढांचे को परिवर्तित किया गया होता तो तमाम सारी बुराइयों से विभाग व समाज बचा रहता ।
जब सामान्य नागरिक किसी पुलिस कर्मचारी के सामने खड़ा होता है तो बात-बात में उसकी एम.सी- बी.सी होती है और वही जब कर्मचारी अपने अधिकारियो के सामने खड़ा होता है तो उसकी एम.सी- बी.सी होती रहती है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
प्रदेश में पुलिस विभाग ने प्रशासनिक अफसर अनुशासन के नाम पर विभागीय कर्मचारियों से बहुत ही अपमानजनक व पीड़ादायक व्यवहार करते हैं जिससे पढ़े लिखे जाबांज नवजवान कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। अपने उच्च अधिकारियो से गन्दी-गन्दी गालियाँ खा कर उनके कार्यालय से निकलते ही व अपनी सारी कुंठा सामने पड़े हुए व्यक्ति पर निकालते हैं ।
आज जरूरत इस बात की है कि पुलिस बल के ढांचे को अत्याधुनिक व लोकतान्त्रिक तरीके से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। पुलिस उच्चाधिकारियों को लोकतान्त्रिक तरीका व बात व्यवहार सिखाने की सख्त आवश्यकता है। अंग्रेजो द्वारा बनाये गए पुलिस रेगुलेशन एक्ट व सर्विस रूल्स के आधार पर ही पुलिस विभाग संचालित होता है। आजादी से पूर्व सभी उच्च पदों पर सभी उच्च पदों पर अंग्रेज पुलिस उच्च अधिकारी होते थे और निचले स्तर के कर्मचारी भारतीय होते थे। अंग्रेज भारतीय कर्मचारियों को इंडियन डॉग या मंकी कहकर संबोधित करता था। अगर आजादी के बाद पुलिस विभाग के व्यवस्था गत ढांचे को परिवर्तित किया गया होता तो तमाम सारी बुराइयों से विभाग व समाज बचा रहता ।
जब सामान्य नागरिक किसी पुलिस कर्मचारी के सामने खड़ा होता है तो बात-बात में उसकी एम.सी- बी.सी होती है और वही जब कर्मचारी अपने अधिकारियो के सामने खड़ा होता है तो उसकी एम.सी- बी.सी होती रहती है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
4 टिप्पणियां:
वास्तव में इस देश के पुलिस विभाग को बंद कर सामाजिक कार्यकर्त्ता का विभाग नाम से एक पुलिस व्यवस्था की स्थापना करने की जरूरत है ...
यस सर नाईस सर ... सटीक प्रस्तुति... आभार
सुमन जी!बहुत अच्छा!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
:: हंसना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
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