हम हैं हिन्दुस्तानी
अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 2007 में हुए विस्फोट में संघ के सह प्रचारक इन्द्रेश कुमार, अभिनव भारत संगठन के मुखिया स्वामी असीमानंद, जय वन्देमातरम की मुखिया साध्वी प्रज्ञा सिंह, सुनील जोशी, संदीप डांगे, राम चन्द्र कलसंगारा उर्फ़ राम जी, शिवम् धाकड़, लोकेश शर्मा, समंदर और देवेन्द्र गुप्ता सहित कई हिन्दुवत्व वादी संगठनो के नेताओं के नाम आये हैं।
अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 2007 में हुए विस्फोट में संघ के सह प्रचारक इन्द्रेश कुमार, अभिनव भारत संगठन के मुखिया स्वामी असीमानंद, जय वन्देमातरम की मुखिया साध्वी प्रज्ञा सिंह, सुनील जोशी, संदीप डांगे, राम चन्द्र कलसंगारा उर्फ़ राम जी, शिवम् धाकड़, लोकेश शर्मा, समंदर और देवेन्द्र गुप्ता सहित कई हिन्दुवत्व वादी संगठनो के नेताओं के नाम आये हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो देश में अपने को बहुसंख्यक हिन्दुओं का संगठन मानता है, उसकी स्थापना 1925 में हुई थी। लेकिन आज तक यह संगठन इस देश की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाया है इसलिए इसने अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से दूसरे धर्मों के अनुयायियों के प्रति घ्रणा का उग्र प्रचार किया है और इससे अपने अनुवांशिक संगठनो के माध्यम से दंगे-फसाद करने का कार्य पूरे देश में नियोजित तरीके से किया है।
अपने स्थापना काल से ही 1947 तक ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ चले आन्दोलन में संघ परिवार का कोई भी व्यक्ति जेल नहीं गया था और ब्रिटिश साम्राज्यवाद की समय-समय संघ परिवार मदद करता रहा है।
संघ ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या से लेकर उड़ीसा, गुजरात, दिल्ली, यू.पी, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश में नरमेध कार्यक्रम जारी रखा है। जब इतने प्रयासों के बाद भी इस संगठन को बहुसंख्यक हिन्दू जनता का प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो इसने आतंकवाद का ही सहारा लिया, महाराष्ट्र के नांदेड कस्बे में इसके कार्यकर्ता खतरनाक आयुध बनाते समय विस्फोट हो जाने से मारे गए। दूसरी तरफ यू.पी के कानपूर में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता बम बनाते समय मारे गए।
6 अप्रैल 2006 में नांदेड में हुए बम विस्फोट में 5 लोग पकडे भी गए जब पुलिस ने आर.एस.एस के लोगों के घरों पर छपे डाले तो छपे में मुसलमानों जैसी ड्रेस, नकली दाढ़ी, बरामद हुई जिसका उपयोग वे मस्जिद पर हमले करने की योजना बनाते समय करते थे। जिससे साम्प्रदायिक दंगे भड़के। नांदेड बम कांड के आरोपियों ने यह भी खुलासा किया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिसद, बजरंग दल, दक्षिण भारत में आतंकी नेटवर्क बनाकर आतंकवाद का सहारा ले रहा है।
हिन्दुवाहिन्दुवत्वत्व आतंकवाद ने देश को गृह युद्ध में झोकने के लिए आर.एस.एस के इन्द्रेश ने मोहन राव भागवत की हत्या का षड्यंत्र रचकर पूरे देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी दुष्प्रचार के तहत ( यदि षड्यंत्र कामयाब हो जाता ) पूरे देश में अल्पसंख्यकों के विनाश की तैयारी कर ली गयी थी। मालेगांव बम विस्फोट के आरोपितों के बयानों में यह भी आया है कि आर.एस.एस के उच्च पदस्थ अधिकारी इन्द्रेश ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई से तीन करोड़ रुपये लिए थे। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेसी आई.एस.आई को एक समय में भारत विरोधी कार्यों के लिए सी.आई.ए ने उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण देने के साथ आर्थिक मदद की थी। सन 1947 में भारत ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्त हुआ था और दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्यवाद कमजोर होने की वजह से अमेरिकन साम्राज्यवाद का उदय हुआ था।
अपने स्थापना काल से ही 1947 तक ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ चले आन्दोलन में संघ परिवार का कोई भी व्यक्ति जेल नहीं गया था और ब्रिटिश साम्राज्यवाद की समय-समय संघ परिवार मदद करता रहा है।
संघ ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या से लेकर उड़ीसा, गुजरात, दिल्ली, यू.पी, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश में नरमेध कार्यक्रम जारी रखा है। जब इतने प्रयासों के बाद भी इस संगठन को बहुसंख्यक हिन्दू जनता का प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो इसने आतंकवाद का ही सहारा लिया, महाराष्ट्र के नांदेड कस्बे में इसके कार्यकर्ता खतरनाक आयुध बनाते समय विस्फोट हो जाने से मारे गए। दूसरी तरफ यू.पी के कानपूर में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता बम बनाते समय मारे गए।
6 अप्रैल 2006 में नांदेड में हुए बम विस्फोट में 5 लोग पकडे भी गए जब पुलिस ने आर.एस.एस के लोगों के घरों पर छपे डाले तो छपे में मुसलमानों जैसी ड्रेस, नकली दाढ़ी, बरामद हुई जिसका उपयोग वे मस्जिद पर हमले करने की योजना बनाते समय करते थे। जिससे साम्प्रदायिक दंगे भड़के। नांदेड बम कांड के आरोपियों ने यह भी खुलासा किया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिसद, बजरंग दल, दक्षिण भारत में आतंकी नेटवर्क बनाकर आतंकवाद का सहारा ले रहा है।
हिन्दुवाहिन्दुवत्वत्व आतंकवाद ने देश को गृह युद्ध में झोकने के लिए आर.एस.एस के इन्द्रेश ने मोहन राव भागवत की हत्या का षड्यंत्र रचकर पूरे देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी दुष्प्रचार के तहत ( यदि षड्यंत्र कामयाब हो जाता ) पूरे देश में अल्पसंख्यकों के विनाश की तैयारी कर ली गयी थी। मालेगांव बम विस्फोट के आरोपितों के बयानों में यह भी आया है कि आर.एस.एस के उच्च पदस्थ अधिकारी इन्द्रेश ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई से तीन करोड़ रुपये लिए थे। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेसी आई.एस.आई को एक समय में भारत विरोधी कार्यों के लिए सी.आई.ए ने उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण देने के साथ आर्थिक मदद की थी। सन 1947 में भारत ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्त हुआ था और दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्यवाद कमजोर होने की वजह से अमेरिकन साम्राज्यवाद का उदय हुआ था।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
17 टिप्पणियां:
संघ राष्ट्रवाद के गणवेश में साम्राज्यवाद के हित साधने वाला संगठन है।
पढ़कर जानकारी मिली, धन्यवाद. इसी प्रकार दूध के धुले मुस्लिम/इस्लामी संगठनों के बारे में भी विस्तार से बताएं.
-कार्टूनिस्ट चन्दर
भाई क्या कहें और क्या करें , तबाही ला रहे हैं लाने वाले और ताली बजा रहे हैं उसमें मरने वाले ?
Nice post .
आपको आराम करने की सख्त आवश्यकता है… :) :) :)
देश का दुर्भाग्य है कि महात्मा गान्धी के देश मे अहिंसा की आग जलने लगी है। चिन्ताजनक स्थिती है। क्या कहें देश की अखन्डता को खतरा है। येही तो दुश्मन चाहते है।धन्यवाद।
तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना भी एक कला है .लेकिन अंत में निर्णय पाठक पर ही छोड़ा जाता है की वो क्या सोचते है . आपने तो हमें इस काबिल भी नही छोड़ा. गाँधी की बात करते हैं लेकिन उनके संदेशों का गला घोटते हैं .
उन्होंने तो अंत तक कभी किसी को गलत नही कहा हाँ अपनी असहमति व्यक्त करने में कोताही नही करते .(Ref. Day to Day with Gandhi , Mahadev Desai ,vol.9 )
ये चीज़ शान्ति के लिए बहुत ज़रूरी है जिसे हम आप भी नहीं समझ सकते तो आप और किस से उम्मीद कर सकते हैं .
लिखने से पहले सिक्के के दोनों पक्षों को देखने - दिखाने के बाद ही निर्णय पर पहुँचने की उम्मीद की जा सकती है कम से कम यदि आप सम्पाद्किये पढते है तो कुलदीप नय्यर , खुशवंत जी , ऐ जी नूरानी से कुछ प्रेरणा ले ही सकते हैं .
सब झूठी बात हैं
यह दूसरी पार्टी वालों की चाल है
सुमन जी,
हम किसी पर इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते हैं. क्योंकि व्यक्ति व्यक्ति पर निर्भर करता है. हमारी सेना में कुछ गद्दार भी मिल जाते हैं तो क्या आप पूरी सेना को गद्दार करार दे सकते हैं. इसी तरह से पूरी संगठन को आप कटघरे में खड़ा नहीं कर सकते . १९९२ में जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था तो हमारे ही इलाके में सामने रहने वाले पड़ोसियों ने धावा बोलने के लिए मय तलवारों के शुरुआत की थी लेकिन संपर्क सूत्रों से तब हमें आर एस एस वालों की सतर्कता ने ही बचाया था और किसी बड़े नर संहार पर पूर्णविराम लगाया था.
आतकवादियों की कोई जाती नहीं होती और जो होते हैं वे डंके की चोट पर हादसे करके जिम्मेवारी ले लेते हैं. अगर अन्य समुदाय अपने संगठन बना कर अपनी मान्यताओं के लिए कार्य कर सकते हैं तो हिन्दू क्यों नहीं? वे सांप्रदायिक नहीं हैं. अपने संप्रदाय की रक्षा करना गलत नहीं है चाहे वो जो भी हो. मैं किसी वाद में विश्वास नहीं रखती . मैं सिर्फ मानववाद की हिमायतीहूँ.
जानकारी मिली।
पढ़कर जानकारी मिली, धन्यवाद. इसी प्रकार दूध के धुले मुस्लिम/इस्लामी संगठनों के बारे में भी विस्तार से बताएं.
संघ के अलावा किसी संगठन का नाम जो देश में किसी भी आपदा के समय सबसे पहले सहायता के लिए पहुंचता हो !!!!!!!!
hamesha ki tarah super post.
हिन्दु कभी आतंकवादी नहि हो सकता ।
हिन्दुओ को बदनाम करने वाले आप जैसे जुठे सेक्युलरो को इस्लामिक आतंकवाद क्यो नहि दिखाइ देता? हिन्दुओ को नसिहत देने वले कभी मुसलमानो को कुछ नसिहत देगे? गाधीजी भी यही करते थे। वो मंदिर मे कुरान पढते थे पर कभी मस्जिद मे गीता नहि पढी। ऐसा क्यो? ए कैसा सर्व-धर्म समभाव? मुसलमानो के मानवाधिकार की बात करने वाले बौधिक और सेक्युलर कश्मीर के निर्वासीत कश्मीरी पंडितो के मानवाधिकार की बात क्यो नहि करते? ये कैसे सेक्युलर? कोइ बतायेगा इस बारेमे ? ये बौधिको और सेक्युलरो को कश्मीर का अलगाववाद क्यो नहि दिखाइ नहि देता?
सुमन जी , आप की प्रतिबद्धता वाम पंथ से है वह तो ठीक है लेकिन अपनी बात को सिद्ध करने के लिए असत्य , अर्धसत्य और प्रोपोगंडा का इस्तेमाल कहाँ तक जायज है | आज का समय सूचना का युग है , यहाँ हर जान कारी एक क्लिक पर उपलब्ध है |
अब मुद्दे की बात, इसी केस में CBI के डायरेक्टर यह पहले कह चुके हैं कि RSS के किसी कार्यकर्ता के शामिल होने का कोइ सबूत उन्हें नहीं मिला और संघ से उन्हें जांच में पूरा सहयोग मिला | अब राजस्थान ATS तो लगता है या तो CBI से ज्यादा कुशल है या कांग्रेस से ज्यादा प्रतिबद्ध यह फैसला आप सब की समझदारी पर निर्भर है |
यूपीए की पहली सरकार ने हंसराज भारद्वाज का इस्तेमाल करके पहली पारी में बोफोर्स का केस निपटाया था | अब दूसरी पारी में राजनैतिक प्रतिद्वंदी भाजपा को निपटाने की कोशिश में उसके शक्तिपुंज RSS को बदनाम करने का प्रोपोगंडा और मुसलमानों को रिझाने का प्रयास है जो बाबरी के बाद दूर हो गए हैं | इसमे वाम पंथी जाने अनजाने उनके हाथ का खिलौना बन रहे हैं
bhayi jaan aapne sch likh to diya he lekin yeh itna kdvaa he ke bs ab aapko savdhan rhne ki zrurt he . akhtar khan akela kota rajsthan
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