शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

भेदिया धसान है न लोकतंत्र है न संविधान है


उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत जो संगठन धरना प्रदर्शन के माध्यम से अपनी बात कहने राजधानी लखनऊ जाते हें उन पर सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप लाठी और गोली से स्वागत किया जाता है। कल मनरेगा सेवकों पर राजधानी पुलिस ने जमकर लाठियां व गोलियां चलायी। काफी लोग जख्मी हुए और मीडिया ने अपने अपने समाचारों से प्रशासन को सुरक्षित किया। प्रदर्शनकारी शहीद स्मारक के पास गोमती नदी में कूद गए। पुलिस ने नदी में भी उनको पीटने से बाज नहीं आये।


लो क सं घ र्ष !

1 टिप्पणी:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सुमन जी, आज की मेरी यह टिपण्णी आप उस अंदाज में कदापि मत लीजिएगा , जिस अंदाज में मैं अक्सर आपके द्वारा हिन्दू/ हिंदुत्व के खिलाप लिखने पर देता हूँ ! इसे आप प्युओर्ली एक पोलिटिकल टिपण्णी समझिएगा ! आपको याद होगा आज से करीब शायद 3 साल पहले अपने इसी माया शासन की तारीफ की थी , और शायद मैंने तब भी आपकी बातों का विरोध किया था ! किसलिए ? यही वजह थी जो आज अप लिख रहे है !

खैर मैं आपके आज के इस लेख की पूरी तारीफ़ करता हूँ !

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