लोकतांत्रिक देशों में लिंगभेद के आधार पर कोई फैसला नहीं होता है लेकिन वास्तव में अधिकांश फैसले पुरुषवादी मानसिकता के तहत होते हैं। भारत में स्त्री को दुर्गा, सरस्वती, पार्वती जैसे विश्लेषण से विभूषित किया जाता है लेकिन सच यह भी है कि पूरी दुनिया में स्त्रियों की बुरी दशा है और एक बड़ी संख्या में स्त्रियों को देह व्यापार जैसे कार्यों में जबरदस्ती लगाया गया है। स्त्रियों की दुर्दशा का अभी महत्वपूर्ण मामला बिहार में देखने को आया है। 2005 में राष्ट्रीय जनता दल से विधायक चुनी गयी बीमा भारती को उनके पति अवधेश मंडल ने बुरी तरह मारा पीटा की उनको अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है। घटना के समय विधायक के अंगरक्षक तमाशा देखते रहे। इस समय भी बीमा भारती सत्तारूढ़ दल जनता दल (यू) की विधायक हैं। बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार उनका हाल-चाल लेने के लिए अस्पताल भी गए।
अपने देश में महिलाओं के आरक्षण के तहत जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर सदस्य ग्राम पंचायत तक महिलाएं निर्वाचित होकर पदासीन होती हैं वहीँ संसद तथा विधान सभाओं में निर्वाचित होकर मंत्री बनती हैं। देश की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल हैं। इन में कितनी निर्वाचित महिलाओं की पिटाई आये दिन उनके पति करते होंगे और वह बेचारी समाज में अपनी पदीय विवशता के कारण अपनी बात को भी नहीं कह सकती हैं।
आज जरूरत इस बात की है कि हमारी शिक्षा दीक्षा इस तरह से निर्धारित कि जाए की उस में लिंग भेद समाप्त हो अन्यथा हम आप नारे लगते रहेंगे और महिलाओं कि दशा में कोई सुधार नहीं होगा।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
4 टिप्पणियां:
सिर्फ़ आरक्षण के कुछ होने वाला नहीं है... महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए जागरूक होना होगा...
... saarthak charchaa !!!
इसका एक मात्र उपाय महिलाओं की शत प्रतिशत शिक्षित होना हैऔर शिक्षा से जागृति आयेगी। समय बदल रहा है। सदियों से चली आ रही विशमतायें कुछ दिनो मे नही बदला करती। आभार।
पढी लिखी महिला को तो मानसिक हिंसा भी झेलनी होती है शारीरिक हिंसा तो बहुत आम है वह अपनी बात को समाजिक प्रतिष्ठा के कारण किसी को बता भी नही पाती एवं घुटन का शिकार होती है । पढ लिख कर हर बात को सहन कर पाना उनके बस में नही होता फिर इस तरह की बात आम हो जाती है ।
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