शनिवार, 29 जनवरी 2011

यह पुलिस नहीं है कातिलों की जमात है

15 जून 2004 को गुजरात में पुलिस ने इशरत जहाँ चार अन्य को लश्कर का उग्रवादी बता कर पुलिस ने हत्या कर दी थीपुलिस ने फर्जी मुठभेड़ के बाद प्रिंट इलेक्ट्रोनिक मीडिया से यह समाचार प्रसारित करवाया था कि उक्त उग्रवादी लश्कर के हैं और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने आये थेगुजरात के माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जयंत पटेल अभिलाषा कुमारी के समक्ष विशेष जांच टीम के वरिष्ठ आई.पी.एस अफसर सतीश वर्मा ने शपथ पत्र देकर कहा है कि एनकाउन्टर फर्जी था इस मामले में एक अलग प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की आवश्यकता हैइसी तरह उत्तर प्रदेश में भी तत्कालीन पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह के समय में आये दिन एस.टी.एफ पुलिस कहानियां गढ़ कर फर्जी एनकाउन्टर करती रही हैउसके एवज में प्रौन्नति तमाम तरह के ईनाम इकराम हासिल किये हैंदेश के अन्दर पुलिस तंत्र की गतिविधियों को देखते हुए यह लिखना उचित होगा कि यह पुलिस नहीं है कातिलों की जमात है

सुमन
लो क सं घ र्ष !

3 टिप्‍पणियां:

Kajal Kumar ने कहा…

पुलिस को जब तक राज्य के चंगुल से बाहर नहीं किया जाएगा इसका यूं ही दुरूपयोग होता रहेगा.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

yeh sb siyast kaa nnga khel he mere bhaai . akhtar khan akela kota rajsthan

Pravin chandra roy ने कहा…

Haa ish desh ka nam jab tak india rahega aisa hota rahega kyunki yahan ab koi hindustani nahin raha. ye British ki police hai.

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