माननीय उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग में पी जे थामस की नियुक्ति के सम्बन्ध में विधिक सवाल उठाएं हैं। जिस पर केंद्र सरकार ने कहा कि आरोप पत्र लंबित होने से कोई व्यक्ति अपराधी नहीं हो जाता है। सरकार जब चाहे अपने मन से हर मामले की अपनी अलग व्याख्या कर लेती है। एक शस्त्र लाईसेंस लेने में यदि आपके ऊपर कोई मुकदमा अगर चला है और उसमें आप दोष मुक्त भी हो गए तो भी आपको नहीं मिलेगा। गुंडा एक्ट की कार्यवाई या जितने भी निरोधक कानून हैं उनमें दोषमुक्त वादों के आधार पर भी कार्यवाई सरकार करती है। दोहरा माप दंड अपनाना सरकार का अपना धर्म है किन्तु ए राजा से लेकर शरद पवार, कपिल सिब्बल, ममता बनर्जी भ्रष्टाचारियों व अपराधियों के सरगना हैं। जनता इनका कुछ नहीं कर सकती है क्यूंकि यह सब विधि निर्माता भी हैं। पी.जे थामस से लेकर ए.पी सिंह या भारतीय प्रशासनिक सेवा (भारतीय भ्रष्टाचार सेवा) के अधिकारियों के कारनामे जगजाहिर हैं। अधिकांश : इस सेवा के अधिकारीयों की अगर आर्थिक स्तिथि की जांच कराई जाई तो सफेदपोश अपराधी ही निकलेंगे। ए रजा ने कहा भी है कि मैंने कोई अकेले फैसला नहीं लिया है कैबिनेट का फैसला है। अब इस तरह से सारे लोग भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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