बहुत जानता है तू
बहुत कुछ सीखा है
पंडित है कर्मयोगी है
ज्ञेय है तुझे सब
पढ़ा है ग्रंथों को
जानता है अनेक रहस्य
बता मुझे पीड़ा क्या है ?
कैसी होती है पीड़ा ?
प्रेम कीए प्रताड़ना की
प्रताड़ित मन के प्रति
प्रेम से उपजी पीड़ा
जानता भी है तू ?
पीड़ा क्या होती है ?
यदि नहीं तो छोड़
जो तुम्हें एक साधारण
मनुष्य भी नहीं छोड़ता
-केदार नाथ कादर
बहुत कुछ सीखा है
पंडित है कर्मयोगी है
ज्ञेय है तुझे सब
पढ़ा है ग्रंथों को
जानता है अनेक रहस्य
बता मुझे पीड़ा क्या है ?
कैसी होती है पीड़ा ?
प्रेम कीए प्रताड़ना की
प्रताड़ित मन के प्रति
प्रेम से उपजी पीड़ा
जानता भी है तू ?
पीड़ा क्या होती है ?
यदि नहीं तो छोड़
इस पांडित्य ढोंग को
जो तुम्हें एक साधारण
मनुष्य भी नहीं छोड़ता
-केदार नाथ कादर
2 टिप्पणियां:
व्याकुल भावों की सहज अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना!!!
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