महान आदमी पैदा नहीं होता है, बल्कि मामूली आदमी जब महान कार्य करता है तो वह महान बन जाता है, अन्ना हजारे के बारे में यही बात सच है। फ़ौज का अवकाश प्राप्त मामूली ड्राईवर अन्ना हजारे आज अख़बार की सुर्ख़ियों में है और कोई 43 वर्षों से संसद की अलमारी में कैद लोकपाल बिल न केवल संसद में, बल्कि गाँव-गाँव, नगर-नगर और डगर-डगर पर बहस का मुद्दा बन गया। जाहिर है, भ्रष्टाचार से लुंज-पुंज प्रशासन सटोरियों, कालाबाजारियों, जमाखोरों, मुनाफाखोरों पर कारगर कार्यवाई करने के मामले में पूरी तरह लकवाग्रस्त है।
लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बड़े आदमी की कमजोरी भी बड़ी होती है। अन्ना इसके अपवाद नहीं हैं। लोकपाल विधेयक के दायरे में कर्मचारी से लेकर प्रधानमंत्री तक लाये जायें, यह बात तो जल्दी ही जनता की समझ में आ गयी, किन्तु अन्ना के जन लोकपाल विधेयक के दायरे से एन जी ओ और कार्पोरेट से परस्पर सहयोग का सम्बन्ध रखते हैं, इसलिए उनपर इतनी मेहरबानी की गयी है। गांधीजी का अवतार होने का दावा करनेवालों को यहाँ यह बताना लाजिमी होगा कि जब साधारण कर्मचारी और महान प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखा जायगा तो साधन संपन्न एनजीओ और मगरमच्छ कार्पोरेट क्यों खुला करेंगे ?
ख़बरों के मुताबिक लीबिया की राजधानी त्रिपोली की रक्षा का कमान जिस फौजी के हाथों में था, उसे घूस देकर नाटो कमान ने अपनी तरफ पटा लिया। गद्दाफी के खिलाफ विद्रोही सेना ने जैसे ही त्रिपोली में कदम रखा उस फौजी अफसर ने हथियार दाल दिए। इस पूरे कारनामे में यूरोपीय तले कंपनियों की बड़ी भूमिका बताई जाती है, जिनकी गिद्ध द्रष्टि लीबिया के तले खदानों पर लगी है। व्यापारिक लाभ के लिये आक्रमण का औपनिवेशिक इतिहास पुराना है। हम भारतवासी भी भली प्रकार जानते हैं की कलकत्ता का सबसे बड़ा व्यापारी अमीरचंद और सबसे बड़े बनकर जगत सेठ ने अपने व्यापारिक हित में कैसे अंग्रेजों की यास्त इंडिया कंपनी का साथ दिया और पलासी युद्ध में मेरे जफ़र ने कैसे अपना पाला रातोरात बदल दिया, जो भारत की गुलामी का कारण बना। व्यापारियों और बैंकरों के लिये देशभक्ति के सामने मुनाफा ज्यादा प्रिय होता है। आज के वैश्विक व्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के स्वार्थ देश की सीमा में बंधे नहीं हैं। ऐसी स्तिथि में अन्ना के जन लोकपाल में एनजीओ और कंपनियों को विमुक्त करने का प्रावधान मासूमियत से भरा मान भी लिया जाये, तो भी अगर इसे स्वीकार किया गया और कानून की शक्ल देने के गहरे दूरगामी प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता है। कम से कम इसके दुरपयोग की प्रबल संभावनाएं तो होंगी ही।
विदेशों में जमा कालाधन को वापस लाने की मांग कुछ दिन पूर्व जोर पकडती नजर आई। सरकार की तरफ से से कहा गया कि कला धन को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित किया जायेगा। इसे तो अभी देखना है कि सरकार क्या करती है, किन्तु इसी बीच उल्टी गंगा बहती नजर आती है। भारतीय रिजर्व बैंक के प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में भारत में विदेशी निवेश घटकर 27 विलियन डॉलर हो गया जो पिछले साल के मुकाबले 70 प्रतिशत कम है, किन्तु इसी अवधि में भारत से पूँजी का बहिर्गमन 44 मिलियन डालर की ऊंचाई पर चला गया , जो पिछले साल की तुलना में 150 पतिशत ज्यादा है। इसके मायने साफ़ है की अभी कालाधन भारत में वापस आना तो दूर की बात है, भारत का सफ़ेद धन भी भारत से छूमंतर हो रहा है।
सत्य नारायण ठाकुर
लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बड़े आदमी की कमजोरी भी बड़ी होती है। अन्ना इसके अपवाद नहीं हैं। लोकपाल विधेयक के दायरे में कर्मचारी से लेकर प्रधानमंत्री तक लाये जायें, यह बात तो जल्दी ही जनता की समझ में आ गयी, किन्तु अन्ना के जन लोकपाल विधेयक के दायरे से एन जी ओ और कार्पोरेट से परस्पर सहयोग का सम्बन्ध रखते हैं, इसलिए उनपर इतनी मेहरबानी की गयी है। गांधीजी का अवतार होने का दावा करनेवालों को यहाँ यह बताना लाजिमी होगा कि जब साधारण कर्मचारी और महान प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखा जायगा तो साधन संपन्न एनजीओ और मगरमच्छ कार्पोरेट क्यों खुला करेंगे ?
ख़बरों के मुताबिक लीबिया की राजधानी त्रिपोली की रक्षा का कमान जिस फौजी के हाथों में था, उसे घूस देकर नाटो कमान ने अपनी तरफ पटा लिया। गद्दाफी के खिलाफ विद्रोही सेना ने जैसे ही त्रिपोली में कदम रखा उस फौजी अफसर ने हथियार दाल दिए। इस पूरे कारनामे में यूरोपीय तले कंपनियों की बड़ी भूमिका बताई जाती है, जिनकी गिद्ध द्रष्टि लीबिया के तले खदानों पर लगी है। व्यापारिक लाभ के लिये आक्रमण का औपनिवेशिक इतिहास पुराना है। हम भारतवासी भी भली प्रकार जानते हैं की कलकत्ता का सबसे बड़ा व्यापारी अमीरचंद और सबसे बड़े बनकर जगत सेठ ने अपने व्यापारिक हित में कैसे अंग्रेजों की यास्त इंडिया कंपनी का साथ दिया और पलासी युद्ध में मेरे जफ़र ने कैसे अपना पाला रातोरात बदल दिया, जो भारत की गुलामी का कारण बना। व्यापारियों और बैंकरों के लिये देशभक्ति के सामने मुनाफा ज्यादा प्रिय होता है। आज के वैश्विक व्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के स्वार्थ देश की सीमा में बंधे नहीं हैं। ऐसी स्तिथि में अन्ना के जन लोकपाल में एनजीओ और कंपनियों को विमुक्त करने का प्रावधान मासूमियत से भरा मान भी लिया जाये, तो भी अगर इसे स्वीकार किया गया और कानून की शक्ल देने के गहरे दूरगामी प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता है। कम से कम इसके दुरपयोग की प्रबल संभावनाएं तो होंगी ही।
विदेशों में जमा कालाधन को वापस लाने की मांग कुछ दिन पूर्व जोर पकडती नजर आई। सरकार की तरफ से से कहा गया कि कला धन को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित किया जायेगा। इसे तो अभी देखना है कि सरकार क्या करती है, किन्तु इसी बीच उल्टी गंगा बहती नजर आती है। भारतीय रिजर्व बैंक के प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में भारत में विदेशी निवेश घटकर 27 विलियन डॉलर हो गया जो पिछले साल के मुकाबले 70 प्रतिशत कम है, किन्तु इसी अवधि में भारत से पूँजी का बहिर्गमन 44 मिलियन डालर की ऊंचाई पर चला गया , जो पिछले साल की तुलना में 150 पतिशत ज्यादा है। इसके मायने साफ़ है की अभी कालाधन भारत में वापस आना तो दूर की बात है, भारत का सफ़ेद धन भी भारत से छूमंतर हो रहा है।
सत्य नारायण ठाकुर
5 टिप्पणियां:
अच्छा। लोकपाल से बाहर करने की बात से ही पता चलता है कि माजरा क्या है।
anna hazare sahab ko aaina dikhane ke liye dhanyabaad...
लोकपाल के दायरे में एनजीओ व कोर्पोरेट को लाने के मुद्दे से मैं भी सहमत हूँ यही एक मुद्दा है जो टीम अन्ना पर भरोसा करने में संशय पैदा करता है |
फ़ौज का अवकाश प्राप्त मामूली ड्राईवर अन्ना हजारे आज अख़बार की सुर्ख़ियों में है
नीचे दिये हुये सभी पुरुस्कार जिसमे पद्म्भुषण और पद्म्श्री भी शामिल है प्राप्त कोई भी साधरण कैसे हो सकता है मै नही समझता की आपका व्यक्तित्व इतना महान है कि आप अण्णा हजारे के लिये गैर सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करे आप कि विचारधारा से मै अच्छी तरह परचित हूं आप लाल रंग का चश्मा उतार कर पह्ले अण्णा जी के बारे में पढें बाकी आप कम समझदार तो है नही.....
Awards to Anna Hazare
PADMABHUSHAN AWARD
Presented by R. Venkatraman ( president of India) on 6th April 1992 at Delhi for Anna Hazare's social work.
PADMASHRI AWARD
Presented by R. Venkatraman ( President of India) on 24th march 1990 at Delhi for Anna Hazare's social work.
PRIY DARSHINI VRIKSHA MITRA AWARD, GOVT. INDIA
KRUSHI BHUSAHAN GOVT. OF MAHARASHTRA
YOUNG INDIA AWARD
MAN OF THE YEAR AWARD 1988
PAUL MITTAL NATIONAL AWARD 2000 (NEHRU SIDHANT KENDER TRUST LUDHIYNA 14001)
Presented by shri. Balaramji Das Tandon (Minister, Punjab) on 14th november 2000.
TRANSPARENCY INTERNATIONAL (IT) INTEGRITY AWARD 2003 FROM TRANSPARENCY INTERNATIONAL .
DOCTORATE DEGREE GANDHIGRAM RURAL INSTITUTE-DEEMED UNIVERSITY GANDHIGRAM DINDIGUL, TAMIL NADU-8-11-05
VIVEKANANDA SEVA PURASKAR 1994
Presented by Shri.Bada Bajar Kumar Sabha Pustakalay, Calcutta on 12th June 1996 for Anna Hazare's social work done for develop village as a family.
SHIROMANI AWARD 1996
presented by P.A.Sangma (Speaker of Lok sabha) on 22nd February 1997 at New Delhi for Anna Hazare’s contribution to National Development Integration, Enrichment of life and for his outstanding achievements in the choosen field of activities(social service).
MAHAVEER PURASKAR 1997
presented by Bhagwan Mahaveer Foundation , Chennai on 2th April 1997 for Anna Hazare’s excellent in sphere of social & community service.
DIWALIBEN MEHTA AWARD
presented by Shri.Panduranga Shastri Athavale on 8th January 1999 at Mumbai for Anna Hazare’s Hard, Sincere, Dedicated & Devoted social work.
CARE INTERNATIONAL AWARD 1998
presented by Care International Humanitarian on 8th May 1998 at Washington,D.C, USA for Anna Hazare demonstrating a profound commitment to improving life in developing world. Care Recognized Anna Hazare’s devotion to the ideas of sustainable development with whole hearted participation of villagers including women & youth.
GIANTS INTERNATIONAL AWARD
presented by Shri.Vilas Rao Deshmukh (Chief Minister of Maharashtra) on 17th sept. 2000 for Shri.Anna hazare's social work
BASAVSHRI PRASHASTI 2000 AWARD
Presented by Shri.Jagadguru Murugharajendra Brihan Math at S.J.M.Math, Chitradurga , Karnataka on 4th June 2000 for Anna Hazare’s relentless effort to bring in the value of based way of life in the society.
NATIONAL INTERGRATION AWARD
presented by (Dhum-Lajee)chiefminister- Himothkursh Sahithy Samskruthi Avam Jana Kalyal Parishad, UNA, Himachal Pradesh on 14th February 1999 for Anna Hazare’s Social Work.
VISHWA-VATSALYA & SANTBAL AWARD
presented at Ahamadabad for Anna Hazares universal services to mankind including his incessant fight against corruption and his inspring efforts to improve the living condition of the poor & to ri\aise the ethical levels of the society.
JANA SEVA PURASKAR
presented by Smt.Rajmathi at Sangle, Maharashtra on 28th February 1998 for Anna Hazares Social Work.
ROTARY INTERNATIONAL MANAV SEVA PURASKAR
presented by Supreme Court Judge Shri. D.P.Wadhwa at India Habital Center , Lodhi Road, New Delhi on 21st Feb 1998 for Anna Hazare’s Crusade against Corruption .
ye bhi ek kranti rahi, par har baar itihas gvah hai koi bhi kranti pahli baar me hi safal nahi ho jati , lokpal ke sath bhi yahi hai , isme bhi pahle ki bhanti kuchh 2 baten adhuri rah gayi hai ......
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