रविवार, 16 अक्तूबर 2011

पंजाब में भूमि अधिग्रहण के विरुद्ध आंदोलनरत किसानो पर पुलिसिया कहर


23 अगस्त को पंजाब के मंसा जिले के गोविन्दपुरा में डिप्टी कमिश्नर के आफिस के सामने भूमि अधिग्रहण का विरोध करते हुए किसानो पर पुलिस ने लाठिया बरसाई | इसके फलस्वरूप दो दर्जन किसान घायल हो गये | पंजाब के गोविन्दपुरा , सिरसिबाला, ज्लेबरा , और बरेटा गाँव में किसानो कि बेहद उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है | यह अधिग्रहण एक प्राइवेट कम्पनी द्वारा 1320 मेगावाट बिजली के थर्मल पावर हाउस के लिए किया जाना है | इस परियोजना के लिए 880 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है | महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वहा के किसान और उनके समर्थन में उतरे कई संगठन पिछले 4 महीने से इस अधिग्रहण का विरोध करते रहे थे | लेकिन प्रचार माध्यमो में इसकी खबर नही आई या बहुत कम आई | वह एक उलेख्य्नीय खबर तभी बन पायी जब दो दर्जन किसान डिप्टी कमिश्नर के आफिस के सामने 22 अगस्त से लगातार चार दिनों तक धरने पर बैठे रहे | इन्ही किसानो को वह से हटाने के लिए पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किया गया | यह लाठी चार्ज एकदम सुब्ह के समय किया गया , जिस समय ज्यादातर किसान धरना स्थल पर अभी सो रहे थे | ऊपेर से यह प्रचार भी किया गया कि 880 एकड़ कि अधिग्रहित जमीन के ज्यादातर मालिक मुआवजा ले चुके है | केवल 166 एकड़ जमीन के मालिक किसानो द्वारा ही यह विरोध हो रहा है | क्योंकि वे ज्यादा मुआवजे कि माँग कर रहे है |थोड़ा बेहतर मुआवजा मिलने पर वे भी शांत हो जायेंगे | हो सकता है यही हो | लेकिन एक निजी कम्पनी और उसके लाभ के लिए पंजाब जैसे क्षेत्र कि बेहद उपजाऊ जमीनों को किसानो से छीना जाना उचित है ? एकदम नही | लेकिन हो क्या रहा है | एक कम्पनी के निजी मालिकाने व लाभ को बढाने के लिए कई गाँवों के निजी मालिको यानी किसानो की उपजाऊ जमीन का मालिकाना हक छीना जा रहा है | साफ़ बात है की भूमि अधिग्रहण के रूप में बढ़ता निजीकरण व्यापक जनहित में किया जा रहा अधिग्रहण नही है |बल्कि व्यापक जनहित - किसान हित के विरुद्ध किया जाने वाला अधिग्रहण व निजीकरण है | इसका विरोध करना जनहित में किसानो के हित में एकदम न्याय संगत है |

सुनील दत्ता
पत्रकार
09415370672

1 टिप्पणी:

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

खबर तो बुरी है लेकिन ये किसान शायद फँस जाएंगे और अपनी स्थाई सम्पत्ति गँवा बैठेंगे…

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