23 अगस्त को पंजाब के मंसा जिले के गोविन्दपुरा में डिप्टी कमिश्नर के आफिस के सामने भूमि अधिग्रहण का विरोध करते हुए किसानो पर पुलिस ने लाठिया बरसाई | इसके फलस्वरूप दो दर्जन किसान घायल हो गये | पंजाब के गोविन्दपुरा , सिरसिबाला, ज्लेबरा , और बरेटा गाँव में किसानो कि बेहद उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है | यह अधिग्रहण एक प्राइवेट कम्पनी द्वारा 1320 मेगावाट बिजली के थर्मल पावर हाउस के लिए किया जाना है | इस परियोजना के लिए 880 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है | महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वहा के किसान और उनके समर्थन में उतरे कई संगठन पिछले 4 महीने से इस अधिग्रहण का विरोध करते रहे थे | लेकिन प्रचार माध्यमो में इसकी खबर नही आई या बहुत कम आई | वह एक उलेख्य्नीय खबर तभी बन पायी जब दो दर्जन किसान डिप्टी कमिश्नर के आफिस के सामने 22 अगस्त से लगातार चार दिनों तक धरने पर बैठे रहे | इन्ही किसानो को वह से हटाने के लिए पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किया गया | यह लाठी चार्ज एकदम सुब्ह के समय किया गया , जिस समय ज्यादातर किसान धरना स्थल पर अभी सो रहे थे | ऊपेर से यह प्रचार भी किया गया कि 880 एकड़ कि अधिग्रहित जमीन के ज्यादातर मालिक मुआवजा ले चुके है | केवल 166 एकड़ जमीन के मालिक किसानो द्वारा ही यह विरोध हो रहा है | क्योंकि वे ज्यादा मुआवजे कि माँग कर रहे है |थोड़ा बेहतर मुआवजा मिलने पर वे भी शांत हो जायेंगे | हो सकता है यही हो | लेकिन एक निजी कम्पनी और उसके लाभ के लिए पंजाब जैसे क्षेत्र कि बेहद उपजाऊ जमीनों को किसानो से छीना जाना उचित है ? एकदम नही | लेकिन हो क्या रहा है | एक कम्पनी के निजी मालिकाने व लाभ को बढाने के लिए कई गाँवों के निजी मालिको यानी किसानो की उपजाऊ जमीन का मालिकाना हक छीना जा रहा है | साफ़ बात है की भूमि अधिग्रहण के रूप में बढ़ता निजीकरण व्यापक जनहित में किया जा रहा अधिग्रहण नही है |बल्कि व्यापक जनहित - किसान हित के विरुद्ध किया जाने वाला अधिग्रहण व निजीकरण है | इसका विरोध करना जनहित में किसानो के हित में एकदम न्याय संगत है |
सुनील दत्ता
पत्रकार
09415370672
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1 टिप्पणी:
खबर तो बुरी है लेकिन ये किसान शायद फँस जाएंगे और अपनी स्थाई सम्पत्ति गँवा बैठेंगे…
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