हमारे प्रदेश उत्तर प्रदेश में 2007 से 2010 तक नेशनल रुरल हेल्थ मिशन के तहत 7200 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। जिसमें लगभग 3500 करोड़ का घोटाला हुआ है प्रदेश सरकार के कई मंत्री लोकायुक्त जांच के बाद हटाये जा चुके हैं और कई मंत्री विभिन्न अपराधों में जेल की शोभा बाधा रहे हैं। अराजकता का बोलबाला है। सरकार की माली हालत यह है कि आये दिन मुख्यमंत्री मायावती केंद्र सरकार से गोहार लगाती हैं इस योजना के लिये पैकेज दो और कभी-कभी वेतन बांटने के लिये विभिन्न वित्तीय हथकंडे अपनाये जाते हैं। उत्तर प्रदेश निश्चित रूप से 75 जिलो वाला बड़ा प्रदेश है। जिसकी व्यवस्था की जिम्मेदारी सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी के हाथों में है। और वह व्यवस्था प्रदेश की करने में असमर्थ पाकर चार भागों में प्रदेश को बांटने का संकल्प विधानसभा में पारित करने जा रही है। बुंदेलखंड, अवध प्रदेश, पूर्वांचल और पश्चिम प्रदेश के नाम के नए राज्य होंगे। एक- एक प्रदेश की राजधानी के निर्माण हेतु लाखों लाख करोड़ की आवश्यकता होगी जिससे जनता के ऊपर करो का और बोझ डाला जायेगा। प्रदेश में छोटे-छोटे जिले मायावती सरकार ने बनाये हैं। जिनमें आज भी समुचित प्रारंभिक व्यवस्था तक नही कर पायी हैं। कुछ प्रस्तावित नए प्रदेशों को अपने राज्य की नौकरशाही व कर्मचारियों को वेतन देने के लिये हमेशा कोई न कोई वित्तीय हथकंडा अपनाना पड़ेगा। हाँ अवध प्रदेश की राजधानी यदि लखनऊ होती हैं तो मूर्तियों के आशीर्वाद से शायद कोई चमत्कार हो जाए। कुछ लोगों का तर्क यह हो सकता है कि छोटे राज्यों के होने से विकास होगा किन्तु वास्तव में ऐसा नही है। कंक्रीट की दीवार खड़ा कर देने का नाम विकास समझते हैं वास्तविक धरातल पर देखा जाए तो आम जनता की थाली से अरहर की दाल काफी पहले गायब हो चुकी है। पढाई लिखाई के लिये फीस देने के लिये बैंको से लोन लेना पड़ रहा है। नए प्रदेशों के बनने के बाद भ्रष्टाचारी तबकों की एक ऐसी बढ़ आती है कि आम आदमी के पास कुछ बचता ही नहीं है।
चुनाव आ रहे हैं अपने काले कारनामो की तरफ से राजनितिक दल जनता की भवनों से खेल रहे हैं। कुर्सी पाने के लिये तरह-तरह के राग अलापे जा रहे हैं मुख्यमंत्री मायावती ने अपने सरकार के काले कारनामो को छिपाने के लिये प्रदेश विभाजन का संकल्प विधानसभा में पारित करने का लिया है जिससे प्रदेश में विभाजन को लेकर जनता तू-तू मैं-मैं करने लगे और जनता की विकास सम्बन्धी भावनाओ का लाभ उठा कर पुन: राज्य सरकार स्थापित की जा सके। वास्तव में यह पृथक्तावादी सोच के राजनेता अगर केंद्र सरकार की कुर्सी के ऊपर बैठे हों और अपने काले कारनामो को छिपाने के लिये तथा पुन: सत्ता में आने के लिये देश का विभाजन भी कर सकते हैं। इसके पीछे भी उनका तर्क होगा कि देश में हजारो समस्याएं है जिनका समाधान इतने बड़े मुल्क में करना संभव नही है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
सुमन
लो क सं घ र्ष !
6 टिप्पणियां:
कर दो, जो करना है? अभी कौन सा इस देश कुछ ठीक हो रहा है?
तीन चौथाई यूपी का तो मूर्तियों से पीछा छूटेगा...
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-701:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सटीक विमर्श.. सहमत।
yah neta apne hiton ke liye kuch bhi kar sakte hain...
in netaon ke bare men jo kuchh bhi kaha jae kam hoga.ye choron ke sardar hain aur desh ko bantna to kya desh ko girvi bhi rakh sakte hain.
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