गुरुवार, 17 नवंबर 2011

श्री श्री और आर्ट ऑफ पोलिटिक्स


जैसे-जैसे उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे बाबाओं और भगवानों का इस राज्य के प्रति प्रेम बढ़ता ही जा रहा है। उनके उप्र दौरों की संख्या में अचानक वृद्धि हो गई है। इनमें से अधिकतर गुरू, भ्रष्टाचार का जीजान से विरोध करने में अपनी आध्यत्मिक उर्जा व्यय कर रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं बाबा रामदेव एवं श्री श्री रविशंकर। श्री श्री इसके पहले अन्ना के साथ थे और अन्ना की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अन्ना आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे अन्ना की जेल यात्रा के दौरान अन्ना और उनके साथियों के बीच संवाद सेतु थे। ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान ने अचानक आकाशवाणी के जरिए श्री श्री और बाबा रामदेव को देश में भ्रष्टाचार के फैलते मकड़जाल से अवगत कराया है और वे इसे जड़मूल से उखाड़ फेंकने में जुट गए हैं।
पिछले कुछ समय से बाबा रामदेव के प्रवचनों में भ्रष्टाचार-विरोध का एक परिषिष्ट अनिवार्य रूप से शमिल रहता है। इसी तरह, आर्ट ऑफ लिविंग के अविष्कारक श्री श्री अपने शिष्यों को यह बताते नहीं थकते कि भ्रष्टाचार का विरोध कितना जरूरी है। इसी बीच, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि रामदेव, अन्ना और श्री श्री, दरअसल, आरएसएस के मोहरे हैं और वे समाज और चुनावी राजनीति में आरएसएस के एजेन्डे को लागू कर रहे हैं। रामदेव की भाजपा से नजदीकियां जगजाहिर हैं और कुछ समय पूर्व उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी गठित करने का विचार भी बनाया था। अलबत्ता, श्री श्री ने कभी इस भाषा में बात नहीं की और वे लगातार यह कहते रहे हैं कि उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि उनकी उत्तरप्रदेश यात्रा, उनके उस देशव्यापी कार्यक्रम का हिस्सा मात्र है जिसके अंतर्गत वे लोगों को यह शपथ दिलाते रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार का विरोध करेंगे।

दिग्विजय सिंह गला फाड़-फाड़कर चिल्ला रहे हैं कि श्री श्री का राजनैतिक एजेन्डा है और वे आरएसएस की सी टीम हैं। क्या श्री श्री सचमुच राजनीति में दिलचस्पी ले रहे हैं? क्या वे संघ परिवार का हिस्सा हैं? यह तो साफ है कि श्री श्री ने न तो कभी शाखाओं में भाग लिया है और न ही बौद्धिकों में हिस्सेदारी की है। उन्हें खाकी हाफ पेन्ट पहनकर नमस्ते सदा वत्सले का गायन करते हुए भी कभी नहीं पाया गया। परंतु साथ ही, यह भी स्पष्ट है कि श्री श्री चुनावी राजनीति को प्रभावित करने के लिए बनाई गई एक वृहद योजना का हिस्सा हैं। हमें यह समझना होगा कि चुनावी राजनीति केवल राजनैतिक हथियारों और तरीकों से नहीं की जाती। सामाजिक आंदोलनों और जनजागृति के कार्यक्रमों के जरिए भी चुनावी राजनीति का खेल खेला जाता है।

कोई भी कानून न तो सड़कों पर पारित किया जा सकता है और न ही उसे किसी समूह के दबाव में बनाया जा सकता है। यूपीए सरकार ने अन्ना टीम की मांगें लगभग मंजूर कर ली हैं और उन्हें पूरा करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। परंतु इसके बावजूद, अन्ना टीम सुबह-शाम यूपीए और कांग्रेस के खिलाफ आग उगल रही है और हिसार उपचुनाव में उसने खुलकर कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध किया। ऐसा लगता है कि अन्ना आंदोलन के एजेन्डे में जनलोकपाल बिल और भ्रष्टाचार विरोध के अतिरिक्त कुछ और कार्यक्रम भी शामिल हैं। बाबाओं के इस समूह का कोई गहरा, छिपा हुआ एजेन्डा है और श्री श्री, इस समूह के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। यूपीए सरकार पहले ही सूचना का अधिकार और नरेगा जैसे आमजनों का सशक्तिकरण करने वाले कानून बना चुकी है और भ्रष्टाचार-विरोधी कानून बनाने पर सहमत है। इसके बावजूद, अन्ना टीम और उससे जुड़े हुए बाबाओं का सरकार पर दबाव बढ़ाते जाना आश्चर्यजनक है। स्पष्टतः इस आंदोलन के पीछे कोई न कोई ऐसा उद्देश्य है जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है।

इस आंदोलन का राजनैतिक एजेन्डा उतना सीधा नहीं है जितना कि दिखलाई दे रहा है। क्या जनता को यह पूछने का हक नहीं है कि आध्यत्मिकता की आड़ में किसी ब्रांड विशेष की राजनीति को जनता पर क्यों थोपा जा रहा है? श्री श्री पिछले तीन दशकों में तेजी से उभरे हैं। युवावर्ग को उसके कार्यस्थल से जु़ड़े तनावों से मुक्ति दिलाने के लिए श्री श्री ने सुदर्शन क्रियाका अविष्कार किया जो कि पुरातन भारतीय परंपरा के श्वास आधारित व्यायामों का परिष्कृत रूप है। आज वे स्वर्गीय भगवान सत्यसांई, आसाराम बापू, बाबा रामदेव आदि के क्लब में शामिल हैं। एक ओर ये बाबा मन को भुलावा देने वाली, यथार्थ से दूर ले जाने वाली स्वस्थ बनो तकनीकों का प्रसार कर रहे हैं तो दूसरी ओर वे एक विशिष्ट सामाजिक ढांचे के पैरोकार बनकर भी उभरे हैं। धर्म के नाम पर की जा रही उनकी राजनीति में वंचितों, दलितों, महिलाओं और आदिवासियों के अधिकारों के लिए कोई जगह नहीं है। यही कारण है कि वे नितिन गडकरी, नरेन्द्र मोदी, राम माधव और उनके जैसे अन्य लोगों के साथ खड़े दिख रहे हैं। आश्चर्य नहीं कि इन सब का ध्यान इन दिनों उस राज्य पर केन्द्रित है जहां जल्दी ही चुनाव होने जा रहे हैं। उनकी राजनीति, एक तरह की हिन्दू राष्ट्र की राजनीति है जिसकी स्थापना के लक्ष्य को लेकर आरएसएस सन् 1925 से काम कर रहा है।

भ्रष्टाचार उन्मूलन के नारे में कुछ भी गलत नहीं है। परंतु यह आश्चर्य की बात है कि हजारे, रामदेव और श्री श्री को भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने का विचार एक साथ कैसे आया? यह भी महत्वपूर्ण है कि संघ प्रमुख ने यह दावा किया है कि उन्होंने अन्ना हजारे से यह मुद्दा उठाने का अनुरोध किया था। संघ के स्वयंसेवकों ने पूरे देश में इनके आंदोलन को समर्थन और सहयोग दिया। क्या यह मात्र संयोग है? कदापि नहीं। भ्रष्टाचार का विरोध करना अच्छी बात है परंतु क्या कारण है कि ये लोग दलितों पर अत्याचार, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों पर कुछ नहीं कहते। क्या ये समस्याएं महत्वपूर्ण नहीं हैं? इन बाबाओं को भोजन के अधिकार से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कभी यह कामना प्रगट नहीं की कि भारत साम्प्रदायिक दंगों से मुक्त देश बने। हम सबको यह जानने में गहरी दिलचस्पी है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, दलितों के लिए आरक्षण व अन्य कई मुद्दों पर श्री श्री और संघ-भाजपा के विचारों में इतनी समानता क्यों और कैसे है?


-राम पुनियानी

3 टिप्‍पणियां:

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

परंतु यह आश्चर्य की बात है कि हजारे, रामदेव और श्री श्री को भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने का विचार एक साथ कैसे आया? ……………अच्छा सवाल…

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A ने कहा…

kya aap ka kahna hai ki jo abhitak chal raha hai waisa hi chlana chahiye
kisine to shuruvaat ki to kya galat hai.kya sangh our bjp ko deshhit me sochne ka ya bhrashtchar k khilaf bolne ka haq nahi hai.aakhir congress ne kya kiya hai pichle 60 saal me.in anna ramdev our shri shri ki vajah se hi janta jagruk ho rahi hai our rajnetao ko sochna padega bhrashtachar karne k pahle. krupYA DUSRE DIGVIJAY SINGH NA BANE.

Arvind Pande Wardha ने कहा…

kya aap ka kahna hai ki jo abhitak chal raha hai waisa hi chlana chahiye
kisine to shuruvaat ki to kya galat hai.kya sangh our bjp ko deshhit me sochne ka ya bhrashtchar k khilaf bolne ka haq nahi hai.aakhir congress ne kya kiya hai pichle 60 saal me.in anna ramdev our shri shri ki vajah se hi janta jagruk ho rahi hai our rajnetao ko sochna padega bhrashtachar karne k pahle. krupYA DUSRE DIGVIJAY SINGH NA BANE.

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