परस्पर व्यापारिक ( खेल व संस्कृति के ) समझौतों के जरिये तो भारत - पाक के धनाढ्य एवं उच्च वर्गो के बीच एकजुटता बढाई जाती रही हैं | पर दोनों देशो के जनसाधारण के बीच एकताओ की जगह विरोध का बढना - बढाना निरंतर जारी रखा गया हैं |
अपने वाणिज्य व्यापार के लिए भारत ने पहले ही पाकिस्तान को सर्वाधिक प्राथमिकता वाला देश घोषित किया हुआ हैं |अभी हाल में पाकिस्तान ने भी भारत को सर्वाधिक प्राथमिकता वाला देश घोषित कर दिया हैं | पाकिस्तान के इस निर्णय का देश में चौतरफा स्वागत हो रहा है | यह कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के इस निर्णय से आपसी संबंधो को बढाने में एक बहुत बड़ी रुकावट दूर हो गयी हैं | अब दोनों देशो के बीच व्यापारिक संबंधो के बढने के साथ - साथ कुटनीतिक एवं दूसरे संबंधो के बढने की भी उम्मीदे बढ़ गयी है | इस देश के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री और पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री के बीच हुए समझौतों में नवम्बर 2011 से दोनों देशो के बड़े व्यापारियों के सुगम आवाजाही के लिए बीजा कानून में उदारवादी छूट देने पर आपसी सहमती जताई गयी है | इसके साथ ही दोनों देशो के बीच अब तक होते रहे 2.7 अरब डालर प्रतिवर्ष के व्यापार को 2014 तक 6 अरब डालर प्रति वर्ष पहुचाने पर भी सहमती जताई गयी है | दोनों देशो के मंत्रियों ने इन व्यापारिक छूटो व समझौतों से दोनों देशो के बीच दोस्ती को मजबूत करने , परस्पर समझदारी व विश्वास को बढाने का संयुक्त ब्यान भी जारी किया है | अपने संयुक्त ब्यान में उन्होंने सडक , रेल , जहाजरानी और वायूयान के क्षेत्र में भी परस्पर सहयोग को बढाने की बात कही है | पाकिस्तान ने आपसी वाणिज्य व्यापार के बढ़ते सहयोग के साथ दोनों देशो में परस्पर निवेश को बढाने के लिए "क्रास बाडर इन्वेस्टमेंट " यानी 'सीमापार निवेश ' कि भी माँग की है |
भारत पाक के बीच व्यापार की मौजूदा स्थिति के बारे में 14 अक्तूबर के 'दैनिक हिन्दुस्तान 'की सूचनाओं के अनुसार भारत से पाकिस्तान को लगभग 7500 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का निर्यात होता है | जबकि पाकिस्तान से भारत को लगभग 1500 करोड़ रूपये का निर्यात होता है | प्रचार माध्यमी विद्वानों द्वारा यह राय भी व्यक्त की जा रही है कि बढ़ते व्यापार के साथ राजनितिक सम्बन्धो को बढाने और उसे खराब होने से बचाने का भी माहौल बनेगा | लेकिन सवाल है कि बढ़ते आर्थिक व राजनितिक सम्बन्धो के साथ दोनों के साथ दोनों देशो के बीच खराब होते रहे सामाजिक सम्बन्धो का क्या होगा ?
क्या उसमे भी सुधार हो जाएगा ?या उससे बदतर बनाने का प्रयास जारी रहेगा ?
इसमें दो राय नही है कि पिछले 10 - 15 सालो से दोनों देशो के बीच व्यापारिक सम्बन्ध लगातार बढ़ता रहा है | कभी धीमी तो कभी तेज़ रफ़्तार से बढ़ता रहा है |पर ज्यो ही कोई आतंकी घटना घटती है या कश्मीर को लेकर अन्तराष्ट्रीय स्तर पर परस्पर विरोधी बयानबाजी आती है तो दोनों देशो की सरकारों , विभिन्न पार्टियों के राजनेताओं तथा प्रचार माध्यमी विद्वानों के सूर बदल जाते है | अब ' आगे कोई बात नही '' कोई खेल नही ' से लेकर ' आर - पार ' लड़ाई लड़ने 'ईंटका जबाब पत्थर से देने ' की भाषाए बोलने व प्रचारित करने लग जाते है | ' क्रास - बाडर - ट्रेड ' ( बाडर के आर - पार निवेश ) तथा ' क्रास - बाडर - टेरिज्म' ( बाडर के उस पार पाकिस्तान से भारत में आ रहे आंतकी कारवाइयो की )और बाडर के उस पार से इस पार खासकर कश्मीर में विभिन्न आंतकी गुटों या आतंकी गुटों के नाम पर पाकिस्तान सैनिको के घुसपैठ आदि की चर्चाए गरम हो जाती है | दोनों देशो की सरकारों एवं राजनेताओं द्वारा एक दूसरे को सबक सिखाने एक दूसरे को धमकिया देने की बयानबाजी तेज़ हो जाती हैं | बाडर के आर - पार आपसी व्यापार तो शान्ति पूर्वक चलता - बढ़ता रहता है , पर एक दूसरे के प्रति दुशमनागत बयानबाजियो को पूरे जोर - शोर से प्रचारित करने का काम तेज़ कर दिया जाता हैं | इस काम में 1947 में भारत पाक के बंटवारे के साथ दोनों देशो की जनता में खड़े हुए राजनितिक व धार्मिक ( हिन्दू - मुस्लिम धर्मवादी ) विरोध का था 1965 और फिर 1971 में हुए भारत पाक युद्ध के साथ खड़े हुए आपसी विरोधो का बाकायदा इस्तेमाल कर दोनों देशो के आवाम ( जनता ) के बीच परस्पर विरोध व घृणा को फैलाने का काम बखूबी तेज़ कर दिया जाता है | फलस्वरूप भारत पाकिस्तान के बीच हाकी व क्रिकेट मैच तक में दोनों देशो की जनता के बीच राष्ट्रीय प्रतिद्वन्दता से कही ज्यादा परस्पर विरोध की भावनाए व्यक्त होती रहती हैं | साफ़ बात है की परस्पर व्यापारिक ( तथा खेल व संस्कृति के ) समझौतों के जरिये तो भारत पाक धनाढ्य एवं उच्च वर्गो के बीच एकजुटता बढाई जाती रही है | एक दूसरे का विश्वास लिया व दिया जाता रहा है | उसमे दोनों देशो के व्यापारियों , राजनयिकों , उच्च स्तरीय सांस्कृतिक कर्मियों , उच्च अफसरशाही , प्रचार माध्यमी विद्वानों तथा खिलाडियों तक को भारी लाभ मिलता रहता है | पर दोनों देशो के जनसाधारण के बीच एकता की जगह विरोध का बढना - बढाना भी निरंतर जारी रखा जाता है | उसे कभी धीमी कभी तेज़ कर दिया जाता है |यह दोनों देशो के धन कुबेरों , आयातक निर्यातक व्यापारियों और राजनायिको द्वारा " बांटो व राज करो " की नीति को संयुक्त रूप से बाडर के आर - पार लागू करने का परिलक्षण हैं |' क्रास बाडर डिवाइड एंड रुल ' की नीति पर एकताबद्ध होकर अमल करना हैं , उसका आदान - प्रदान करना हैं | दोनों देशो के धनाढ्यो , शासको द्वारा अन्तराष्ट्रीय अर्थनीति व कूटनीति को तो आपसी सहमती इ एकता से आगे बढाना हैं | पर दोनों देशो की आवाम में अलगाव , दुराव व विरोध को रोकने व खत्म करने की जगह उसे लगातार हवा देकर बढाने का कार्य हो रहा है ताकि कभी भी दोनों देशो की जनता आपस में न मिल सके और इन धनाढ्य , राजनेताओं और उच्च वर्गीय लोगो का मुनाफ़ा और राजनीत की फसल हर वक्त लहलहाती रहे
सुनील दत्ता
पत्रकार
09415370672
अपने वाणिज्य व्यापार के लिए भारत ने पहले ही पाकिस्तान को सर्वाधिक प्राथमिकता वाला देश घोषित किया हुआ हैं |अभी हाल में पाकिस्तान ने भी भारत को सर्वाधिक प्राथमिकता वाला देश घोषित कर दिया हैं | पाकिस्तान के इस निर्णय का देश में चौतरफा स्वागत हो रहा है | यह कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के इस निर्णय से आपसी संबंधो को बढाने में एक बहुत बड़ी रुकावट दूर हो गयी हैं | अब दोनों देशो के बीच व्यापारिक संबंधो के बढने के साथ - साथ कुटनीतिक एवं दूसरे संबंधो के बढने की भी उम्मीदे बढ़ गयी है | इस देश के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री और पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री के बीच हुए समझौतों में नवम्बर 2011 से दोनों देशो के बड़े व्यापारियों के सुगम आवाजाही के लिए बीजा कानून में उदारवादी छूट देने पर आपसी सहमती जताई गयी है | इसके साथ ही दोनों देशो के बीच अब तक होते रहे 2.7 अरब डालर प्रतिवर्ष के व्यापार को 2014 तक 6 अरब डालर प्रति वर्ष पहुचाने पर भी सहमती जताई गयी है | दोनों देशो के मंत्रियों ने इन व्यापारिक छूटो व समझौतों से दोनों देशो के बीच दोस्ती को मजबूत करने , परस्पर समझदारी व विश्वास को बढाने का संयुक्त ब्यान भी जारी किया है | अपने संयुक्त ब्यान में उन्होंने सडक , रेल , जहाजरानी और वायूयान के क्षेत्र में भी परस्पर सहयोग को बढाने की बात कही है | पाकिस्तान ने आपसी वाणिज्य व्यापार के बढ़ते सहयोग के साथ दोनों देशो में परस्पर निवेश को बढाने के लिए "क्रास बाडर इन्वेस्टमेंट " यानी 'सीमापार निवेश ' कि भी माँग की है |
भारत पाक के बीच व्यापार की मौजूदा स्थिति के बारे में 14 अक्तूबर के 'दैनिक हिन्दुस्तान 'की सूचनाओं के अनुसार भारत से पाकिस्तान को लगभग 7500 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का निर्यात होता है | जबकि पाकिस्तान से भारत को लगभग 1500 करोड़ रूपये का निर्यात होता है | प्रचार माध्यमी विद्वानों द्वारा यह राय भी व्यक्त की जा रही है कि बढ़ते व्यापार के साथ राजनितिक सम्बन्धो को बढाने और उसे खराब होने से बचाने का भी माहौल बनेगा | लेकिन सवाल है कि बढ़ते आर्थिक व राजनितिक सम्बन्धो के साथ दोनों के साथ दोनों देशो के बीच खराब होते रहे सामाजिक सम्बन्धो का क्या होगा ?
क्या उसमे भी सुधार हो जाएगा ?या उससे बदतर बनाने का प्रयास जारी रहेगा ?
इसमें दो राय नही है कि पिछले 10 - 15 सालो से दोनों देशो के बीच व्यापारिक सम्बन्ध लगातार बढ़ता रहा है | कभी धीमी तो कभी तेज़ रफ़्तार से बढ़ता रहा है |पर ज्यो ही कोई आतंकी घटना घटती है या कश्मीर को लेकर अन्तराष्ट्रीय स्तर पर परस्पर विरोधी बयानबाजी आती है तो दोनों देशो की सरकारों , विभिन्न पार्टियों के राजनेताओं तथा प्रचार माध्यमी विद्वानों के सूर बदल जाते है | अब ' आगे कोई बात नही '' कोई खेल नही ' से लेकर ' आर - पार ' लड़ाई लड़ने 'ईंटका जबाब पत्थर से देने ' की भाषाए बोलने व प्रचारित करने लग जाते है | ' क्रास - बाडर - ट्रेड ' ( बाडर के आर - पार निवेश ) तथा ' क्रास - बाडर - टेरिज्म' ( बाडर के उस पार पाकिस्तान से भारत में आ रहे आंतकी कारवाइयो की )और बाडर के उस पार से इस पार खासकर कश्मीर में विभिन्न आंतकी गुटों या आतंकी गुटों के नाम पर पाकिस्तान सैनिको के घुसपैठ आदि की चर्चाए गरम हो जाती है | दोनों देशो की सरकारों एवं राजनेताओं द्वारा एक दूसरे को सबक सिखाने एक दूसरे को धमकिया देने की बयानबाजी तेज़ हो जाती हैं | बाडर के आर - पार आपसी व्यापार तो शान्ति पूर्वक चलता - बढ़ता रहता है , पर एक दूसरे के प्रति दुशमनागत बयानबाजियो को पूरे जोर - शोर से प्रचारित करने का काम तेज़ कर दिया जाता हैं | इस काम में 1947 में भारत पाक के बंटवारे के साथ दोनों देशो की जनता में खड़े हुए राजनितिक व धार्मिक ( हिन्दू - मुस्लिम धर्मवादी ) विरोध का था 1965 और फिर 1971 में हुए भारत पाक युद्ध के साथ खड़े हुए आपसी विरोधो का बाकायदा इस्तेमाल कर दोनों देशो के आवाम ( जनता ) के बीच परस्पर विरोध व घृणा को फैलाने का काम बखूबी तेज़ कर दिया जाता है | फलस्वरूप भारत पाकिस्तान के बीच हाकी व क्रिकेट मैच तक में दोनों देशो की जनता के बीच राष्ट्रीय प्रतिद्वन्दता से कही ज्यादा परस्पर विरोध की भावनाए व्यक्त होती रहती हैं | साफ़ बात है की परस्पर व्यापारिक ( तथा खेल व संस्कृति के ) समझौतों के जरिये तो भारत पाक धनाढ्य एवं उच्च वर्गो के बीच एकजुटता बढाई जाती रही है | एक दूसरे का विश्वास लिया व दिया जाता रहा है | उसमे दोनों देशो के व्यापारियों , राजनयिकों , उच्च स्तरीय सांस्कृतिक कर्मियों , उच्च अफसरशाही , प्रचार माध्यमी विद्वानों तथा खिलाडियों तक को भारी लाभ मिलता रहता है | पर दोनों देशो के जनसाधारण के बीच एकता की जगह विरोध का बढना - बढाना भी निरंतर जारी रखा जाता है | उसे कभी धीमी कभी तेज़ कर दिया जाता है |यह दोनों देशो के धन कुबेरों , आयातक निर्यातक व्यापारियों और राजनायिको द्वारा " बांटो व राज करो " की नीति को संयुक्त रूप से बाडर के आर - पार लागू करने का परिलक्षण हैं |' क्रास बाडर डिवाइड एंड रुल ' की नीति पर एकताबद्ध होकर अमल करना हैं , उसका आदान - प्रदान करना हैं | दोनों देशो के धनाढ्यो , शासको द्वारा अन्तराष्ट्रीय अर्थनीति व कूटनीति को तो आपसी सहमती इ एकता से आगे बढाना हैं | पर दोनों देशो की आवाम में अलगाव , दुराव व विरोध को रोकने व खत्म करने की जगह उसे लगातार हवा देकर बढाने का कार्य हो रहा है ताकि कभी भी दोनों देशो की जनता आपस में न मिल सके और इन धनाढ्य , राजनेताओं और उच्च वर्गीय लोगो का मुनाफ़ा और राजनीत की फसल हर वक्त लहलहाती रहे
सुनील दत्ता
पत्रकार
09415370672
4 टिप्पणियां:
जिनकी रोज़ी रोटी झगड़े से चलती हो उन्हें क्योंकर रास आएगी अमन की बात
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
आपके ब्लॉग पर अधिक से अधिक पाठक पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
राजनीति का खेला है
सब पला हुआ झमेला है....
aap ke leha se nahi samjh pada hui bhai sundar lekh hai bhai. ye rishte badne ka nahi pypaar vadne ke use laabh lene ke liye rach gaya khel hai aap sahi hai bhai
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