रविवार, 27 नवंबर 2011

पाकिस्तान का साम्राज्यवादियों के साथ रहने का हश्र

पाकिस्तान के बनने के बाद से ही वह अमेरिकी साम्राज्यवाद के साथ रहा है साम्राज्यवादियों ने पाकिस्तान के विकास को पूरी तरह से अवरुद्ध किया और आर्थिक रूप से अपना गुलाम बना लिया अफगानिस्तान के बहाने अब वह पाकिस्तान की संप्रभुता को पूरी तरह से नष्ट करने पर तुला हुआ है जिसकी परिणिति ओसामा के एनकाउन्टर के रूप में हुई है और हद तो तब हो गयी कि जब अभी नाटो सेनाओं ने 28 पाकिस्तानी सैनिको को मार गिराया इस नाटो हमले में काफी सैनिक घायल भी हुए हैं पाकिस्तान बेचारा कर भी क्या सकता है विरोध जताया उधर से माफ़ी नामा तुरंत गया ब्रिटिश भारत में भी जिस राजा को तुरंत परास्त नही किया जा सकता था उसके साथ भी इसी तरह की हरकतें ब्रिटिश साम्राज्यवादी करते थे और जब राजा विरोध करता था तो माफ़ी मांग लेते थे और फिर उसके बाद ब्रिटिश सेनायें के ताकतवर होते ही उस राज्य को अपने में मिला लेते थे
पाकिस्तान के पास अमेरिकियों व नाटो सेनाओं से बचने का कोई विकल्प बाकी है तो वह चीन के साथ दोस्ती ही है। चीन की दोस्ती से उसकी लाज शायद ही बच सके क्यूंकि चीन भी उसकी रक्षा करने के लिये युद्ध में जाना पसंद नही करेगा।
साम्राज्यवाद मगरमच्छ है प्रतिदिन उसको भोजन के लिये मगरमच्छ की तरह मांस की आवश्यकता है। साम्राज्यवाद प्राकृतिक स्रोत्रों के दोहन के लिये उसको दुनिया के अधिकांश देशों को गुलाम बनाना उसकी मजबूरी है। भोजन के लिये दोस्त और दुश्मन का फर्क यहीं ख़त्म हो जाता है।

1 टिप्पणी:

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

पाकिस्तान भारत से टूटा और क्या क्या हुआ उसके साथ?

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