शनिवार, 24 मार्च 2012

आज मुल्क में रूहानियत के नाम पर ठग विद्या चल रही है

ढोंगी बाबा अवाम का जज्बाती इस्तेह्साल कर मुल्क में मजहबी मुनाफिरत फैला रहे हैं।


सर्वश्री रवीन्द्र प्रभात, डॉ सुभाष राय, मुद्राराक्षस, वीरेन्द्र यादव "सतनाम संप्रदाय और संत जगजीवन दास" पुस्तक का विमोचन करते हुए।

मुद्राराक्षस, विनोद दास, श्री हरिशरण दास साथ में वीरेन्द्र यादव पुस्तक को प्रदर्शित करते हुए



आज मुल्क में रूहानियत के नाम पर ठगी का कारोबार चल रहा है। जिस मुल्क में गौतम बुद्ध, गुरुनानक, महावीर, कबीरदास और बाबा जगजीवन दास जैसे रूहानी कुव्वत के साधु संत गुजरे हों उसी मुल्क में आज बाबा रामदेव, श्री श्री रवि शंकर और धीरेन्द्र ब्रम्हचारी जैसे हाईटेक साधु पनप रहे हैं।
इन खयालात का इजहार हिंदी जुबान के आलिमी शोहरत याफ्ता अदीब मुद्राराक्षस जुमे की सेपेहर जिला बार एसोसिएशन के मीटिंग हाल में सतनामी पंथ के बुजुर्ग बाबा जगजीवन दास की जिंदगी व उनकी फ़िक्र पर लिखी गयी तसनीफ के रस्म ए उजरा के मौके पर मुन्न्केदा तकरीब में अपने मेहमान ए खुसूसी खुतबे के दौरान कर रहे थे।
मुद्राराक्षस ने मौजूदा जमाने के साधू संतों के ऊपर तनकीद करते हुए कहा कि अभी हाल में श्री श्री रविशंकर ने मुल्क के तालीमी निजाम पर तनकीद करते हुए कान्वेंट तर्ज के प्राइवेट तालीमगाहों की वकालत की है जो मुल्क के लिये निहायत मोहलिक है। मुद्राराक्षस ने कहा की आज लोगों ने किताबों से किनाराकशी इख्तियार कर ली है और मुताल्या करना छोड़ दिया है। इसी का फायदा उठकर ये ढोंगी बाबा और साधू लोग योग के करतब दिखला व सिखलाकर लोगों के मजहबी जज्बात का इस्तेह्साल करते फिर रहे हैं।
हिंदी अदब के मशहूर तनकीद निगार वीरेन्द्र यादव ने हरिशरण दास के जरिए लिखी गयी किताब "सतनाम सम्प्रदाय और संत जगजीवन दास" के ऊपर तब्सिरा करते हुए कहा कि यह किताब देर से सही लेकिन दुरुस्त मौके पर आई है। आज सतनामी खयालात की शायद सबसे ज्यादा जरूरत मुल्क को है। हिन्दुस्तानी तहजीब में मजहब का तस्सवुर हजारों बरसों से चला आ रहा है लेकिन आज के मजहब का तस्सवुर अवाम के इस्तेह्साल तक ही महदूद होकर रह गया है।

-तारिक खान

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