गुरुवार, 31 मई 2012

ईरान पर प्रतिबन्ध

अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह ईरान से तेल आयात कम करे जबकि भारत की उर्जा जरूरतों को पूरा करने में ईरान की विश्वसनीय भूमिका है जबकि अमेरिका कभी भी भारत का विश्वसनीय साथी नहीं रहा है। कई दशक पहले तारापुर परमाणु रिएक्टर की यूरानियम फर्जी बहानो के आधार पर पश्चिमी देश बंद कर चुके हैं। पूरी दुनिया में अमेरिका व पश्चिमी देश विकासशील व छोटे देशों के लिये ब्लैक मेलर साबित होते हैं और धीरे-धीरे उस देश की संप्रभुता का ही हरण कर लेते हैं।
भारत यात्रा पर आए ईरान के विदेश मंत्री अली अकबर सालेही से बातचीत के बाद विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने स्पष्ट किया कि भारत की बढ़ती घरेलू मांग को देखते हुए ईरान तेल का महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है। सालेही ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के विशेष दूत के तौर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अगस्त में तेहरान में होने वाल गुट निरपेक्ष आंदोलन (नैम) की शिखर वार्ता का न्योता देने भारत आये हैं।
ईरान के साथ भारत के सदियों पुराने सम्बन्ध हैं और ईरान को भी जरूरत है भारत की वहीँ भारत को भी ईरान की जरूरत है । भारत को चाहिए की विकसित देश के रूप में अपना स्थान बनाने के लिये अमेरिकी साम्राज्यवादियों के किसी भी दबाव में न आयें। अपने देश के हितों के अनुरूप अपनी नीतियों को संचालित करें। पिछलग्गूपन से देश में ढेर सारी समस्याएं ही पैदा होंगी।

सुमन
लो क सं घ र्ष !
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