शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

आधुनिक भारत का पौरुष अपने अनन्त यात्रा पे चला




जीवन के चालीस बसंत पार कर चुके सभी भारतीयों ने सुन है की दारा सिंह ने गामा पहलवान को पछाड़ दिया था और किंगकांग जैसे दैत्याकार पहलवान को भी अखाड़े में छठी का दूध याद दिला दी थी | तब भारत में क्रिकेट का नही कुश्ती का क्रेज था | रुस्तमे -- ए-- हिन्द दारा शक्ति के साक्षात प्रतीक थे \ हम सभी ने अपने बचपन में उनके कुछ किस्से सूने है | खुद दारा सिंह बनने की कोशिश की है या किसी को चुनौती के रूप में देखकर ललकारा है -- अपने आप को दारा सिंह समझते हो क्या ? दारा सिंह नाम लेते ही एक रोबीला और निर्भीक चेहरा सामने आटा है , जो पराजित नही हो सकता | दारा सिंह को चेहरे से शायद ही कोई पहचानता था , लेकिन उनके नाम से सब वाफिक थे | एक पीढ़ी के लिए तो वह जीवन में ही मिथक के समान हो गये थे और बलशाली लोगो की तुलना उनसे की जाती थी | पंजाब में अमृतसर में 19 नवम्बर 1928 को सूरत सिंह रंधावा और बलवंत कौर के घर पैदा हुए दारा सिंह को शुरू से ही पहलवानी का शौक था और वह आसपास के जिलो में कुश्ती प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे | बाद में उन्होंने अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों नामी पहलवानों को अखाड़े में चित्त किया और भारतीय स्टाइल के अलावा '' फ्री स्टाइल '' कुश्ती में भी दुनिया के दिग्गज पहलवानों को धूल चटाई ...... मजबूत कद काठी वाले दारा सिंह खेल और मनोरंजन की दुनिया में समान रूप से नाम कमाते हुए शोहरत की बुलन्दियो को छुआ | उन्हें भाजपा नीति राजग सरकार ने राज्य सभा के लिए मनोनीत किया था | वह 2003 से 2009 तक उच्च सदन के सदस्य रहे दारा सिंह रंधावा उर्फ़ दारा सिंह ने करीब 100 फिल्मो में काम किया जिनमे कई बेहद चर्चित फिल्मे है | उनकी फिल्मो में उनकी ताकत और दिल डौल का खूब इस्तेमाल किया गया | फिल्म नौजवान से शुरू अभिनय का सफर ' जब वी मेट ' तक जारी रहा | बाद में बढती उम्र और खराब सेहत के कारण उन्होंने अभिनय बंद कर दिया | उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर में ' किंगकांग ' फौलाद रुस्तम ए बगदाद ' सिकन्दर ए आजम हम सब उस्ताद मेरा नाम जोकर ललकार जहरीला इंसान हम सब चोर है मर्द जैसी चर्चित फिल्मो में काम किया | और अपने अभिनय से दर्शको को रोमांचिक किया |
किंगकांग फिल्म में उन्हें अभिनय की दुनिया में स्थापित कर दिया और इसके बाद उन्हें एक से बढकर एक भुनिकाए मिली जिसमे अपनी अभिनय क्षमता का परिचय दिया | दारा सिंह ने अभिनेत्री मुमताज के साथ १६ फिल्मो में काम किया | इस जोड़ी की अधिकतर फिल्मे स्टंट और एक्शन प्रधान फिल्मे थी | इन फिल्मो में बाक्सर , सैमसं टार्जन किंगकांग आधी शामिल है | रामानद सागर के धारावाहिक '' रामायण '' में हनुमान की भूमिका में लोगो ने उन्हें विशेष रूप से पसंद किया और उन्हें घर घर में लोकप्रिय बना दिया अपने मजबूत कदकाठी और प्रभावशाली भूमिकाओं के कारण दर्शको को उनसे अलग किस्म की उम्मीद रहती थी | एक पीढ़ी के लिए तो वह जीवन में ही मिथक के समान हो गये थे और बलशाली लोगो की तुलना उनसे की जाती थी १९५० के दशक के बीच में वह भारत लौटे और चैपियन बने | उन्होंने राष्ट्र मंडल देशो का भी दौरा किया और वहा के पहलवानों से अखाड़े में मुकाबला करते हुए विजय हासिल किया अतत: १९६८ में वह विश्व चैपियन बने | कहा जाता है की उनकी लोकप्रियता से कुश्ती को नया जीवन मिला और देश में बड़ी संख्या में युवा इस खेल के प्रति आकर्षित हुए | उनकी कुश्ती प्रतियोगिता को देखने के लिए लोगो में गजब का उत्साह होता था | आज हमारे बीच से एक शक्ति का पुंज अन्तत ब्रम्हांड में चिर विलीन हो गया उस अजीबो ग्रीम शक्सियत को शत -- शत नमन ,
-सुनील दत्ता
पत्रकार
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