बुधवार, 12 दिसंबर 2012

बंगाल विधानसभा में हिंसा

 विधानसभा में मंगलवार को जो कुछ हुआ उससे बंगाल दुनिया में कलंकित हुआ है। इसके लिए सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को कभी माफ नहीं किया जाएगा। उक्त बातें मंगलवार को सिलीगुड़ी में पत्रकारों से बात करते हुए वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस ने कहा। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के साथ ही तृणमूल कांग्रेस विरोधियों पर दलतंत्र का अंकुश लगाने का प्रयास करती रही है। विरोधी विधायकों को सदन के अंदर बोलने की आजादी छीनी जाती है। विधानसभा की कार्रवाई या फैसला को सदन में नहीं बोलकर मुख्यमंत्री उसे सचिवालय में बोलने का काम करती है। यह गणतंत्र के लिए ठीक नहीं है। बोस ने कहा कि सदन से वामपंथी तीन विधायक को निलंबित किया गया यह क्या ठीक था? विधानसभा का अर्थ होता है जनता का प्रतिनिधि सदन। यहां राज्य के लिए कानून तैयार किया जाता है। वहीं कानून को हाथ में लेकर जिस प्रकार विधायकों की पिटाई हुई इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। कोलकाता जाने के बाद वाममोर्चा की बैठक में इसपर गंभीरता से चर्चा होगी। जरुरत पड़ी तो इस मुद्दे को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। पंचायत चुनाव को लेकर जिला कमेटी की बैठक पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि त्रिपस्तीय पंचायत चुनाव के लिए वाममोर्चा पूरी तरह तैयार है। जैसे ही घोषणा होती है हम प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुनाव मैदान में होंगे। वाममोर्चा पहले से भी ज्यादा अटूट है। हमारा गठबंधन परिवर्तन की सरकार जैसा नहीं। पंचायत चुनाव के लिए जिला नेताओं को सभी प्रकार के निर्देश दिए गये है। वाममोर्चा गांव के सभी वर्ग के लोगों के पास जाएगी और उसकी समस्याओं को लेकर जरुरत पड़ी तो सड़क तक आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में वाममोर्चा को कुछ ज्यादा नहीं करना है। परिवर्तन की सरकार को आमलोग पूरी तरह जानने लगी है। उन्होंने कहा कि वाममोर्चा लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा लोगों को बताया था कि झूठ ज्यादा दिन तक नहीं चलती। हिल्स में माकपा छोड़कर गोजमुमो में शामिल होने वाली घटनाओं पर पूछने पर कहा कि वामपंथी कभी पार्टी छोड़कर एक जगह से दूसरी जगह नहीं जाते। वे वैसे कार्यकर्ता होते है जो निहित स्वार्थ के लिए स्वयं को वामपंथी होने की बात करते है। विमान बोस जिला बैठक के बाद कोलकाता के लिए लौट गये।

सदन की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो संसदीय कार्यमंत्री ने स्पीकर बिमान बनर्जी के काम में बाधा डालने तथा उन्हें शारीरिक रूप से आघात पहुंचाने का हवाला देते हुए माकपा विधायक नजमुल हकए अमजद हुसैन और सुशांत बेसरा के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखाए जिसका विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा ने कड़ा विरोध किया। विपक्षी सदस्य अपनी सीट से उठकर शोर मचाने लगे। स्पीकर ने चटर्जी के प्रस्ताव पर रूलिंग देते हुए तीनों विधायकों को निलंबित कर दिया। स्पीकर के फैसला सुनाते ही विपक्षी सदस्य भड़क उठे और विरोध जताने के लिए वेल में उतरे तो सत्तारुढ़ दल के सदस्य उनसे भिड़ गए। माकपा की देवलीना हेंब्रम और तृणमूल कांग्रेस की महमूदा बेगम के बीच भी हाथापाई हुई। माकपा की देवलिना हेंब्रम और गौरांग चटर्जी धक्कामुक्की के शिकार होकर गिर गए और कुछ देर तक फर्श पर भी पड़े रहे।
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने तोलाबाजी सरकार आर नेई दरकार ख्रंगदारी वसूलने वाली सरकारी अब नहीं चलेगी, का नारा लगाते हुए सदन का बहिष्कार कर दिया। सायंकाल विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा के नेतृत्व में वाममोर्चा विधायकों ने राज्यपाल एमके नारायणन को ज्ञापन सौंप कर सदन में अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगाई। संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी और विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा ने एक.दूसरे के सदस्यों पर हमला करने का आरोप लगाया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में भी विधानसभा के अंदर हंगामे और तोड़फोड़ की घटना हुई थी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य और विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि जन.महत्व वाले महत्वपूर्ण मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने की हमारी मांग एक बार फिर खारिज कर दी गई। तृणमूल सरकार जब से सत्ता में आई है हमारे सभी कार्यस्थगन प्रस्तावों को सारहीन आधारों पर खारिज किया जाता रहा है।
मिश्र ने कहा कि तृणमूल सदस्यों ने विधानसभा में मारपीट की। जिसके बाद उनकी पार्टी के विधायक गौरांग चट्टोपाध्याय को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उन्होंने कहा कि न केवल चट्टोपाध्याय की पिटाई की गईए बल्कि हमारी पार्टी की महिला विधायक देबोलीना हेम्ब्रम के साथ भी हाथापाई की गई और उनके खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। एसएसकेएम राजकीय अस्पताल में प्रवेश करने से पूर्व चट्टोपाध्याय ने कहा कि मेरे सिर पर किसी भारी चीज से बार.बार प्रहार किया गया।
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस नेता और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने मिश्रा के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि तृणमूल के दो विधायकों महमूदा होसैन और पुलक रॉय की एमसीपी सदस्यों ने गंभीर रूप से पिटाई कर दी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस बीच वाम मोर्चा ने अपने तीन विधायकों के निलंबन को असंवैधानिक बताया और निलंबन खत्म करने की मांग करते हुए विधानसभा के बाहर धरना दिया।
उधर, कांग्रेस नेता मानस भुइयां ने कहा कि हमारे कुछ सदस्य रो रहे थे। हम अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित थे, इसलिए हमने सदन का बहिष्कार किया। लोकतंत्र के मंदिर को प्रदूषित और अपवित्र किया जाना सचमुच आश्चर्यजनक है।भुइयां के नेतृत्व में कांग्रेसी विधायकों के प्रतिनिधिमंडल और एमसीपी नेता अनीसुर रहमान के नेतृत्व में वाम मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार की शाम राज्यपाल एमके नारायणन से मुलाकात की और उन्हें विधानसभा में हुईं घटनाओं से अवगत कराया।
राज्य में चिटफंड कंपनियों की बढ़ती संख्या पर वामपंथी सदस्य स्थगन प्रस्ताव की माग करते हुए विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के आसन तक चले गए और वहीं खड़े होकर नारेबाजी करने लगेए इससे माहौल गरमा गया। करीब आधा घंटे चले हंगामे के बीच माकपा विधायक नजमुल हक ने स्पीकर का माइक छीनने की कोशिश की। तब स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 1.30 तक के लिए स्थगित कर दी।
                           अराजक बंगाल त्रिमुखी सत्तासंघर्ष में विकास से कोसों दूर है। अर्थव्यवस्था का कोई अस्तित्व  ही नहीं है। निवेश का कोई माहौल नहीं है। सच में यहां राजनीति के अलावा कुछ भी संभव नहीं है।सामाजिक समरसता तो है ही नहीं ए राजनीतिक और सांप्रदायिक ध्रूवीकरण में उत्पादनप्रणाली और आजीविका का घनघोर संकट है। अवदमित घृणा और हिंसा अब राजनीति का नाम है।दुनियाभर में शहरी आबादी बढ़ रही हैए पर कोलकाता एक अकेला शहर है जिसकी ाबादी घट रही है। पलायन के सिवाय़ इस दमघोंटू हिंसक परिवेश से बचने का उपाय नहीं है एजहां प्रकृति और पर्यावरण में भी राजनीति अभिव्यक्त होती है। दुर्गोत्सव को सांसकृतिक मानने वाला बंगाल अब अपने हर विरोधी को असुर मानता है और उसके निधन पर ही शांति हो सकती है। यह एक ऐसा वधस्थल बन गया है एजहां हर कोई हर किसी के​​ लिए वध्य है। यहां सबसे प्रचलित धंधा और उद्योग है नशाए अपराध और लड़कियों की तस्करी। य़ह चित्र न मुख्यमंत्री के परिवर्तन ब्रेगेड को दिखता है और न उन्हें बेदखल करने के लिए बेताब विपक्ष में, विडंबना यही है।बंगाल में 520 किलमीटर तक बहती बड़े भूभाग का जीवन चलाती गंगा जब सागर से मिलने को होती है तो गति थामकर डेल्टा का रूप अख्तियार कर लेती है पर उत्तराखंड से निकलते ही उपेक्षा और दुर्व्यवहार झेलती गंगा का दर्द यहां बालूए पत्थर और वन माफिया और बढ़ा जाते हैं। जादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एन्वायरमेंटल स्टडीज की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसारए कोलकाता के 114 में से 78 वार्ड इलाकों के नलकूपों के पानी में आर्सेनिक पाया गया है। 32 वार्ड इलाकों के नलकूपों में आर्सेनिक की मात्रा निर्धारित मानक से बहुत अधिक प्रतिलीटर 50 माइक्रोग्राम पाई गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक प्रति लीटर 10 माइक्रोग्राम है। आर्सेनिक.दूषण दक्षिण कोलकाता, दक्षिण के उपनगरीय इलाके और मटियाबुर्ज के इलाकों में ज्यादा मिला है।
बहुत पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जारी राजनीतिक हिंसा से वह बहुत दुखी हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बसु ने ऐसी हिंसा की हमेशा निंदा की थी।राष्ट्रपति चुनाव से पहले तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जतायी।कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में चिदंबरम ने कहा कि पश्चिम बंगाल में वर्ष 2010.11 के मुकाबले हिंसा की घटनाओं में कमी आयी है, पर इसके बावजूद इस वर्ष जून तक राज्य में हिंसा की 455 घटनाएं हुई हैं, जिनमें 82 लोगों की मौत हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सबसे खतरनाक बात यह है कि राज्य में राजनीतिक संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं।455 में अधिकतर राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हैं। हिंसा की संस्कृति लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है। चिंदबरम ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को हिंसा बंद करने के लिए पहल व उपाय करने होंगे। उन्होंने कहा कि जो राजनीतक दल माओवादियों को हथियार डाल कर बातचीत शुरू करने का परामर्श दे रहे हैं, उन दलों को पहले स्वयं हिंसा बंद कर हथियार डालना होगा, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।



-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



2 टिप्‍पणियां:

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) ने कहा…

बेहतर लेखनी !!!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

ममता,तुनक मिजाजी है,वे जैसा चाहती है वैसा हो,,
अन्यथा,,,,,

: हमको रखवालो ने लूटा,

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