
आई द्वारा जांच होने पर आई बी स्वयं ही अपराधी घोषित हो जाती है और उसके तत्कालीन गुजरात प्रमुख राजेंद्र कुमार अभियुक्त नजर आने लगते हैं। ए के 47 जैसे आर्म्स की फर्जी बरामदगी का आरोप उन पर आ गया और फिर इंटेलिजेंस ब्यूरो का रुदन प्रारंभ होता है कि किसी तरीके से हमको बचाओ। केन्द्रीय गृह सचिव से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय उनके अपराधों को बचाने के लिए अपने रण कौशल का इस्तेमाल करने लगते हैं।
बाराबंकी जनपद में अपराध संख्या 295/2013 अंतर्गत धारा 120 बी, 302 आईपीसी थाना कोतवाली में आई बी भी अभियुक्त है। अगर इस केस की जांच भी सीबीआई जांच कर ली गयी तो इंटेलिजेंस ब्यूरो का पूरा का पूरा ढांचा सुसंगठित गिरोह के रूप में नजर आएगा.
आज जरूरत इस बात की है कि चाहे बौध गया के मंदिर विस्फोट का मामला हो या संसद हमला इस में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हिन्दुवत्व वादियों और इंटेलिजेंस ब्यूरो के नापाक गठजोड़ का हाथ है। एनडीए सरकार बनने के बाद आईबी व हिन्दुवात्व वादियों के गठजोड़ की जितनी भी कारगुजारियां है उनकी जांच करने की आवश्यकता है। अगर यह जांचे नही की जाती हैं तो फर्जी आतंकवाद के बादल भारतीय आकाश में तैरते रहेंगे तो कभी पुणे में तो कभी बौध गया में तो कभी दिल्ली में छुट पुट बरसते ही रहेंगे।
नकली बरसाते करवाने से बजट बढ़ता है, पूछ बढती है, आउट ऑफ़ टर्न प्रमोशन होते हैं और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के हित साधन पूरे होते हैं।
सुमन
2 टिप्पणियां:
ऐसे संवेदनशील विषय पर लिखते हुए ऐसा शीर्षक देकर कम से कम दूसरों का समय तो बर्बाद न किया करें।लगा था जरूर लेख में कुछ तथ्य तो होंगे ही चाहे हमेशा की तरह हवा हवाई ही सही।लेकिन इस बार तो कुछ है ही नहीं।ऐसे धमाकों के बाद एक सेकुलर रुदन की भी परंपरा बन गई है आपको निभानी थी जो आपने निभा दी।
और हाँ थोड़ी तुक्केबाजी तो ढंग की कर लिया कीजिए।चाहे तो दिग्विजय सिंह जी से ट्यूशन ले लीजिए।
"बहादुर मंगता" के उदाहरण का बहुत ही सुन्दर उपयोग किया है आपने.
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