शनिवार, 5 सितंबर 2015

राम रहे टाट में - संघी रहे ठाठ में

अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद राम लला टाट में और उनको टाट में पहुँचाने वाले लोग ठाठ में हैं. जब-जब चुनाव आता है तो संघ के एजेंडे में राम मंदिर निर्माण की बात जरूर आती है. अभी बिहार में चुनाव होने जा रहे हैं और संघ की बैठक में प्रधानमंत्री व संघ के कुल वक्ती कार्यकर्ता नरेन्द्र दामोदर मोदी एक कार्यकर्ता की हैसियत से उपस्थित हुए. वहां अयोध्या में राम मंदिर के मामले में संघ ने कहा कि हम राम मंदिर के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हम सरकार की समय-सारणी के अनुसार उनके क्रियान्वयन का इंतजार करेंगे। कुछ दिन पूर्व अमित शाह ने कहा कि राम मंदिर के लिए 370 सीटें चाहिए. राम लला के नाम पर हमेशा हिन्दू जनमानस को झकझोर कर वोट लेकर सत्ता हासिल की जाती रही है और फिर उस मुद्दे को जिन्दा भी रखा जाता है जिससे धार्मिक आस्था और विश्वास को भुनाकर वोट प्राप्त कर सत्ता हासिल की जाए. उन्माद भरने के लिए यह नारा तो प्रिय है कि ' राम लला हम आयेंगे, मंदिर वहीँ बनायेंगे '. किन्तु यह सब हिन्दू आस्था का लाभ उठाने के लिए राजनीति का प्रयोग है जो संघ की प्रयोगशाला का सबसे बढ़िया हथियार है जिससे वोट पैदा करने का सबसे बढ़िया तरीका है. इसके अतिरिक्त न इनका राम में विशवास है न धर्म मेंसत्ता ही धर्म है. जो लोग बाबरी मस्जिद के ध्वंस के अपराधिक कृत्य में मारे गए थे उनके परिवारों का भी कोई पुरसाहाल नहीं है जब यह राम के भी नहीं हुए तो उनके नाम पर मरने वाले लोगों के भी यह नहीं हुए हैं सच्चिदानंद हरी साक्षी जो इस समय उन्नाव से सांसद हैं और जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी थी तब उन्होंने कहा था , "मेरे सामने सिंघल ने महाराज वामदेव ने कहा कि आंदोलन तब तक तेज नहीं होगा, जब तक कोई मरता नहीं है। महाराज वामदेव ने कहा कि अगर बच्चे मरे, तो यह काफी बुरा होगा। सिंघल ने फिर कहा कि जब तक ऐसा नहीं होगा, आंदोलन गति नहीं पकड़ेगा।" 

साक्षी का दावा था कि बंगाल के कोठारी बंधु और राजस्‍थान के महेंद्र सिंह जैसे जाने-माने कारसेवकों को पुलिस ने कुछ खास लोगों के इशारे पर जानकर निशाने पर लिया। 

उमा भारती आज केन्द्रीय मंत्री हैं जब यह भारतीय जनता पार्टी से नाराज थी तब उन्होंने कहा था कि  कोठारी बंधुओं को  मारे जाने की जिम्मेदारी विनय कटियार के सिर पर मढ़ी थी.  उन्होंने कहा, "जो लोग मरे थे, वो विनय की गलती से। गलती भी नहीं, वो भगदड़ मची, वो गली छोटी थी। गलती मतलब वो भाग गया छोड़कर।"  संघ के लोगों ने अयोध्या में राम भक्त के मूड को समझते हुए शपथ दिलाई . शपथ यह थी, "6 दिसंबर के दिन हम राम भक्त राम लला के परिसर में यह शपथ लेते हैं कि वहां भव्य मंदिर बनाने के लिए इस ढांचे को हटाया जाना जरूरी हो गया है। राम जन्मभूमि मंदिर बनाने के‌ लिए इसे हटाना ही होगा।

जब चुनाव आता है तो संघ की प्रयोगशाला कहने लगती है कि "जय श्री राम, जय श्री राम और जय श्री राम और जब सरकार में आती है तो कहती है बैठक में यह तय किया गया है कि 'सरकार', अयोध्या में बनना चाहिए राम मंदिर. 

बाबरी मस्जिद में मूर्ति का रखवाना, फिर मस्जिद को तोडना, फिर उसको ढांचा कहना, फिर मंदिर निर्माण न करना कितने झूठ और कितने रंग बदल सकती है संघ की प्रयोगशाला, उसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता है. हिटलर का प्रचार मंत्री गोविल्स के ये आधुनिक चेले उससे कई कदम आगे हैं. राम हमेशा संघ के कारण वोट बटोरने के हथियार तो हो सकते हैं लेकिन उनकी मर्यादा को नष्ट यह संघी करके राजनीति का केंद्र बिंदु बना दिए हैं. 


सुमन

लो क सं घ र्ष !

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