वेद के समय में न तो मुसलमान थे न इसाई ही थे तो किन लोगो की हत्या गाय खाने के आरोप में कर दी जाती रही है इस बात कोई भी जवाब नागपुरी गैंग के पास नही है अगर वेद में यह कही नही लिखा है तब गौ मांस खाने वालो का वध कर दिया जाना चाहिए वाली यह बात कहाँ से आई .नागपुरी प्रयोगशाला में दंगे भडकाने के जो रोज -रोज प्रयोग किए जाते है उसी समझ के तहत जानबूझकर यह कहानी भी प्रकाशित की गई है बुधि निरपेक्ष भक्तो ने मान लिया और गली -गली गाने लगे ,फिर गिरगिट की तरह रंग बदला हमने नही कहा-बात नही समझ पाए है लोग .जब तक शैतानो का चेहरा लोग नही पहचानेगे तब तक यह लोग झूठ दर झूठ बोलकर देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुचाते रहेगे .
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पाञ्चजन्य में गाय को
मारने की अफवाह के बाद दादरी में इकलाख की पीटकर हत्या करने के मामले को
सही ठहराया गया। पाञ्चजन्य के एक लेख में कहा गया है कि वेदों में गाय को
मारने वाले पापियों की हत्या का आदेश दिया गया है.
आरएसएस के डॉक्टर मनमोहन वैद्य ने कहा कि पाञ्चजन्य और आर्गेनाइजर आरएसएस के मुखपत्र नहीं हैं।
दूसरा नाटक भी जारी हो गया है कि मोदी व अमित शाह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय
मंत्री महेश शर्मा, विधायक संगीत सोम और सांसद साक्षी महाराज को चेतावनी
दी है।अगर जरा सी नैतिकता शेष है तो निकालो पार्टी से -लेकिन यह सब बाते ऊपरी दिखावा है अन्दर से खुश बाहर से नाराज यह इनकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है
वेद के समय में भी नरसंघार हुए थे और अब भी यह लोग नरसंघार कर रहे है यह मानवीय तो हो नही सकते है जानवर के लिए हत्याए करने का आदेश जरुर देते रहेगे -यह इनकी फितरत है
झूठ के यह सौदागर कभी भी कुछ कह सकते है गाँधी की हत्या के बाद कहा था कि गोडसे से हमारा कुछ लेना देना नही है फिर आज भी गोडसे का प्रचार करते रहते है ---आज कहा है कि पाञ्चजन्यमुख पत्र नही है फिर कहेंगे कि कौन मोदी -हमारे यहाँ कोई सदस्यता रजिस्टर ही नही होता है आज कहेगे जायज 'वेद के अनुसार गौ हत्या करने वाले को मौत की सजा, दादरी हिंसा जायज 'कल कहेगे हमने कहा ही नही .
-रणधीरसिंह सुमन
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