सोमवार, 28 दिसंबर 2015

कांग्रेस की खाल ओढ़कर ...

कांग्रेस का 131वां स्थापना दिवस के अवसर पर  मुंबई से प्रकाशित कांग्रेस दर्शन ने नागपुर मुख्यालय द्वारा नेहरु-पटेल व सोनिया गाँधी के सम्बन्ध में की जा रही सुनियोजित तरीके से चरित्र हत्या को प्रकाशित किया है. कांग्रेस दर्शन में छपे लेख के बाद नागपुर मुख्यालय द्वारा सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार को तेज कर दिया गया है. 
इस लेख में कश्मीर, चीन और तिब्बत जैसी समस्याओं के लिए नेहरु को जिम्मेदार माना है तथा नेहरु व पटेल के वैचारिक भिन्नता को आधार बनाया है. वहीँ, सोनिया गाँधी के सम्बन्ध में उनके पिता को फासीवाद का सैनिक बताया है.यह दुष्प्रचार काएक तरीका है कि नेहरु और पटेल में कोई टकराव था. अगर टकराव होता तो सरदार पटेल उप-प्रधानमंत्री बन कर नेहरु की नीतियों को आगे नही बढाते. दोनों विराट व्यक्तित्व के स्वामी थे और कांग्रेस के नेता थे. नागपुर मुख्यालय के पास अपना कुछ न होने के कारण कभी गाँधी की चरित्र हत्या, कभी नेहरु की और कभी तीनो लोगों का टकराव दिखाना इनकी मजबूरी. आजादी के पहले से भी और बाद में नागपुर मुख्यालय के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की खाल ओढ़कर देश के अन्दर सांप्रदायिक सद्भाव व एकता को विखंडित करने का काम किया था. आज भी कांग्रेस के अन्दर नागपुर मुख्यालय के विषाक्त विचारधारा को मानने वाले बहुत सारे लोग हैं. यहाँ तक की कांग्रेस की नीतियों को भी सांप्रदायिक आधार पर प्रभावित करने का काम भी यही लोग करते हैं.कांग्रेस को अगर आगे बढ़ना है तो निश्चित रूप से नागपुरी लोगों की कांग्रेसी खाल उतारनी पड़ेगी अन्यथा समय-समय पर कांग्रेस की नीतियों को यह प्रभावित कर उसको नुक्सान पहुंचाते रहेंगे. स्थापना काल 1925 से लेकर 1947 तक स्वतंत्रता संग्राम में इन्होने कोई योगदान नहीं दिया. भगत सिंह की फांसी का जब सवाल आया तब भी नागपुर मुख्यालय चुपचाप रहा और ब्रिटिश नीतियों का समर्थन करता रहा. आज यह देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति की बात करते हुए नहीं थकते हैं. जम्मू एंड कश्मीर की क्रॉस बॉर्डर फायरिंग को लेकर यूपीए सरकार को हर समय कोसने वाले यह लोग अमेरिकी इशारे पर लाहौर जाकर पैर छूने से गुरेज नहीं करते हैं. वहीँ, इनका असली राष्ट्रीय स्वाभिमान देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति दिखाई देती है. पाकिस्तान यात्रा भी अमेरिकी इशारे पर हुई है. ईरान, रूस के प्रभाव को कम करने के लिए तथा तुर्कमेनिस्तान से अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान होकर भारत तक जाने वाली ’तापी गैस पाईपलाईन’ का निर्माण-कार्य शुरू कराया था। इसके अलावा तुर्कमेनिस्तान ने अपने सबसे बड़े ’गालकिनिश’ गैस भण्डार के विकास का तीसरा दौर भी शुरू कर दिया है। ’गालकिनिश’ गैस भण्डार से ही तुर्कमेनिस्तान तापी गैस पाईपलाईन को जोड़ेगा। तुर्कमेनिस्तान के सबसे बड़े गैस भण्डार ’गालकिनिश’ से शुरू होने वाली यह गैस पाईपलाईन 1814 किलोमीटर लम्बी होगी। यह पाईपलाईन अफ़ग़ानिस्तान के हेरात और कन्धार नगरों तथा पाकिस्तान के क्वेटा और मुल्तान नगरों से गुज़रकर भारतीय-पाक सीमा पर स्थित भारतीय शहर फ़ाज़िल्का तक जाएगी। तापी गैस परियोजना को अमरीका का समर्थन प्राप्त है जो इसे ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन की जगह बढ़ावा देना चाहता है जबकि ईरान-पकिस्तान-भारत गैस लाइन की लागत कम होती तथा सस्ते पेट्रोलियम पदार्थ मिलते. मोदी के पाकिस्तान में पहुंचने ने से पहले  सज्जन जिंदल ने ट्वीट करके यह बताया था कि वो भी पी एम नवाज़ शरिफ़ के जन्मदिन पर लाहौर में है और उनसे मुलाकात भी करेंगे.
पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा यह संरक्षित थे और अब अमेरिकी साम्राज्यवाद से संरक्षित हैं.अफवाह फैलाना इनका मुख्य धर्म है. इसी से इनको उर्जा मिलती है.
सुमन
 लो क सं घ र्ष !


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