शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

गुजरात: हिंदुवत्व का किला चरमराया

गुजरात में हुए नगर महापालिका से लेकर तालुका पंचायत तक चुनाव नतीजे भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में अच्छे नहीं रहे. हद तो यहाँ तक हो गयी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह जनपद मेहसाणा में भी भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह पराजित हुई. अच्छे दिन के नारे की पोल खुलनी शुरू हुई वहीँ नागपुर मुख्यालय के दिवास्वप्न हिन्दू राष्ट्र का भी सपना खंडित होता नजर आ रहा है. शुद्ध ब्राहमणत्व की विचारधारा जनता को स्वीकार नहीं है लेकिन घायल नागिन की तरह यह लोग विष वमन करना बंद नहीं किये हैं लेकिन इसका असर संसद की कार्यप्रणाली पर पड़ा है और सत्तारूढ़ दल ने अपना मुखौटा सौम्य व मानवीय लगाकर शासन चलाने की कोशिश कर रहा है और धीरे-धीरे अपने विषाक्त विचारधारा दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों में फैला रहा है और उन्हें मुस्लिम विरोध के नाम पर हिन्दुवत्व की टोपी पहना कर अपना मजबूत आधार तैयार कर रहा है. इतिहास के अर्धसत्यों के आधार पर वह भारतीय जनमानस में घृणा व द्वेष फैला कर एक विशेष प्रकार की अंधभक्ति नवजवानों में तैयार कर रहा है. यह अंधभक्त तर्क, बुद्धि व विवेक खो कर सिर्फ मुस्लिम विरोध के आधार पर एक उग्र तालिबानी हिंदुवत्व बम के रूप में तब्दील हो रहे हैं. जिसका उदहारण मालेगांव, मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट से लेकर अभी हाल में कुरनूल जिला आन्ध्र प्रदेश में 29 नवम्बर को भारी मात्रा  में विस्फोटक संघियो के पास  से  बरामद हुए है ऐथवा श्रीनिवास व बोया सुरेश  को पुलिस ने गिरफ्तार किया है इन लोगो के पास से  2,680 डिकोंनेटर, 1,200 गिलेटीन राड, 180 बूस्टर , 1,200 मीटरफ्यूज वायर  व  1.50टोंस अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ  है की घटना से प्रमाणित होता है.
गुजरात की जनता ने यह कर दिखाया है कि ज्यादा दिन तक जनता को अर्धसत्यों के आधार पर गुमराह नहीं किया जा सकता है जिसका परिणाम यह रहा कि भाजपा ने गुजरात में सभी 6 महानगर पालिका पर अपना कब्जा जरूर बनाए रखा लेकिन वहीँ जिला पंचायत में उसे कांग्रेस के हाथों बड़ी पराजय झेलनी पड़ी। 31 जिला पंचायतों में से 21 पर कांग्रेस ने जीत हासिल  नगर पालिका पालिका में से उसने 42 पर जीत हासिल कर पायी जिला पंचायत और वहीं 4 पर अन्य का कब्जा रहा। भाजपा के खाते में केवल 6 जिला पंचायत गई। 230 तालुका पंचायतों में से 130 पर कांग्रेस जीती और भाजपा केवल 73 ही जीत पाई।
हिंदुवत्व का किला देश के मुनाफाखोर, जमाखोर जमातों तथा उद्योगपतियों के मुनाफे को लाखों-लाख गुना बढ़ा देता है उनके द्वारा किये जा रहे शोषण की तरफ जनता का ध्यान न रहे इसलिए तमाम सारे भावनात्मक मुद्दे संसद और विधान सभाओं से लेकर उद्योगपतियों द्वारा संचालित इलेक्ट्रोनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया में छाये रहते हैं. 
                 महंगाई बेरोजगारी, भुखमरी, कर्ज में डूबे किसानो की आत्महत्या या यूँ कहे की बहुसंख्यक आबादी की समस्याओं की चर्चा व उसका निराकरण नहीं हो पा रहा है. साम्राज्यवादी शक्तियां शासक वर्ग को बुरी तरह से जकडे हुए है. समाजवाद के नाम पर छद्म समाजवादियों का कब्ज़ा है वह भी साम्राज्यवादी शक्तियों की स्वेच्छा से गुलामी कर रही हैं. जरूरत इस बात की है कि साम्राज्यवादी शक्तियों को बुरी तरह से पराजित नहीं किया जाएगा तब तक हिंदुवत्व का किला जीर्णशीर्ण होने पर भी खड़ा रहेगा. जब तक यह किला खड़ा रहेगा तब तक निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है की देश की एकता और अखंडता खतरे में है और बहुसंख्यक आबादी की समस्याओं की समाधान नहीं हो सकता है. 
सुमन
लो क सं घ र्ष !

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