शर्म कभी नहीं आएगी |
केंद्र सरकार को अरुणाचल
प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने नाबाम तुकी
की सरकार को हटाने के केंद्र के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है, और उसे
तत्काल बहाल करने को कहा है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक
कहा कि अगर घड़ी की सूई को पीछे ले जाना होगा तो ले जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट
ने केंद्र की बीजेपी सरकार के फैसले को पलट दिया है. अरुणाचल प्रदेश की
नाबाम तुकी सरकार को हटाने के केंद्र के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए
15 दिसंबर 2015 की स्थिति लागू करने को कहा है. अरुणाचल पर सुप्रीम कोर्ट
का ये फैसला 331 पन्नों का है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''गवर्नर का काम केंद्र सरकार के एजेंट की तरह काम करना नहीं है। उन्हें संविधान के तहत काम करना होता है।''
- ''9 दिसंबर के बाद अरुणाचल असेंबली के सभी फैसले रद्द किए जाते हैं।''
- कोर्ट ने 16-17 दिसंबर को बुलाए गए विधानसभा सत्र को भी असंवैधानिक करार दिया।
- किसी राज्य में मौजूदा सरकार को हटाकर पुरानी सरकार बहाल करने का सुप्रीम कोर्ट का यह पहला आदेश है।
- जस्टिस ए.के. माथुर ने कहा, 'जिस तरह से पॉलिटिक्स गंदी हो रही है, नेता सरकार बनाने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग करते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला ऐतिहासिक है।'
- जस्टिस ए.के. माथुर ने कहा, 'जिस तरह से पॉलिटिक्स गंदी हो रही है, नेता सरकार बनाने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग करते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला ऐतिहासिक है।'
जस्टिस जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान बेंच ने अपने
ऐतिहासिक फैसले में आदेश दिया कि विधानसभा में 15 दिसंबर 2015 से पहले की
स्थिति बहाल रहेगी। 9 दिसंबर 2015 को दिए गए गवर्नर के आदेश पर लिए गए
विधानसभा के सभी फैसले रद्द किए जाते हैं।
- जस्टिस केहर ने कहा, "9 दिसंबर 2015 को गवर्नर ने विधानसभा का सत्र 14 जनवरी 2016 से पहले 16 दिसंबर 2015 को ही खत्म करने आदेश दिया था। यह आर्टिकल 163 का (संविधान का आर्टिकल 174 पढ़ा जाए) वॉयलेशन है। लिहाजा, यह फैसला अमान्य है।"
- "दूसरा यह कि 16 से 18 दिसंबर 2015 तक चले अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के 6th सेशन में कार्यवाही के लिए गवर्नर का आदेश देना आर्टिकल 163 का (संविधान का आर्टिकल 175 पढ़ा जाए) वॉयलेशन है। लिहाजा, इस फैसले को भी अमान्य किया जाता है।"
- "तीसरा यह कि गवर्नर के 9 दिसंबर 2015 के आदेश पर अरुणाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा लिए गए सभी फैसले और उठाए गए कदम खारिज किए जाते हैं।"
- आखिर में बेंच ने कहा, "तीनों फैसलों को देखते हुए प्रदेश में 15 दिसंबर 2015 से पहले की स्थिति बहाल करने का आदेश दिया जाता है।"
उत्तराखंड के बाद अरुणांचल प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा सत्ता परिवर्तन कराये जाने के सम्बन्ध मेंमाननीय उच्चतम न्यायलय का फैसला आ जाने के बाद नरेन्द्र दामोदर मोदी व गृह मंत्री राजनाथ सिंह को कोई शर्म नहीं महसूस हो रही है. यह दोनों फैसले आने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ दल को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. न्यायपालिका के यह फैसले मील का पत्थर हैं और सरकार के खिलाफ महाआदेश है. सरकार में उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों को न्यायपालिका डंडेबाजी नहीं करेगी फैसला ही दे सकती है. शर्म तो नरेन्द्र मोदी, राजनाथ सिंह और उनकी कैबिनेट में शामिल सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ताओं को आनी चाहिए. इस फैसले के बाद भारत में लोकतंत्र व संविधान और मजबूत हुआ है.
सुमन
लो क सं घ र्ष !
- जस्टिस केहर ने कहा, "9 दिसंबर 2015 को गवर्नर ने विधानसभा का सत्र 14 जनवरी 2016 से पहले 16 दिसंबर 2015 को ही खत्म करने आदेश दिया था। यह आर्टिकल 163 का (संविधान का आर्टिकल 174 पढ़ा जाए) वॉयलेशन है। लिहाजा, यह फैसला अमान्य है।"
- "दूसरा यह कि 16 से 18 दिसंबर 2015 तक चले अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के 6th सेशन में कार्यवाही के लिए गवर्नर का आदेश देना आर्टिकल 163 का (संविधान का आर्टिकल 175 पढ़ा जाए) वॉयलेशन है। लिहाजा, इस फैसले को भी अमान्य किया जाता है।"
- "तीसरा यह कि गवर्नर के 9 दिसंबर 2015 के आदेश पर अरुणाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा लिए गए सभी फैसले और उठाए गए कदम खारिज किए जाते हैं।"
- आखिर में बेंच ने कहा, "तीनों फैसलों को देखते हुए प्रदेश में 15 दिसंबर 2015 से पहले की स्थिति बहाल करने का आदेश दिया जाता है।"
उत्तराखंड के बाद अरुणांचल प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा सत्ता परिवर्तन कराये जाने के सम्बन्ध मेंमाननीय उच्चतम न्यायलय का फैसला आ जाने के बाद नरेन्द्र दामोदर मोदी व गृह मंत्री राजनाथ सिंह को कोई शर्म नहीं महसूस हो रही है. यह दोनों फैसले आने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ दल को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. न्यायपालिका के यह फैसले मील का पत्थर हैं और सरकार के खिलाफ महाआदेश है. सरकार में उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों को न्यायपालिका डंडेबाजी नहीं करेगी फैसला ही दे सकती है. शर्म तो नरेन्द्र मोदी, राजनाथ सिंह और उनकी कैबिनेट में शामिल सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ताओं को आनी चाहिए. इस फैसले के बाद भारत में लोकतंत्र व संविधान और मजबूत हुआ है.
सुमन
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