गुरुवार, 10 नवंबर 2016

मोदी - गरीब ठगी योजना प्रारंभ

                                                                              मोदी ने अपने मुंह से अपनी पीठ थपथपाते हुए एक क्रांतिकारी कदम बताते हुए 500 और 1000 रुपये के नोट का  विमुद्रीकरण कर प्रचलन से वापस ले लिया और कहा कि काला धन हम वापस ला रहे हैं. वहीँ, दूसरी तरफ 22 अक्टूबर को मोदी ने वडोदरा में सभा संबोधित करते हुए उद्योगपतियों, काला धन के व्यापारियों को संकेत दे दिया था कि सरकार 500 और 1000 के नोट बंद करने जा रही है और 26 अक्टूबर 2016 को दैनिक जागरण अखबार ने इन नोटों के प्रचालन पर रोक लगाने की बात को प्रकाशित किया था. इसके अतिरिक्त काला धन के व्यापारियों को सरकार इस कदम उठाने की विधिवत सूचना थी और उन लोगों ने पहले से अपने धन को काले से सफ़ेद करने की व्यवस्था कर ली थी. दूसरा तर्क यह भी दिया गया कि फर्जी नोटों का चलन रोकने के लिए यह ज़रूरी था. मोदी जी को यह बात भली भांति मालूम है कि एटीएम ही फर्जी नोटों का प्रचार व प्रसार करते हैं और जब दो हज़ार रुपये के नोट आप जारी कर रहे हो तो आप काला धन इकठ्ठा करने वालों को विशेष सुविधा दे रहे हो. आप की नियत अगर साफ़ होती तो आप 2000 और 500 का नोट पुन: नहीं जारी करते. आपकी मंशा गलत है. आपको उद्योगपतियों और बड़े आदमियों को फायदा पहुंचाने की आपकी नीति है. क्या यह बात सही नहीं है कि बैंक अधिकारीयों ने नियोजित तरीके से सौ रुपये के नोट जनता में देने बंद कर दिए थे और एटीएम तक में जो सौ रुपये तक के नोट जारी होते थे वह बंद कर दिए थे और गरीब जनता - साधारण लोगों के पास 1000-500 के नोट पहुँच गए तब आपने उसका प्रचलन बंद कर दिया. एक 500 रुपये का नोट बदलने के लिए पूरा दिन आदमी बैंक के सामने लाइन में लगना पड़  रहा है. क्या यह बात आप नहीं जानते थे. हज़ारों लोग रुपया होने के बावजूद मर गए, लाखों लोग जेब में रुपया होने के बाद भी उनको भूखों रहना पड़ा. एक हज़ार रुपये की नोट 600 रुपये में लोगों को बेचनी पड़ रही है. 500 रुपये की नोट 250 से 300 में बिक रही है. आपके मंत्रिमंडल के कितने सदस्यों ने किसी बैंक के सामने खड़े होकर अपने रुपयों का विनिमय कराया है. आपकी नरभक्षी सोच ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है. लोगों को ठगने के लिए आपकी घोषणा करने से पहले तक 1000 और 500 रुपये के नोट एटीएम जनता को देता रहा. यह आपकी ठगी है या नहीं.
यह उदारहण गुवाहाटी के कुमारपारा इलाके के एक निवासी दीनबंधु ने अपनी बेटी की शादी के लिए मंगलवार को जमीन बेचकर यह धनराशि घर में रख ली थी लेकिन रात को 500 और 1000 के नोटों के चलन पर रोक की खबर सुनकर बेहोश हो गया। उसने उसी रात कई एटीएम में पैसे जमा कराने की कोशिश की लेकिन विफल रहा। वहीँ, दीनबंधु के परिवार के सदस्यों के अनुसार वह बहुत परेशान था और रात को बिना कुछ खाये सो गया। जब सुबह वह शौचालय के लिए जाने लगा तभी दिल का दौरा पड़ गया तथा मौके पर ही उसकी मौत हो गयी.
 इसी प्रकार बडे नोटों के बंद होने की घोषणा के बाद शिवसागर जिले के जीतू रहमान को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। रहमान ने अपने भाई की शादी के लिए विभिन्न स्रोतों से तीन लाख रुपये घर में जमा कर रखे थे
 केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के अस्पताल में 500 व 1000 के नोट न लेने के कारण मौत हो गई...वही विदेशियों ने कसमे खाई है कि अब इंडिया नही आएगे ---उनके पास  उचित नोट न होने के कारण भूखा तक रहना पड़ा है
आप सभी लोग डिजिटल इंडिया की बात करते हैं और बैंकों का कम्प्यूटरीकरण कर रखा है. यह सब फर्जी बातें है बैंकों के अधिकांश शाखाओं में सर्वर नहीं काम कर रहे थे. आप ने कोई व्यवस्था नहीं कि अधिकांश बैंकों में 2 बजे रुपया समाप्त करके बैंकों ने ताला लगा दिया. कुछ बैंकों ने रुपया गिनने के नाम पर शाखाओं ने अन्दर से ताले लगा लिए.वही  डाकघरों में कोई व्यवस्था ही नही की गई थी हो सकता हो  ,बड़े शहरों में कुछ शाखाओ में व्यवस्था की गई हो   कुल मिलाकर गरीब तबके का खून सिरिंज से निकाल कर पीने का काम आप लोग कर रहे थे. कोई व्यवस्था आपकी सही नहीं रही. सिर्फ अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने के अलावा. आपके वित्त मंत्री अरुण जेटली कह रहे थे कि आपकी इस योजना से ईमानदार लोग खुश हैं जबकि यह भी जुमला था. ईमानदार लोग आपको कोस रहे थे और बेईमान लोग खुश थे.
इनकी जान कौन वापस करेगा. लोगों को धर्म के नाम पर भड़काकर आप लोगों की जान ले रहे हैं और ठग रहे हैं. आप इस देश के अन्दर एक ठग व नरभक्षी प्रधानमंत्री के रूप में हमेशा याद किये जाते रहेंगे. 
वहीँ, जारी 2000 के नोट का कागज, डिजाईन, कलर चूरन वाले नोट की तरह है और लगता है की यह कमीशन खाकर नोट तैयार किये गए हैं. देश के अन्दर इस पूरी भागदौड़ के बाद एक पैसे का भी देश को फायदा नहीं होना है और बन्दर भाग से हज़ारों लोगों की जानें चली गयी हैं और कितनी जाएँगी वह समय बताएगा.
सुमन
लो क सं घ र्ष !

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