वेदांता कंपनी को एनडीए के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फायदे में चल रही बाल्को को सौंप दिया था और नरेन्द्र मोदी व एनडीए का घटक रही प्रदेश की सरकार ने तूतीकोरिन में गोलियां चलवा कर पन्द्रह प्रदर्शनकारियों की हत्या करवा दी. इस विदेशी वेदांता कंपनी के मालिक अनिल अग्रवाल हैं और विदेशी नागरिक हैं. इन्होने मोदी को चुनाव लड़ने के लिए 19 करोड़ रुपये चंदा दिया था इसीलिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के मुंह में अपने असलहे डाल कर फायरिंग की थी. सूत्रों का कहना है कि इजराइल से मोदी सरकार ने जिन शार्प शूटरों की ट्रेनिंग करायी है वह शार्प शूटर्स कॉर्पोरेट सेक्टर के अनिल अग्रवाल वेदांता स्टेरलाइट के लिए जनता पर गोली चला रहे थे. जनता को यह समझना चाहिए कि यह सभी आर्म्ड फोर्सेज जनता की सुरक्षा के लिए कम हैं और कॉर्पोरेट सेक्टर की सुरक्षा के लिए तैयार की गई हैं.
इस वेदांता कंपनी के ऊपर 1.03 लाख करोड़ रुपए का कर्ज
है और केंद्र सरकार की सेना, पुलिस, आर्म्ड फ़ोर्स इन कंपनियों के इशारे पर चलती हैं. बाल्को कारखाना बहुत सस्ते दामों पर अटल बिहारी वाजपेयी ने बेच दिया था और उसके बाद वेंदाता कंपनी ने 2001 में हजारों एकड़ सरकारी ज़मीन कब्ज़ा कर उसके उसके ऊपर लगे हुए पेड़ों को कटवा दिया था और सरकार ने कोई कार्यवाई नही की थी.
तमिलनाडु के तूतीकोरिन में आज स्टरलाइट कॉपर कारख़ाना बंद करने की माँग कर
रहे प्रदर्शनकारियों पर हुई पुलिस फ़ायरिंग से 15 लोगों की मौत हो गई और
तमाम लोग घायल हो गए। इस कारख़ाने के ख़िलाफ़ क़रीब सौ दिनों से आंदोलन चल
रहा था। आंदोलनकारियों का आरोप है कि इस कारख़ाने से निकलने वाले प्रदूषक
तत्वों की वजह से आस-पास रहने वाले लाखों लोग प्रभावित हैं।
तमिलनाडु सरकार हो या भाजपा की सरकार उन्हें 5 लाख लोगों की फ़िक्र नही है बल्कि वेदांता समूह के मालिक अनिल अग्रवाल की फ़िक्र सबसे ज्यादा रहती है. तमिलनाडु में पेरियार स्वामी और अन्नादुरई समर्थकों की सरकार है और वहां के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी जनता के साथ न होकर अनिल अग्रवाल के व्यक्तिगत नौकर की भूमिका में नज़र आते हैं.
कॉर्पोरेट सेक्टर के मामले में भाजपा कांग्रेस व क्षेत्रीय दल चुनावी चंदा लेने के कारण एक सा ही चरित्र दिखाई देता है और इन सभी दलों की भूमिका जल, जंगल, ज़मीन की लूट को रोकने की बजाए कॉर्पोरेट सेक्टर के नौकर की भूमिका में नज़र आते हैं. तमिलनाडु में एआईडीएमके एक क्षेत्रीय दल होने के बावजूद बहुसंख्यक जनता के साथ न खड़ा होकर अनिल अग्रवाल की वेदांता कंपनी के साथ खड़ा है.
सरकारों के साथ मिलकर जनता पर गोली चलवाने और मानवाधिकार उल्लंघन करने के मामले में वेदांता का रिकॉर्ड पहले से ही जगप्रसिद्ध है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकाार उल्लंघनों के लिए ब्लैकलिस्ट भी
किया जा चुका है। आज से कोई साढ़े आठ साल पहले 23 सितंबर 2009 को
छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक निर्माणाधीन चिमनी गिर गई थी जिस हादसे में 40
लोग मारे गए थे और वेदांता के खिलाफ भगवा सरकारों ने कोई कार्यवाई नही की थी उलटे वेदांता की ही मदद की थी.
-रणधीर सिंह सुमन
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