रविवार, 23 जून 2019

राफेल से भी बड़ा घोटाला है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

           
    वरिष्ठ पत्रकार और किसान कार्यकर्ता सांईनाथ ने दावा किया कि महाराष्ट्र के एक जिले में फसल बीमा योजना के तहत कुल 173 करोड़ रुपये रिलायंस इंश्योरेंस को दिए गए। फसल बर्बाद होने पर रिलायंस ने किसानों को सिर्फ 30 करोड़ रुपये का भुगतान किया और बिना एक पैसा लगाए 143 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लिया। अहमदाबाद प्रख्यात पत्रकार व किसान कार्यकर्ता पी. सांईनाथ ने कहा है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना राफेल से भी बड़ा घोटाला। अहमदाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान सांईनाथ ने कहा, वर्तमान सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना राफेल घोटाले से भी बड़ा घोटाला है। रिलायंस और एस्सार जैसी चुनिंदा कंपनियों को फसल बीमा देने का काम दिया गया है। ’सांईनाथ शुक्रवार से शुरू हुए तीन दिवसीय किसान स्वराज सम्मेलन को संबोधित करने के लिए अहमदाबाद पहुँचे थे। यह सम्मेलन देश के कृषि क्षेत्र की समस्याओं और समाधान पर आधारित है। महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए सांईनाथ ने कहा, ‘तबरीबन 2.80 लाख किसानों ने अपने खेतों में सोया उगाया था. एक जिले के किसानों ने 19.2 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा किया। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 77-77 करोड़ रुपये यानी कुल 173 करोड़ रुपये बीमा के लिए रिलायंस इंश्योरेंस को दिए जाते हैं। ‘किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई और बीमा कंपनी ने किसानों को पैसे का भुगतान किया। एक जिले में रिलायंस ने 30 करोड़ रुपये दिए, जिससे बिना एक पैसा लगाए उसे कुल 143 करोड़ रुपये का लाभ मिला। अब इस हिसाब से हर जिले को किए गए भुगतान और कंपनी को हुए लाभ का अनुमान लगाया जा सकता है.’वरिष्ठ पत्रकार सांईनाथ ने कहा, ‘पिछले 20 सालों में हर दिन दो हजार किसान खेती छोड़ रहे हैं। ऐसे किसानों की संख्या लगातार घट रही है जिनकी अपनी खेतिहर जमीन हुआ करती थी और ऐसे किसानों की संख्या बढ़ रही है जो किराये पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं। इन किरायेदार किसानों में 80 प्रतिशत कर्ज में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘किसान धीरे-धीरे कॉरपोरेट घरानों के हाथों अपनी खेती गँवाते जा रहे हैं, जबकि महाराष्ट्र में 55 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भी नकद मुंबई में बाँट रहा है जहाँ खेती-किसानी है ही नहीं। किसान आत्महत्या के मुद्दे पर सांईनाथ ने कहा, ‘वर्तमान सरकार किसान आत्महत्या से जुड़े आँकड़े सार्वजनिक नहीं करना चाहती। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले बीस साल यानी 1995 से 2015 के बीच 3.10 लाख किसानों ने आत्महत्या की। पिछले दो साल से किसान आत्महत्या के आंकड़ों को जारी नहीं किया जा रहा है। ’सांईनाथ ने इन मुद्दों को सुलझाने पर भी बात की। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और मुंबई में हुए किसानों के मार्च के बारे में भी अपने विचार रखे।
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए कम से कम तीन दिन तक बहस की जाए। अगर जीएसटी के लिए आधी रात को संसद बुलाई जा सकती है तो किसानों के मुद्दों पर सदन में बहस क्यों नहीं की जाती।

-पी.सांईनाथ 

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