उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में झुलेलाल पार्क में प्रदेश के सभी धरना अनशन प्रदर्शन कार्यों को इकठ्ठा होकर अपनी बात कहने के लिये स्थल नियत किया गया है। 23 मई से नवीन ओखला ओद्योगिक विकास प्राधिकरण के कर्मचारी अपनी नौकरी के नियमतिकरण लिये धरना दिए हुए थे। शुक्रवार की सुबह धरनाकारी धर्मपाल की मृत्यु हो गयी। एस.पी ट्रांस गोमती नितिन तिवारी के कुशल नेतृत्व में सी.ओ महानगर, सी.ओ गुड़म्बा सहित कई थानों के थाना प्रभारी अपने-अपने नेम प्लेट उतारकर धरना स्थल पर बैठे हुए कर्मचारियों पर पुलिस, पी.एस.सी के बल पर लाठी चार्ज कर दिया जिसमें आधा दर्जन कर्मचारियों की हालत गंबीर स्तिथि में पहुँच गयी। डेढ़ सौ महिलाओं को इन अधिकारियो के नेतृत्व में पुलिस पी.एस.सी ने जमकर पीटा। सारे कानून नियम धरे के धरे रह गए।
लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने हमेशा समाज के हर तबके के ऊपर लाठी चार्ज किया है और किसी भी मामले में जिम्मेदार किसी भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की गयी है। धरना स्थल पर धरनाकारी धर्मपाल की मौत के बाद पुलिस प्रशासन ने जिस तरह से धरनाकारी के ऊपर बुरी तरह से लाठीचार्ज किया है। उससे लगता है की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ लोकतंत्र का शमशानघाट है और विपक्षी दलों की स्तिथि मुर्दों से भी बदतर है। जो न हिल सकते हैं न डुल सकते हैं अन्यथा सरकार की यह हिम्मत ही नहीं हो सकती थी कि वो हर सत्याग्रही के ऊपर लाठीचार्ज कर सके।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
2 टिप्पणियां:
यूपी पुलिस देश की सबसे तटस्थ पुलिस है...
यह, बहुजन समाज पार्टी के राज में समाजवादी पार्टी के लोगों को रूई की तरह धुनती है.समाजवादी पार्टी के राज में बहुजन समाज पार्टी के लोगों का पीट-पीट कर गुद्दा निकाल देती है. जब, दूसरों को पीटने की बात आती है तो, राज किसी का भी हो ... कहीं कोई क़सर नहीं छोड़ती.
मुझे इस तटस्थ पुलिस पर अपार अभिमान है... (sic)
काजल भाई का कमेंट पढकर अभिभूत हूं, कृपया उसे मेरा भी मान लीजिए।
---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत किसे है?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
एक टिप्पणी भेजें