सोमवार, 6 जून 2011

नेता रामदेव यादव को लाल सलाम

सरकारी योग के बाद नेता रामदेव यादव
भारतीय राजनीति में योगी, बाबा, औषधि निर्माता, और अब राजनेता रामदेव यादव का राजनीति के क्षेत्र में व्यापक स्वागत है लेकिन पुलिस ने अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था का एक छोटा सा कारनामा दिखाया कि नेता जी आदमी से औरत की पोशाक में आ गए। इसलिए पुलिस ने नरमी दिखाई और अपने सम्पूर्ण टेलर नहीं दिखाया। अगर हमारे जिले के इस्पात राज्य मंत्री श्री बेनी प्रसाद वर्मा की दिल्ली में चली होती तो उनका चुतड योग (जो बाराबंकी जनपद में तो प्रसिद्द है ) उसका इस्तेमाल होता। राम नगर थाना जिला बाराबंकी में मंत्री जी के एक बडबोले विरोधी के ऊपर तत्कालीन थाना अध्यक्ष ने इसी योग का प्रयोग किया था। जब न्यायालय में उक्त नेता जी का चालान आया तो पेट के बल वो लेटाये हुए थे और जब माननीय मंत्री जी का चुनाव आया तो उसमें सबसे आगे आगे वही नेताजी उनका चुनाव प्रचार कर रहे थे। आप राजनीति में नए-नए आये हैं इसलिए राजनीति के योगों के बारे में जानकारी नहीं है। उत्तर प्रदेश में पुलिस पेट्रोल योग, करंट योग, पट्टा योग आये दिन करती रहती है और इसी कारण से प्रदेश में विपक्षी बडबोले नेता चाहे भाजपा के हों या लोकमंच के नेता अमर सिंह हों या क्षत्रिय शिरोमणि रघुराज प्रताप राजा भैया हों। सबको सरकारी योग से डर लगता है और ये सभी नेतागण निंदा करके अपना काम चला लेते हैं। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में प्रदेश सरकार ने आपके काफिले को रोककर वापस कर दिया। अगर आपने वहां हठ योग किया होता तो आपको उत्तर प्रदेश सरकार भट्ठा-परसोल योग का प्रशिक्षण दे देती। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने आपका पूरा समर्थन किया है और उन्होंने ने कहा है कि रामलीला मैदान में हुई कार्यवाई की उच्चतम न्यायालय जांच कराये क्योंकि अब केंद्र से न्याय की उम्मीद नहीं हैयह अमानवीय और निंदनीय हैअब मैं आपको उत्तर प्रदेश के सरकारी योग की एक झलक दिखा रहा हूँ।

लोकतंत्र का शमशानघाट है लखनऊ

धरना स्थल पर लाठीचार्ज
लाठीचार्ज से बेहोश कर्मचारी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में झुलेलाल पार्क में प्रदेश के सभी धरना अनशन प्रदर्शन कार्यों को इकठ्ठा होकर अपनी बात कहने के लिये स्थल नियत किया गया है। 23 मई से नवीन ओखला ओद्योगिक विकास प्राधिकरण के कर्मचारी अपनी नौकरी के नियमतिकरण लिये धरना दिए हुए थे। शुक्रवार की सुबह धरनाकारी धर्मपाल की मृत्यु हो गयी। एस.पी ट्रांस गोमती नितिन तिवारी के कुशल नेतृत्व में सी.ओ महानगर, सी.ओ गुड़म्बा सहित कई थानों के थाना प्रभारी अपने-अपने नेम प्लेट उतारकर धरना स्थल पर बैठे हुए कर्मचारियों पर पुलिस, पी.एस.सी के बल पर लाठी चार्ज कर दिया जिसमें आधा दर्जन कर्मचारियों की हालत गंबीर स्तिथि में पहुँच गयी। डेढ़ सौ महिलाओं को इन अधिकारियो के नेतृत्व में पुलिस पी.एस.सी ने जमकर पीटा। सारे कानून नियम धरे के धरे रह गए।
लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने हमेशा समाज के हर तबके के ऊपर लाठी चार्ज किया है और किसी भी मामले में जिम्मेदार किसी भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की गयी है। धरना स्थल पर धरनाकारी धर्मपाल की मौत के बाद पुलिस प्रशासन ने जिस तरह से धरनाकारी के ऊपर बुरी तरह से लाठीचार्ज किया है। उससे लगता है की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ लोकतंत्र का शमशानघाट है और विपक्षी दलों की स्तिथि मुर्दों से भी बदतर है। जो न हिल सकते हैं न डुल सकते हैं अन्यथा सरकार की यह हिम्मत ही नहीं हो सकती थी कि वो हर सत्याग्रही के ऊपर लाठीचार्ज कर सके।

समाजवादी पार्टी के नेताजी को एस.एस.पी लखनऊ बूट योग सिखा रहे हैं

बूट योग

वहीँ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राज्य की सुनामी के तहत लखनऊ के डी.आई.जी डी.के.ठाकुर ने राज्य की सुनामी आनंद सिंह भदौरिया के ऊपर उतारी। भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी डी.के. ठाकुर ने गिरफ्तारी के बाद आनंद सिंह भदौरिया को हजरतगंज में लाठियों से पीट कर सड़क पर लातों से रौंदा जिससे उत्तर प्रदेश सरकार तथा भारत सरकार के पुलिस अधिकारीयों का वास्तविक चेहरा जनता के सामने आया। कहने के लिये हम आप लोकतांत्रिक समाज का हिस्सा हैं लेकिन वास्तव में राज्य का असली स्वरूप जब सामने आता है तो वह बड़ा वीभत्स होता है। इन स्तिथियों के बाद भारत सरकार में दम है कि इस पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाई कर सके। जनता के साथ पुलिस का व्यवहार यह होता है, वहीँ अभी कुछ दिन पहले राज्य के एक पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री का जूता साफ़ करते नजर आये थे। अगर बात मुख्यमंत्री की आ जाए तो महाबलशाली डी.आई.जी डी.के.ठाकुर उनकी चप्पलें साफ़ करते नजर आयेंगे। इन घ्रणित चेहरों का इलाज भारतीय लोकतंत्र में नहीं है ।

रही बात विदेशों से काला धन लाने की तो नेता जी मेरी एक सलाह है कि अगर आज की तारीख से देश में कला धन बनाने की प्रक्रिया रुक जाए तो भी देश काफी खुशहाल हो जायेगा। जब दो करोड़ रुपये की जमीन कोई खरीदता है तो नंबर एक रुपये में 60-70 लाख रुपये का भुगतान होता है बाकी भुगतान बेनामी होता है और इसी तरह हजारो हजार करोड़ रुपये ब्लैक मनी प्रतिदिन तैयार होती है मुख्य समस्या यह है। नेता जी आपने रामलीला मैदान 5000 लोगों को योग सिखाने के लिये लिया था। अनशन प्रदर्शन करने के लिये नहीं लिया था और वहां योग सिखने वाले लोगों को इस तरह की कार्यवाई की भी उम्मीद नहीं थी यदि किसी योग प्रशिक्षणार्थी की मृत्यु भी हो जाती तो उसकी भी जिम्मेदारी आपकी ही होती। आपके समर्थन में संघियों की मुखौटा पार्टी भाजपा पूरी तरीके से है। इसका अध्यक्ष बंगारू लक्षमण भी रहा है जिसका हाल आपने टेलीविजन पर देखा होगा। अगर आपके केंद्र में कांग्रेस की बजाये भाजपा की सरकार होती तो भाजपा आपको इससे बढ़िया नया योग सिखा चुकी होती। कांग्रेस भ्रष्टाचारियों का एक अड्डा है जिसमें शरद पवार जैसे मंत्रियों से लेकर दयानिधि मारन तक अब तक मंत्री हैं। प्रेस मीडिया प्रधानमंत्री के चेले चपाटे चाहे जो भ्रष्टाचार करें उनको ईमानदारी का प्रमाणपत्र जारी ही करेगी।
हम, नेता जी आपके राजनीति में आने का स्वागत करते हैं लेकिन ये द्रष्टान्त आपके लिये लिखे हैं जिससे आप इन योगों का भी अभ्यास कर लें। जिससे भविष्य में आपको कोई कुंठा या निराशा न हो। राजनीति में सभी महायोगी होते हैं और आप अभी तक सिर्फ योगी हैं।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

23 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बाबा को और भी कई योग सीखने होंगे।

Unknown ने कहा…

ho raha bharat nirmaan ha ha ha

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

अंत में हम ब्लॉग प्रसिद्ध वकील जनाब द्विवेदी के शब्दों में कहेंगे कि‘न बाबा कम और न सरकार!‘
एक सन्यासी और एक नेता होने के बावजूद बाबा रामदेव जी का औरतों के बीच छिपना कितना उचित कहलाएगा ? Baba Ramdev ji

Ratan Singh Shekhawat ने कहा…

देश के राजनैतिक हालात व पुलिसिया कार्यवाही देखते हुए नक्सलियों के प्रति सहानुभूति होने लगी है |

Sachi ने कहा…

लो क सं घ र्ष !: नेता रामदेव यादव को लाल सलाम
खैर, आप लाल सलाम वालों ने बंगाल में कई योग की शिक्षाएँ दी थी। जरा उनका भी जिक्र कर लेते। बूट योग तो नंदीग्राम में आपने भी सिखाया, बंगाल के अशिक्षा योग और बेरोजगारी योग पर भी लिखें।

खैर इसे आप छापेंगे थोड़े ही।

बेनामी ने कहा…

अबे अनवर जमाल तुझे कब अक्ल आएगी बे !
लगता है तू भी जूता खाए बिना नहीं मानेगा ,
पहले जा के अपने मुल्ला की दाढ़ी नोच फिर फटे में टांग अड़ाना !!!!!!

बेनामी ने कहा…

अबे अनवर जमाल तुझे कब अक्ल आएगी बे !
लगता है तू भी जूता खाए बिना नहीं मानेगा ,
पहले जा के अपने मुल्ला की दाढ़ी नोच फिर फटे में टांग अड़ाना !!!!!!

बेनामी ने कहा…

अबे अनवर जमाल तुझे कब अक्ल आएगी बे !
लगता है तू भी जूता खाए बिना नहीं मानेगा ,
पहले जा के अपने मुल्ला की दाढ़ी नोच फिर फटे में टांग अड़ाना !!!!!!

बेनामी ने कहा…

अबे अनवर जमाल तुझे कब अक्ल आएगी बे !
लगता है तू भी जूता खाए बिना नहीं मानेगा ,
पहले जा के अपने मुल्ला की दाढ़ी नोच फिर फटे में टांग अड़ाना !!!!!!

मदन शर्मा ने कहा…

नकारा सरकार ने सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज कर के जो बर्बर कार्यवाही की उसकी जीतनी निंदा की जाया कम ही है | आधी रात को दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब , बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! वाह रे सरकार ! ये कैसी नकारा सरकार है !
जहां तक हो सके रामदेव बाबा को भी राजनितिक पार्टिओं, आर एस एस तथा कट्टरवादी हिन्दू संगठनों से दूर ही रहना चाहिए | ऐसे लोगों से उनकी छवि धूमिल ही होगी | महर्षि दयानंद सरस्वती जी जिन्होंने जिन्दगी भर कट्टर हिन्दू धर्म का विरोध किया तथा इसी लिए अपने प्राण की आहुति दी को अपना मानसिक गुरु मानने वाले स्वामी राम देव जी कट्टर वादिओं से हाथ मिलाएं ये समझ में नहीं आता |
सत्य तभी निखार पर आता है जब उसमे किसी भी किस्म के झूठ की मिलावट न हो |आप लाख सच्चे हों किन्तु यदि आप झूठ और गलत लोगो के सहारे आगे बढ़ेंगे तो आप की गिनती भी उन्ही झूठों लोगों में की जायेगी |

Padm Singh ने कहा…

यह योग सीखना बहुत जरूरी था... धीरे धीरे पक्के हो जायेंगे

मदन शर्मा ने कहा…

अनवर भाई का बहुत धन्यवाद जो उन्होंने सत्य का समर्थन किया ! इसी तरह आप अपने में सुधार करते रहिये अछा लगता है आप जैसे वेद्वान लेखक से हमें यही अपेक्षा है !

राज भाटिय़ा ने कहा…

बाबा राम देव एक संत, एक साधू हे, ना कि कोई गुंडे मवाली, ओर एक संत कर भी क्या सकता था, वो तो हम जैसे गुलामो को इज्जत से जीना सीखना चाहता हे, लेकिन बाबा को नही मालूम गुलामो की ओलादे आजाद नही होना चाहती, हमारे पुर्वजो ने अग्रेजो की गुलामी की ओर हम ओर हमारे जैसे अब इस काग्रेस के जूते खा कर इन के तलबे चाटेगे, ओर बाबा का मजाक उडायेगे, क्योकि हम ठहरे जो गुलामो की ओलाद

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

धार्मिक भ्रष्टाचार समाप्त किये बगैर आर्थिक भ्रष्टाचार दूर नहीं हो सकता,जब तक मजार पर चादर चढाना और मंदिर में प्रशाद चढाया जाता रहेगा सरकारी दफ्तरों में नजराना चढ़ाया जाता रहेगा.पहले मूल पर प्रहार करें तभी बात बनेगी.अन्ना या रामदेव धार्मिक भ्रष्टाचार पर मौन हैं जो भ्रष्टाचार की जननी है.

सर्वत एम० ने कहा…

बाबाजी को रोते देख कर रोना हमें तो नहीं आया हंसी जरूर आई. जिस तरह वो विलाप कर रहे थे कि उनहोंने २ घंटे छुप कर अपनी जान बचाई और माता-बहनों के वस्त्र पहन कर भागने सफल हुए, उससे एक ही सवाल उभरा--क्या योगी को जान का मोह होता है. कायरों की तरह, औरतों के वस्त्र पहनने और छुपने की ही जरूरत थी तो क्यों चले थे प्रदर्शन करने! अब सब कुछ आश्रम में ही होगा, जंगल में मोर के नाच की तरह.

Saleem Khan ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

Saleem Khan ने कहा…

सरकार के इस कृत्य की निंदा होनी ही चाहिए क्योंकि बाबा जी को पता नही किस औरत के कपड़े उतार कर पहनने पड़े !

Saleem Khan ने कहा…

डर के मारे औरतों के कपड़े पहनकर औरतों में छिपना तो रानी लक्ष्मीबाई ने भी कभी पसंद न किया और कोई भी नेता ऐसा करेगा भी नहीं !

Pramod Tiwari ने कहा…

बाबा राम देव एक संत, एक साधू हे, ना कि कोई गुंडे मवाली, ओर एक संत कर भी क्या सकता था, वो तो हम जैसे गुलामो को इज्जत से जीना सीखना चाहता हे, लेकिन बाबा को नही मालूम गुलामो की ओलादे आजाद नही होना चाहती, हमारे पुर्वजो ने अग्रेजो की गुलामी की ओर हम ओर हमारे जैसे अब इस काग्रेस के जूते खा कर इन के तलबे चाटेगे, ओर बाबा का मजाक उडायेगे, क्योकि हम ठहरे जो गुलामो की ओलाद

बेनामी ने कहा…

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