मंगलवार, 19 मार्च 2013

पता नहीं इस लड़की का क्या होगा?-4

इस बीच लिंगा की बुआ सोनी सोरी का फोन आया कि सर पंद्रह अगस्त को मेरे सरकारी आश्रम जिसमे मैं पढ़ाती हूँ वहाँ नक्सली आए थे और कह रहे थे कि हम ये तिरंगा झंडा उतार कर यहाँ काला झंडा फहराएँगे। तो सर मैंने उनसे खूब बहस की और उनसे कहा कि इस झंडे के लिए भगत सिंह जैसे लोगो ने अपनी कुर्बानी दी है मैं इसे नहीं उतारने दूँगी। फिर वो मुझसे पूछने लगी सर मैंने ठीक किया ना। मैं उसकी बातें सुन रहा था और सोच रहा था मैं इस अकेली कमजोर सी आदिवासी लड़की को सेल्यूट करूँ जो अकेले राष्ट्रध्वज के सम्मान के लिए लड़ रही है या उन वर्दीधारी सुरक्षा बल के बड़े ओहदेदारों को जो रोज इस तिरंगे को बलात्कार और निर्दोषों का खून बहा कर अपमानित करते हैं?
    कल रात इसी लड़की का फोन आया था कि सर मुझे नक्सली घोषित कर दिया है। आज मुझे मारने पुलिस आई थी। मुझ पर गोलियाँ भी चलाईं। मैं बचने के लिए जंगल में भाग गई हूँ। और मैं सोच रहा था। तिरंगे झंडे की रक्षा के लिए अपनी जान पर खेलने वाली लड़की का ये अंत होगा? काश  इसने पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ कोर्ट में जाने का असंवैधानिक काम ना किया होता। का
कि ये आदिवासी ना होती। काष इसके जिले में खनिज सम्पदा ना होती। काष सत्ता पर धनपषु ना बैठे होते। तो इस लड़की को देभक्ति का पुरस्कार मिलता। लेकिन अब देभक्ति का ढोल पीट कर देष की संपत्तियों को विदेशी  कंपनियों को बेचने वाले सरकारी देद्रोही इस लड़की की हत्या करने पर उतारू हैं। सोनी सोरी ने मुझे ये भी बताया कि सर लिंगा ने एक स्कूल में नक्सलियों के काले झंडे को उतार कर फेंक दिया और नक्सलियों को डाँट कर भगा दिया है। मैंने कहा कि तुम लोग सबसे लड़ाई क्यों ले रहे हो? वहाँ जंगल में तुम्हे कौन बचाएगा? खैर।
    लिंगा का अंतिम फोन लगभग दो सप्ताह पहले आया कि सर मैं दिल्ली आ रहा हूँ और मैंने सोचा है कि गाँव में ही रह कर काम करूँगा। सर आप मेरे लिए कहीं से एक कैमरे और एक पुराने लेप टाप की व्यवस्था कर देंगे क्या? मैंने यह बात अपने दोस्तों से कही तो एक लेपटाप लिंगा के लिए मेरे एक दोस्त ने दे दिया है। ये लेख मैं उसी लेपटाप पर लिख रहा हूँ। ये लेपटाप अपने मालिक का इंतजार ही कर रहा है। देखते हैं इसका इंतजार कब खत्म होगा।
    इसी वर्ष मार्च में सरकार ने दंतेवाडा में तीन गाँव जला दिए। ताड्मेतला, तिम्मापुरम और मोरपल्ली। लिंगा तब दिल्ली में ही था। उसने कहा, सर मैं जाकर इन गाँवों के लोगों से मिल कर आता हूँ। लिंगा गया। वहाँ से फोटो और वीडियो लाया। उनकी कापी मेरे पास भी है। और मैंने अपने कुछ दोस्तों को भी दे दी है। क्योंकि इन गावों को जलाने की इस घटना की जाँच सर्वोच्च न्यायालय ने सी.बी.आई. को सौंपी है ! सरकार को पता है की लिंगा सी.बी.आई. को महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है इसलिए उसे जेल में डालने का षड्यंत्र रचा गया।
    फिर चार दिन पहले लिंगा की बुआ सोनी सोरी का अचानक फोन आया कि सर, कल लिंगा को, पुलिस हमारे दादा जी के घर पालनार से पकड कर ले गई। वो बताने लगी, कि सर पुलिस वाले एक दिन पहले लिंगा के पास आए, और बोले कि हम तुम्हारे ऊपर अवधे गौतम के घर पर हमले का केस खतम करा देंगे। तुम बस ये करना कि लाला नामक एक आदमी बाख्शर में एक बैग में पैसे लेकर आएगा। तुम वो पैसे का बैग लेकर पुलिस को लाकर दे देना। बस उसके बाद तुम्हारे सारे केस खत्म। लिंगा ने ऐसा करने से मना कर दिया, और अपने दादा जी के घर चला गया। कुछ देर बाद एक सेद सुमो में सादी वर्दी में पुलिस वाले आए और लिंगा को गाड़ी में डाल कर ले गए। अगले दिन फिर वही लोग सोनी को पकड़ने आए। सोनी जंगल में चली गई। मैंने कहा गिरफ्तार हो जाओ। नहीं तो तुम्हे यह लोग जान से मार देंगे। तो बोली सर मेरे तीन छोटे छोटे बच्चे हैं। मेरा पति भी जेल में है। लिंगा भी जेल गया। इन सब के लिए कौन लडे़गा? मैं दुनिया को सच्चाई बताना चाहती हूँ। उसके बाद जेल भी जाऊँगी। पता नहीं इस लड़कीका क्या होगा?
-हिमांशु कुमार

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