जिस दिन से नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था,उसी दिन से यह चर्चा प्रारंभ हो गई थी कि मोदी किसके एजेण्डे पर अमल करेंगे। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण ही मोदी प्रधानमंत्री का पद हासिल कर सके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पूरा विश्वास है कि मोदी उसके कार्यक्रम को लागू करेंगे। इस तरह की खबरें आने लगी हैं कि आरएसएस शीघ्र ही मोदी के लिये अपने कार्यक्रम का ब्लू प्रिंट तैयार करने वाला है। एक महत्वपूर्ण समाचारपत्र ने यह दावा किया है कि 'मोदी सरकार के लिए संघ का एजेण्डाए भोपाल में बनेगा'। इस खबर में यह बताया गया है कि आरएसएस की यह चिंतन बैठक भोपाल में 30 जुलाई से 2 अगस्त तक होगी। इस बात की संभावना प्रकट की गई है कि नरेन्द्र मोदी स्वयं इस बैठक में भाग लेंगे।
यहां इस बात का उल्लेख प्रासंगिक होगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य और अंतिम उद्देश्य भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है। परंतु भारत को हिन्दू राष्ट्र उसी समय बनाया जा सकता है जब हिन्दुओं का बहुमत इस मुद्दे पर मोदी का साथ दे। हालिया आमचुनाव में, भाजपा को 31 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला है। क्या इतने समर्थन से वे भारत के बुनियादी चरित्र को बदल पायेगी?
हिन्दू राष्ट्र के सपने को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम 1992 के दिसंबर माह में उठाया था जब हजारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को धराशायी किया था। उस दिन केवल एक मस्जिद का ध्वंस नहीं हुआ था वरन् उस दिन सेक्यूलरिज्म का एक मजबूत खंबा धराशायी हो गया था। उसके बाद संघ और भाजपा ने संपूर्ण राष्ट्र से वायदा किया था कि अयोध्या में एक भव्य राममंदिर बनेगा। इसके साथ हीए भाजपा ने 1992 के बाद हुए चुनावों में यह भी आश्वासन दिया था कि सत्ता में आने पर वह जम्मू.कश्मीर में लागू संविधान के अनुच्छेद 370 को हटायेगी और समान नागरिक संहिता लागू करेगी। बार.बार यह आश्वासन देने के कारणए अंततः 1999 में भाजपा के हाथ में सत्ता आई। सत्ता में आने के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने यह स्वीकार किया था कि राममंदिर आंदोलन के कारण ही भाजपा सत्ता में आई है परन्तु परिस्थितियों ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि सत्ता में आने के बावजूद, भाजपा न तो राममंदिर बना पाई और न ही अनुच्छेद 370 को हटा पाई और ना ही समान नागरिक संहिता लागू कर सकी। तीनों आश्वासनों को पूरा नहीं करने का कारण बताया गया लोकसभा में पूर्ण बहुमत का अभाव। इस असफलता को स्वीकार करते हुए बार.बार यह आश्वासन दिया गया कि जब भी भाजपा अपने बल पर बहुमत प्राप्त कर लेगीए वह इन तीनों आश्वासनों को पूरा करेगी। अब चूंकि लोकसभा में भाजपा को अपने र्तइं बहुमत प्राप्त हो गया है तब संघ परिवार का एक बहुत बड़ा हिस्सा यह मांग करेगा कि अब मंदिर बनाया जाएए अनुच्छेद 370 हटाई जाए और समान नागरिक संहिता लागू की जाए।
जब अटल बिहारी वाजपेयी ने तीनों आश्वासनों को पूरा करने में असमर्थता दिखाई थी तब संघ के अनेक प्रमुख नेताओं ने वाजपेयी पर सीधा हमला प्रारंभ कर दिया था। विश्व हिन्दू परिषद प्रमुख अशोक सिंहल ने लगभग गाली.गलौच की भाषा में वाजपेयी सरकार की आलोचना की थी।
अब अशोक सिंहल समेत संघ से जुड़े सभी तत्व पुनः जोरदार ढंग से यह मांग करेंगे कि शीघ्र ही मंदिर बनवाया जाए। हिन्दुत्ववादी नेता यह मांग करते रहे हैं कि सरकार नया कानून बनाकर मंदिर बनाने का रास्ता प्रशस्त करे। चूंकि ऐसी मांग कांग्रेस सरकार से भी की जाती रही है इसलिए कोई कारण नहीं कि यही मांग नरेन्द्र मोदी से नहीं की जाएगी।
इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि भोपाल में आयोजित होने वाले संघ के वैचारिक मंथन में ऐसी रणनीति पर विचार हो सकता है जिससे ये तीन आश्वासन पूरे किए जा सकें। यदि लोकसभा में बहुमत पाने के बाद भी राममंदिर नहीं बनता हैए अनुच्छेद 370 नहीं हटता है और समान नागरिक संहिता लागू नहीं होती है तो संघ की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग जायेगा।
इन तीनों आश्वासनों के अतिरिक्त, कुछ और ऐसे वायदे हैं जिन्हें नरेन्द्र मोदी को पूरा करना होगा। मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान बार बार यह कहा है कि 16 मई के बाद भारत में रह रहे बांग्लादेशी बोरिया.बिस्तर बांध लें और बांग्लादेश जाने की तैयारी कर लें। मोदी ने यह भी कहा है कि वे बांग्लादेशी जो दुर्गा माता की पूजा करने को सहमत हो जाते हैं वे ही यहां रह सकते हैं। दुर्गा पूजा करने का अर्थ है स्वयं को हिन्दू मान लेना।
संघ परिवार के अतिउत्साही सदस्य यह मांग करेंगे कि तुरत.फुरत बांग्लादेशियों को तुरंत भारत से खदेड़ा जाए। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि बांग्लादेशियों की आड़ में असम में सदियों से रह रहे बांग्लाभाषी मुसलमानों को भी खदेड़ने का षडयंत्र किया जाए। यदि ऐसा होता है तो साम्प्रदायिकीकरण की स्थिति निर्मित होगी जो किसी भी क्षण हिंसक मोड़ ले सकती है।
जहां एक ओर संघ परिवार के तोगडि़या जैसे आक्रामक तत्व मोदी सरकार पर संघ के इस एजेण्डे पर अमल करने का सरकार पर दबाव बनायेंगे वहीं मोदी ने जो अन्य आश्वासन दिये हैं,उन्हें भी मोदी को पूरा करना होगा। इनमें सबसे प्रमुख आश्वासन देश के युवकों को दिया गया है। लाखों बेरोजगार युवकों की टीम ने, जैसा कि दावा किया जा रहा है, मोदी को जिताया है। अब वे भी चाहेंगे कि मोदी शीघ्र से शीघ्र उन्हें दिये गये आश्वासनों को पूरा करें। फिर, मोदी ने बार बार घोषणा की है कि वे देश के गरीबों के साथ हैं। उनका भला करना उनकी प्राथमिकता है।
एक तरफ जहां मोदी को बेकारों और गरीबों का साथ देना है वहीं दूसरी ओर उन्हें पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के बुनियादी हितों का ध्यान रखना है। आखिर इन्हीं पूंजीपतियों और उद्योगपतियों ने मोदी के प्रचार में करोड़ों.अरबों रूपए झोंके हैं। वे चाहेंगे कि मोदी ब्याज सहित उनके एहसानों का बदला चुकाएं। मोदी ने जिस गुजरात मॉडल के नाम पर वोट पाए हैं वह मॉडल कार्पोरेट.परस्त था। उस मॉडल में किसानों की जमीनें छीनी गई हैं, दलितों को हिन्दू धर्म छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और सिक्खों को गुजरात छोड़ना पड़ा है। इस तरह के गुजरात मॉडल के सहारे देश नहीं चल सकता है। स्पष्ट है कि बहुत कठिन है डगर मोदी की।
-एल.एस. हरदेनिया
यहां इस बात का उल्लेख प्रासंगिक होगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य और अंतिम उद्देश्य भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है। परंतु भारत को हिन्दू राष्ट्र उसी समय बनाया जा सकता है जब हिन्दुओं का बहुमत इस मुद्दे पर मोदी का साथ दे। हालिया आमचुनाव में, भाजपा को 31 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला है। क्या इतने समर्थन से वे भारत के बुनियादी चरित्र को बदल पायेगी?
हिन्दू राष्ट्र के सपने को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम 1992 के दिसंबर माह में उठाया था जब हजारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को धराशायी किया था। उस दिन केवल एक मस्जिद का ध्वंस नहीं हुआ था वरन् उस दिन सेक्यूलरिज्म का एक मजबूत खंबा धराशायी हो गया था। उसके बाद संघ और भाजपा ने संपूर्ण राष्ट्र से वायदा किया था कि अयोध्या में एक भव्य राममंदिर बनेगा। इसके साथ हीए भाजपा ने 1992 के बाद हुए चुनावों में यह भी आश्वासन दिया था कि सत्ता में आने पर वह जम्मू.कश्मीर में लागू संविधान के अनुच्छेद 370 को हटायेगी और समान नागरिक संहिता लागू करेगी। बार.बार यह आश्वासन देने के कारणए अंततः 1999 में भाजपा के हाथ में सत्ता आई। सत्ता में आने के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने यह स्वीकार किया था कि राममंदिर आंदोलन के कारण ही भाजपा सत्ता में आई है परन्तु परिस्थितियों ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि सत्ता में आने के बावजूद, भाजपा न तो राममंदिर बना पाई और न ही अनुच्छेद 370 को हटा पाई और ना ही समान नागरिक संहिता लागू कर सकी। तीनों आश्वासनों को पूरा नहीं करने का कारण बताया गया लोकसभा में पूर्ण बहुमत का अभाव। इस असफलता को स्वीकार करते हुए बार.बार यह आश्वासन दिया गया कि जब भी भाजपा अपने बल पर बहुमत प्राप्त कर लेगीए वह इन तीनों आश्वासनों को पूरा करेगी। अब चूंकि लोकसभा में भाजपा को अपने र्तइं बहुमत प्राप्त हो गया है तब संघ परिवार का एक बहुत बड़ा हिस्सा यह मांग करेगा कि अब मंदिर बनाया जाएए अनुच्छेद 370 हटाई जाए और समान नागरिक संहिता लागू की जाए।
जब अटल बिहारी वाजपेयी ने तीनों आश्वासनों को पूरा करने में असमर्थता दिखाई थी तब संघ के अनेक प्रमुख नेताओं ने वाजपेयी पर सीधा हमला प्रारंभ कर दिया था। विश्व हिन्दू परिषद प्रमुख अशोक सिंहल ने लगभग गाली.गलौच की भाषा में वाजपेयी सरकार की आलोचना की थी।
अब अशोक सिंहल समेत संघ से जुड़े सभी तत्व पुनः जोरदार ढंग से यह मांग करेंगे कि शीघ्र ही मंदिर बनवाया जाए। हिन्दुत्ववादी नेता यह मांग करते रहे हैं कि सरकार नया कानून बनाकर मंदिर बनाने का रास्ता प्रशस्त करे। चूंकि ऐसी मांग कांग्रेस सरकार से भी की जाती रही है इसलिए कोई कारण नहीं कि यही मांग नरेन्द्र मोदी से नहीं की जाएगी।
इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि भोपाल में आयोजित होने वाले संघ के वैचारिक मंथन में ऐसी रणनीति पर विचार हो सकता है जिससे ये तीन आश्वासन पूरे किए जा सकें। यदि लोकसभा में बहुमत पाने के बाद भी राममंदिर नहीं बनता हैए अनुच्छेद 370 नहीं हटता है और समान नागरिक संहिता लागू नहीं होती है तो संघ की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग जायेगा।
इन तीनों आश्वासनों के अतिरिक्त, कुछ और ऐसे वायदे हैं जिन्हें नरेन्द्र मोदी को पूरा करना होगा। मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान बार बार यह कहा है कि 16 मई के बाद भारत में रह रहे बांग्लादेशी बोरिया.बिस्तर बांध लें और बांग्लादेश जाने की तैयारी कर लें। मोदी ने यह भी कहा है कि वे बांग्लादेशी जो दुर्गा माता की पूजा करने को सहमत हो जाते हैं वे ही यहां रह सकते हैं। दुर्गा पूजा करने का अर्थ है स्वयं को हिन्दू मान लेना।
संघ परिवार के अतिउत्साही सदस्य यह मांग करेंगे कि तुरत.फुरत बांग्लादेशियों को तुरंत भारत से खदेड़ा जाए। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि बांग्लादेशियों की आड़ में असम में सदियों से रह रहे बांग्लाभाषी मुसलमानों को भी खदेड़ने का षडयंत्र किया जाए। यदि ऐसा होता है तो साम्प्रदायिकीकरण की स्थिति निर्मित होगी जो किसी भी क्षण हिंसक मोड़ ले सकती है।
जहां एक ओर संघ परिवार के तोगडि़या जैसे आक्रामक तत्व मोदी सरकार पर संघ के इस एजेण्डे पर अमल करने का सरकार पर दबाव बनायेंगे वहीं मोदी ने जो अन्य आश्वासन दिये हैं,उन्हें भी मोदी को पूरा करना होगा। इनमें सबसे प्रमुख आश्वासन देश के युवकों को दिया गया है। लाखों बेरोजगार युवकों की टीम ने, जैसा कि दावा किया जा रहा है, मोदी को जिताया है। अब वे भी चाहेंगे कि मोदी शीघ्र से शीघ्र उन्हें दिये गये आश्वासनों को पूरा करें। फिर, मोदी ने बार बार घोषणा की है कि वे देश के गरीबों के साथ हैं। उनका भला करना उनकी प्राथमिकता है।
एक तरफ जहां मोदी को बेकारों और गरीबों का साथ देना है वहीं दूसरी ओर उन्हें पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के बुनियादी हितों का ध्यान रखना है। आखिर इन्हीं पूंजीपतियों और उद्योगपतियों ने मोदी के प्रचार में करोड़ों.अरबों रूपए झोंके हैं। वे चाहेंगे कि मोदी ब्याज सहित उनके एहसानों का बदला चुकाएं। मोदी ने जिस गुजरात मॉडल के नाम पर वोट पाए हैं वह मॉडल कार्पोरेट.परस्त था। उस मॉडल में किसानों की जमीनें छीनी गई हैं, दलितों को हिन्दू धर्म छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और सिक्खों को गुजरात छोड़ना पड़ा है। इस तरह के गुजरात मॉडल के सहारे देश नहीं चल सकता है। स्पष्ट है कि बहुत कठिन है डगर मोदी की।
-एल.एस. हरदेनिया
1 टिप्पणी:
लेख में कुछ विशेष नहीं,राहुल गांधी के भाषणों का संग्रह मात्र है धन्यवाद
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