पेट्रोल पंप पर कार्यरत एक कर्मचारी पर तत्कालीन वित्तमंत्री की कृपा हुई और आज वह देश का सबसे बड़ा उद्योगपति बन बैठा . सरकार की गोद में बैठ कर बढे हुए अम्बानी समूह हमेशा सरकार को आर्थिक नुकसान पहुँचाने के अतिरिक्त कुछ नहीं किया है. अभी हाल में जासूसी प्रकरण में उसी कंपनी के कर्मचारी, पत्रकार व पेट्रोलियम मंत्रालय के जूनियर अधिकारी जासूसी में पकडे गए. मामला यह है कि रिलायंस कंपनी अपने शुरुवाती दौर से करों की चोरी से लेकर निम्न कोटि के हथकंडे अपनाती रही. केंद्र में इस सरकार को लाने के लिए इस कंपनी व उसके मीडिया ने भरपूर प्रयास किया है और उसी की बदौलत अम्बानी प्रधानमंत्री की पीठ ठोकते नजर आते हैं .
"लागत वसूली की पाबंदी" के रूप में पेट्रोलियम मंत्रालय ने रिलायंस के
नेतृत्व वाली ठेका कंपनी पर लगभग 15,000 करोड़
रुपये के दंड के लगाने पर लंबित मध्यस्थता कार्यवाही कर रहे हैं। रिलायंस गैस की बिक्री के माध्यम से खर्च कुछ खर्च की वसूली के लिए पात्र है। सरकार रिलायंस समूह से कितनी वसूली करे वह तय होना अभी बाकी है .
मामला यह है कि के जी बेसिन से 30 हजार करोड़ रुपये की प्राकृतिक गैस की चोरी का आरोप रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के ऊपर है . यह आरोप ओ एन जी सी ने लगाया है . जिसकी मध्यस्था का मामला भी चल रहा है . रिलायंस समूह के काले कारनामो की जांच अगर की जाए तो हर मामले में टैक्स चोरी से लेकर जासूसी और अपराधिक मामलों में लिप्त लोग हैं, लेकिन कार्यवाई कौन करे . जो भी सत्तारूढ़ दल होता है . वह उनकी मुट्ठी व कृपा की बदौलत सत्तारूढ़ होता है. इन आर्थिक अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि मंत्री अपने घर में क्या कर रहा है और मंत्रालय क्या कर रहा है और कौन सा फैसला कब लिया जायेगा यह जानने के लिए कर्मचारियों और अधिकारीयों की खरीद-फरोख्त भी करते हैं .
आरआईएल के शैलेश सक्सेना, अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के ऋषि आनंद, एस्सार ग्रुप के विनय कुमार, केयर्न इंडिया के केके नाइक को भी गिरफ्तार किया है।
आरआईएल के शैलेश सक्सेना, अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के ऋषि आनंद, एस्सार ग्रुप के विनय कुमार, केयर्न इंडिया के केके नाइक को भी गिरफ्तार किया है।
रिलायंस समूह की कोशिश यह है कि सरकार जो भी फैसले करे उसकी जानकारी उसको पहले हो जाए और उसी आधार पर वह अपने समूह को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा वसूलने के लिए प्रयास करे . पूर्व में सरकारी नीतियों की जानकारी हो जाने से कुछ जर खरीद नेताओं के माध्यम से नीतियों को बदलने का कार्य करते हैं और रिलायंस समूह के लिए यह सरकार ' सैंया भये कोतवाल तो अब डर काहे का ' वाली स्तिथि है. उसकी यह भी स्तिथि है कि चोर चोरी से जाए हेराफेरी से बाज नहीं आता है .
1 टिप्पणी:
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (22-02-2015) को "अधर में अटका " (चर्चा अंक-1897) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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