पिंजरे में कैद तोते ने अमित शाह को जमानत न देने वाली जस्टिस अभिलाषा की बहन मीनाक्षी जा शादी के मंडप में बैठी हुई थी तो छापा डाला ताकि प्रतिशोध का एक चरण पूरा हो सके और शक्ति का प्रदर्शन किया. मीनाक्षी हिमांचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र की पुत्री हैं, जिनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच सी बी आई कर रही है.
छापे का वक्त जानबूझकर वही वक्त चुना गया था. यह शक्तिशाली अध्यक्ष ने बेइज्जत करने के लिए यह कार्यवाई करायी थी. कभी भी कोई व्यक्ति मर गया है या इस तरह के कार्य हो रहे होते हैं तो कार्यवाईयां अपरिहार्य स्तिथि को छोड़ कर नहीं की जाती हैं. दूसरी घटना दिल्ली के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के कार्यालय व घर पर छापा दाल कर मुख्यमंत्री को कड़ा सन्देश दिया गया है. यह सन्देश देश के अन्य मुख्यमंत्रियों के लिए भी है. वहीँ, अरुणाचल विधानसभा सील कर दी गयी है. यह सब कार्य सत्ता के नए शक्ति संतुलन को स्थापित करने का प्रयास हैं. कुछ दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपीए शासनकाल में सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था.इसी तोते को न्यायमूर्ति आई ए अंसारी और न्यायमूर्ति इंदिरा शाह की खंडपीठ ने
नवेंद्र कुमार नाम के व्यक्ति की रिट याचिका पर सन 2007 में असंवैधानिक घोषित किया था तब माननीय उच्चतम न्यायलय ने उस आदेश को स्थगित कर दिया था और आज भी सी बी आई के स्थापन को संसद द्वारा पारित नहीं कराया गया है.
वहीँ, वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संगठन के सम्बन्ध में 24 जून 2013 को एक ट्वीट में कहा था, "सीबीआई
कांग्रेस ब्यूरो ऑफ़ इनवेस्टिगेशन बन गई है. राष्ट्र को इसमें भरोसा नहीं
है. मैं केंद्र सरकार से कहता हूँ कि हमें सीबीआई का डर न दिखाए." नरेंद्र मोदी ने कहा था, "यह दुखद है कि
राजनीतिक विपक्षियों पर निशाना साधने के लिए केंद्र सीबीआई से आईबी
अधिकारियों की पूछताछ करवाकर सरकार ख़ुफ़िया तंत्र को कमज़ोर कर रही है." मोदी ने कहा था, "कांग्रेस राष्ट्र को
विदेशियों को सौंप रही है. ज़्यादातर पार्टियां एफ़डीआई के विरोध में हैं
लेकिन सीबीआई की तलवार के चलते कुछ ने मतदान नहीं किया और कांग्रेस पिछले
दरवाज़े से जीत गई."
वहीँ, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 13 अप्रैल
2013 को अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर को ट्विटर पर साझा
करते हुए कहा था, "यह बहुत ही गंभीर मामला है. ये प्रधानमंत्री को बचाने के
लिए केंद्र सरकार के सीबीआई पर दबाव का सबूत है."
विपक्ष में रहते हुए भाजपा नेता मुख़्तार अब्बास नक़वी ने
जुलाई 2013 में कहा था कि 'कांग्रेस आतंकवादी की मौत पर मातम के लिए सीबीआई
के कंधे का इस्तेमाल कर रही है.'
दबाव की राजनीति में सी बी आई के इस्तेमाल पर बसपा अध्यक्ष मायावती ने सितंबर में कहा
था कि सीबीआई के अधिकारियों ने उनसे जाँच के सिलसिले में संपर्क किया था.
उन्होंने कहा था कि बीजेपी उन पर दबाव बनाना चाहती है लेकिन वो डरने वाली
नहीं हैं.
कुछ लोग अति उत्साह में सी बी आई को स्वायत्तशासी सस्ता के रूप में बनाना चाहते हैं वह भी अतिसंयोक्ति बात होगी. वह यह नहीं सोचते हैं की क्या सी बी आई भ्रष्टाचार रहित संस्था है और जांच का तरीका भी उसका वाही तरीका है जो आम पुलिस जन टार्चर कर गलत को सही और सही को गलत साबित करने में करते हैं. भाजपा नेताओं जो हर समय आदर्श, नैतिकता व शुचिता की बात करते हुए नहीं थकते थे वह लोग जराजेटली के डीडीसीए घोटाले की जांच सी बी आई से ही करा लें। एसएफआईओ की जांच में यह पाया है कि 2002 और 2007 के बीच फिरोजशाह कोटला
स्टेडियम के पुनर्निमाण के खचे में 90 करोड़ की बढोत्तरी हुई।शुरूआती बजट 24 करोड़ रूपये का था लेकिन इस पर 114 करोड़ रूपये खर्च
हुए।लेकिन जांच नहीं होगी.
तोता तोता ही रहेगा. हिन्दू का घर हैं तो राम-राम , मुसलमान का घर है तो सलाम. अगर स्वतन्त्र है तो सभी फलों को छेद कर पकने नहीं देगा यही उसकी नियत है और स्वभाव.
रणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
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