वर्तमान सत्तारूढ़ दल चुनाव से पहले और चुनाव के बाद जिस तरह से रंग बदल रहा है. उससे यह साबित होता है कि नैतिकता आदर्श नाम की चीज उनके पास सार्वजानिक जीवन में नहीं है. एक तरफ तो कश्मीर के सवाल पर सीमा पर रोज गोला बारी हो रही है हिंदुवत्व वादी कवियों की सारी कविता और नेताओ का भाषण कश्मीर, पाकिस्तान और मुस्लिम तुष्टिकरण पर होती है. विशेषकर उत्तर भारत में इन्ही सवालों को लेकर नागपुर के लोग मतदाताओं को गोलबंद करते हैं. अभी बरखा दत्त की प्रकाशित पुस्तक ' दिस अनक्विट लैंड-स्टोरीज फ्रॉम इंडियाज फाल्ट लाइन्स ' में खुलासा किया गया है कि नेपाल में सार्क देशों की बैठक से अलग भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की एक घंटे की गुप्त बैठक हुई थी और सीमा पर बराबर गोलियां भी चलती रही हैं. दोनों नेताओं की पिछली मुलाक़ात रूस के उफ़ा में हुई थी, जिसके बाद एक साझा घोषणापत्र भी जारी किया गया था और अब फ्रांस में हो रहे जलवायु सम्मलेन में भी नरेन्द्र मोदी व नवाज शरीफ की बातचीत होती है और हमारे प्रधानमंत्री मुंह पर हाथ लगा कर बात करते हैं. जिससे लोग ओठ देखकर अंदाजा न लगा ले की वह क्या कह रहे हैं.
लोकतंत्र में जनता से छिपाकर कोई बात नहीं होती है. सारी बातें गोपनीय हो रही हैं. हमारे देश का पैसा अनावश्यक रूप से सीमा पर खर्च हो रहा है, जवान मर रहे हैं और नेतागण हाथ मिलाकर फोटो खिंचवा रहे हैं. हम पाकिस्तानी जनता के विरोधी नहीं हैं. भारत-पाक एकता होनी चाहिए. वोटों के लिए देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति का फर्जी नाटक बंद होना चाहिए. भारत और पाकिस्तान का और अच्छा विकास तभी हो सकता है जब दोनों देशों के सम्बन्ध अच्छे हों लेकिन जमीनी स्तर पर नेतागण जनता की भावनाओं को भड़काकर एक छद्म युद्ध का वातावरण तैयार करते हैं. एक देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति का नाटक शुरू होता है और फिर मारपीट, वार्ताओं का दौर शुरू होता है जिसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है. वर्तमान सत्तारूढ़ दल के चुनावी भाषणों का विश्लेषण अगर किया जाए तो देशभक्त, राष्ट्रभक्त, पाकिस्तान विरोध व मुस्लिम तुष्टिकरण उनके केंद्रबिंदु थे. गाय को चुनाव का मुद्दा बनाकर एक धार्मिक उन्माद पैदा किया गया लेकिन सरकार में आने के बाद इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के बीच 10 करोड़ 95 लाख रुपए की बीफ की चर्बी का निर्यात हुआ, जो पहले से 36 गुना अधिक है। इस तरह से यह लोग जो भी कहते हैं आचरण उसके विपरीत है. आप और हम मिलकर इस देश की एकता और अखंडता के लिए इन सांप्रदायिक उन्मादियों से दूर रहे और मिलजुलकर देश को आगे बढ़ने के लिए कार्य करें. इनकी हालत यह है कि 'अपना दिल दामन धो न सके, दिल्ली में गंगा बहाने चले'.
जिस तरह से देश के अन्दर गंगा प्रदूषित है उसी तरह इनके दिल और दिमाग प्रदूषित हैं. राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी ने सही कहा है कि विभाजनकारी विचारों को असल गंदगी है जो गलियों में नहीं, बल्कि
हमारे दिमाग में और समाज को विभाजित करने वाले विचारों को दूर करने की
अनिच्छा में है।
सुमन
2 टिप्पणियां:
बहुत सही लिखा कॉमरेड रणधीर सुमन जी।
बहुत सही लिखा कॉमरेड रणधीर सुमन जी।
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