
भ्रष्टाचार करना देश द्रोह का कार्य नहीं माना जाता है. जबकि भ्रष्टाचार से ही देश द्रोही बनने की प्रक्रिया शुरू होती है चाहे वह हनी या वाइन या रुपया लेकर की जा रही हो. पाकिस्तान का पहला जासूस गृह मंत्रालय में नियुक्त मोहन लाल कपूर था. वह पाकिस्तानी शराब मुफ्त में पीने के लिए गुप्त कागजात उपलब्ध कराता था. आज पंजाब अकाली-भाजपा शासित है. वहां पर सबसे ज्यादा नवजवान नारकोटिक्स ड्रग्स का शिकार हो रहा है जिसके ऊपर मजबूत स्मगलर्स के मजबूत सिंडिकेट होने के कारण कार्यवाई नहीं हो पा रही है. हवाला कारोबार भी आर्म्स की स्मगलिंग का एक साधन होता है जिसमें बड़े-बड़े राजनेता भी शामिल होते हैं. हवाला कांड की डायरी में देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण अडवानी का नाम भी आया था, कार्यवाई कैसे होती.
पठानकोट की घटना में एसएसपी आरके बक्शी को 4 बजे आतंकियों के बारे में सूचना पहुंचा दी गई
थी। वे सलविंदर को पहले से ही शक की निगाहों से देखते हैं, इसलिए एसएचओ को
भेज दिया। खुद 10 बजे के बाद आए। लालफीताशाही की वजह से देश की सुरक्षा को खतरे में डालने का कोई औचित्य नहीं है.
मीडिया जगत में यह 6 सवाल चर्चा का विषय बने हुए हैं जिनके ऊपर जांच अवश्य की जानी चाहिए.
1.आईजी, डीआईजी, एसएसपी तूर व बख्शी ने पहले चरण में क्या-क्या एक्शन
लिए? आईजी खुद मौके पर क्यों नहीं आए? उन्होंने किसे जांच सौंपी?
2.डीआईजी को जानकारी मिल गई थी तो उन्हाेंने सलविंदर से खुद कब बात की?
3.तूर को जब सलविंदर ने फोन किया तो उन्होंने कंट्रोल रूम में बात करने को क्यों कहा? गंभीरता से क्यों नहीं लिया?
4.बख्शी और अन्य अफसरों में तालमेल की कमी क्यों रही?
5.सभी अफसरों की कॉल डिटेल को भी आधार बनाया जाए, क्योंकि इस दौरान सभी
अफसरों की आपस में कई बार बात हुई। उससे गंभीरता का अंदाजा लग जाएगा।
6.इस तरह की किसी भी घटना के बाद सुरक्षा एजैंसियों को सूचित करना जरूरी होता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
इस घटना से सम्बद्ध अधिकारीयों की संपत्तियों की जांच भी करायी जाए जिससे भ्रष्टाचार और देश द्रोहियों के संबंधों को उजागर किया जा सके.
सुमन
1 टिप्पणी:
भ्रष्टाचार ही आतंकवादी घटनाओं की जड़ में होता है। भ्रष्टाचार स्पष्टरूप से देशद्रोह है, बिडम्बना यह है कि भ्रष्टाचारी नेता व अधिकारी देशभक्ति का राग अलापते हैं और देशभक्त भी कहलाते हैं। किसी को भी भ्रटाचार मेम लिप्त पाये जाने पर न्यूनतम कार्यवाही के रूप में उसे उसके पद व सम्पत्ति से वंचित तो किया ही जाना चाहिये!
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