शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

संसद को झूठ बोलने का मंच मत बनाएं !

भारतीय संसद में सरकार के मंत्री या प्रधानमंत्री जो भी बातें बोलते हैं. वह यह माना जाता है कि वह सत्य हैं किन्तु वर्तमान सरकार के मंत्री जब संसद के दोनों सदनों में बोलते हैं तो सम्बंधित व्यक्तियों द्वारा उसका खंडन आ जाता है. यह भारतीय संसदीय परंपरा के लिए अच्छी बात नही है. हैदराबाद के केन्द्रीय विश्व विद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या पर बोलते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने कई तथ्यों को जान बूझकर छिपाते हुए गलत बयानी की. उनकी गलत बयानी के सम्बन्ध में मृतक परिवार के सदस्यों ने कहा कि मानव संसाधन व विकास मंत्रालय द्वारा विश्व विद्यालय को भेजी गयी चिट्ठियों में रोहित वेमुला को देशद्रोही व कट्टरपंथी कहा गया है जो पूर्णतया गलत बात है. यह बातें किस आधार पर कही गयी हैं. वहीँ उसका वजीफा न रोकने की बात संसद में कही गयी है जबकि वास्तविकता यह है कि रोहित को सात माह से वजीफा नहीं दिया गया था. 
   केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत और स्मृति ईरानी ने यह भी कहा था कि रोहित वेमुला दलित नहीं है जबकि उसके जाति प्रमाण पत्र से यह साबित होता है की वह शेड्यूल कास्‍ट सेसम्बंधित था.
प्रधानमंत्री मोदी ने रोहित वेमुला की मृत्यु के बाद बड़े भावनात्मक तरीके से कहा था कि देश ने अपना लाल खोया है और उसी लाल को देशद्रोही व कट्टरपंथी कहना इनकी नागपुरी चाल का एक हिस्सा है. 
          संसद में और संसद के बाहर केंद्र सरकार के मंत्री झूठ बोलने और अफवाहबाजी फैलाने का काम कर रहे हैं. संसद का इस्तेमाल भी यह लोग नागपुरी चालों के हिसाब से चलाकर संसद की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं. संसद की विश्वसनीयता को समाप्त करने का मतलब है की देश के अन्दर लोकतंत्र को समाप्त कर देने की कोशिश की जा रही है.

सुमन 

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-02-2016) को "प्रवर बन्धु नमस्ते! बनाओ मन को कोमल" (चर्चा अंक-2266) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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