रविवार, 18 सितंबर 2016

अब 56 इंच की जबान है

शहीदों को सलाम
बारामूला जनपद के उरी में सेना के 12 यूनिट के बेस पर आतंकी हमले में 17 जवान मारे गए और 19 जवान घायल हैं, 4 आतंकी मारे जा चुके है. दुखद स्तिथि है बगैर लडे फौज मारी जा रही है. चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री के उम्मीदवार से लेकर गृह मंत्री तक पकिस्तान को चुनौती देते हुए चुनाव लड़ रहे थे. तरह-तरह के उत्तेजक डायलॉग बोल रहे थे और नकली राष्ट्रवाद की धारा बहाकर मतदाता को गुमराह कर सरकार बनाने की जोड़तोड़ में लगे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मौनी बाबा घोषित कर रहे थे अब स्वयं मौन होकर मौनी बाबा की भूमिका आकर ट्वीट कर रहे हैं कि  'दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा'.
          प्रधानमंत्री जी सब कुछ जानते हैं और जान कर अनजान बनने का प्रदर्शन करते हैं. आई एस आई पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी है और पाकिस्तानी सेना को दिशा-निर्देश देने का काम अमेरिका करता है और आज प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत दोस्त ओबामा है. सैनिक समझौते किये हैं और उसके बाद भी हमले जारी हैं और बगैर लडे पठानकोट एयरबेस से लेकर उरी बेस तक नुकसान हो रहा है. वहीँ, प्रधानमंत्री अचानक पकिस्तान की  यात्राएं की. शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया, उपहारों का आदान-प्रदान किया लेकिन कोई बात काम नहीं आ रही है. विदेश नीति को बदल दिया है. अमेरिका जो पकिस्तान का मित्र था अब अपने देश का मित्र है. अमेरिका चुप है. दुनिया जानती है कि अमेरिका कभी किसी का मित्र नहीं रहा है, जिसका मित्र रहा उसको आस्तीन के सांप की तरह डंसा भी है चाहे वह पकिस्तान ही क्यूँ न हो. आज उसकी दुर्दशा का जिम्मेदार अमेरिका भी है जो अपनी आजादी से लेकर आज तक उसकी गोदी में बैठा रहा है. अब उसकी गोदी में एक तरफ नागपुर मुख्यालय की विदेश नीति बैठी हुई है. गाँधी की हत्या ब्रिटिश साम्राज्यवाद को हारने के कारण हुई थी और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के साथ नागपुर मुख्यालय था. अब देश की विदेश नीति अमेरिका परस्त है और उसके बाद भी हमले हो रहे हैं तो यह किसकी जिम्मेदारी है और कौन सी राजनीती का हिस्सा है. मुख्य मामला यह है कि सेना के जवान अदानी और अम्बानी के घरों के नहीं हैं बल्कि  हमारे जैसे मजदूर-किसानो के बेटें हैं. बेटे की मृत्यु होने पर कितना कष्ट होता है इसका एहसास इन राजनीतज्ञों को नहीं है. यह वाही लोग हैं जो कंधार आतंकवादियों को छोड़ने गए थे.
कश्मीर में कथित अलगाव वादियों को लेकर सरकार बनाने के लिए सत्तारूढ़ दल ने हर तरह के समझौते किये थे और तमाम सारे ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाया था जिनकी पृवत्ति अलगाव वादी थी. दुःख है कि सीना 56 इंच का नहीं है जबान 56 इंच की है.
वहीँ, उरी हमले पर बोले लालू प्रसाद- मोदी जी का 56 इंच का सीना सिकुड़ गया है और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि पाक को लव लेटर भेजने की बजाय कार्रवाई करें मोदी.
जम्मू एंड कश्मीर के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रभारी और भाजपा के संगठन मंत्री राम माधव ने कहा
 अब ‘एक दांत के लिए पूरा जबड़ा’ की नीति अपनानी चाहिए. यह बात कहते हुए राम माधव को जबड़ा तोड़ने के लिए न तो पाकिस्तान के अनुमति की आवश्यकता है और न ही अमेरिका की. दिल्ली में भी सरकार है और कश्मीर में भी सरकार है


सुमन
लो क सं घ र्ष !

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